कोंडोलीजा ने की भारत की सराहना
पैंतालीस सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह द्वारा भारत को छूट दिए जाने को अमेरिका और भारत के संबंधों में बहुत बड़ा कदम बताते हुए अमेरिका की विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने वियना में भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की।शनिवार को अपनी अल्जीयर्स यात्रा में शामिल मीडियाकर्मियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारतीय नेतृत्व ने वियना में काफी कुशलता का परिचय दिया। वहाँ हर व्यक्ति सभी की चिंताओं को गंभीरता से ले रहा था, इसलिए रास्ता निकल आया। राइस ने बताया कि एनएसजी की बैठकों के अंत में भारत को मिली छूट की खबर सुनकर मुझे काफी प्रसन्नता हुई है। यह आगे की दिशा में बढ़ा एक महत्वपूर्ण कदम है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी उनके भाषण के लिखित विवरण के अनुसार करार में छूट को संभव बनाने के लिए हमें भारत सरकार की ओर से काफी मदद मिली। साथ ही कई प्रतिनिधिमंडलों ने हमारे साथ मिलकर काम किया।कोंडोलीजा ने कहा कि यह परमाणु अप्रसार के ढाँचे के भीतर उठाया गया एक बड़ा कदम है। अमेरिकी संसद के मौजूदा सत्र में भारत अमेरिका असैन्य परमाणु करार के पारित हो जाने की आदर्श स्थिति है। अगर मौजूदा संसद सत्र में यह करार पारित नहीं हो पाया तो अमेरिका भारत से इस संबंध में चर्चा करने के तौर-तरीके तय करेगा, ताकि अमेरिकी कंपनियों को नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि हमें इंतजार करना होगा। संसद का सत्र काफी छोटा है, लेकिन मुख्य बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम पूरा हो गया है। मुझे पक्का विश्वास है कि यह संसद में पारित हो जाएगा। यह अमेरिका-भारत संबंधों के बीच बहुत बड़ा कदम है।कोंडोलीजा ने कहा कि हमने भारत सरकार से बातचीत की है कि अमेरिकी कंपनियों को नुकसान नहीं होना चाहिए और मेरा मानना है कि वे अमेरिकी नेतृत्व की बात समझेंगे। सबसे अच्छी बात होगी कि यह मसला अमेरिकी संसद में उठे। कोंडोलीजा ने स्वीकार किया कि वियना में वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कई फोन कॉल किए लेकिन उन्होंने इनका विवरण देने से इनकार कर दिया। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि जब मैं न्यूजीलैंड में थी, तो मैंने इस मुददे पर कई प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया। मैंने आयरलैंड, चीन और ऑस्ट्रिया के साथ बातचीत की। इसकी पूरी सूची मैं आपको दे सकती हूँ जो बहुत लंबी है।भारत की प्रगति और रूस के साथ 123 संधि के समाप्त होने के संबंध में पूछे जाने पर राइस ने कहा कि दोनों स्थितियाँ अलग-अलग हैं, क्योंकि रूस परमाणु अप्रसार संधि और एनएसजी का सदस्य है। राइस के मुताबिक, इस समझौते के कारण रूस के साथ अमेरिका का परमाणु मुद्दे परमाणु तकनीक सहयोग की संभावना बढ़ेगी, लेकिन भारत के साथ करार ऐतिहासिक है। यह बात छुपी हुई नहीं है कि भारत परमाणु अप्रसार कार्यक्रम पूरे इतिहास में इस व्यवस्था से अलग रहा है इसलिए ऐतिहासिक दृष्टि से यह काफी महत्व रखता है।भारत द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाने के संबंध में राइस ने कहा कि इस समझौते में भारत का बहुत कुछ दाँव पर लगा है। इसका उद्देश्य है परमाणु सामग्री से असैन्य परमाणु सुविधाओं का विस्तार।