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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: श्रीनगर , बुधवार, 7 जून 2017 (10:06 IST)

सावधान! अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले का खतरा

सावधान! अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले का खतरा - terror threat in Amarnath yatra
श्रीनगर। सेनाधिकारियों के इस रहस्योद्घाटन के पश्चात कि अमरनाथ यात्रा इस बार आतंकी  हमलों से दो-चार हो सकती है, यह यात्रा सभी के लिए अग्निपरीक्षा साबित होने जा रही है।
 
ऐसा इसलिए भी स्पष्ट है, क्योंकि जहां एक ओर कश्मीर में आतंक के पांव तेजी से पुनः बढ़े  हैं वहीं दूसरी ओर अमरनाथ यात्रा की शुरुआत के साथ ही हुर्रियत कांफ्रेंस और आतंकी गुटों  के बीच मतभेद पनपने लगे हैं। ऐसे में सभी पक्षों को अमरनाथ यात्रा असुरक्षित लगने लगी  है, क्योंकि आतंकवादी इसे क्षति पहुंचाने की कोशिशों में अभी से जुट गए हैं। ऐसी आशंकाएं  सेनाधिकारी प्रकट करने लगे हैं कि अमरनाथ यात्रा को हादसों से बचाना मुश्किल होगा।
 
29 जून को आरंभ होने जा रही वार्षिक अमरनाथ यात्रा का चिंता का पहलू यह नहीं है कि  तनाव और आतंकवादी गतिविधियों के बावजूद इसमें कितने लोग भाग लेंगे बल्कि तनाव  और बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के बीच इसे सुरक्षा कैसे मुहैया करवाई जाएगी।
 
अभी तक का यही अनुभव रहा है कि यात्रा में शामिल होने वाले हमलों, नरसंहारों और बम  धमाकों से कभी घबराए नहीं हैं। रिकॉर्ड भी बताता है कि आतंकवादी पिछले करीब 12 सालों  से अमरनाथ यात्रा को निशाना बना बीसियों श्रद्धालुओं की हत्याएं करने में कामयाब रहे हैं तो  प्रकृति भी अपना रंग अवश्य दिखाती आई है।
 
बकौल अधिकारियों के, एक बार फिर अमरनाथ यात्रा प्रशासन तथा सुरक्षाबलों के लिए  अग्निपरीक्षा साबित होगी। ऐसा होने के पीछे के कई स्पष्ट कारण हैं। पाकिस्तानी सेना की  गुप्तचर संस्था आईएसआई राज्य में हाहाकर मचाना चाहती है और वह कुछ ऐसा अंजाम देने  की कोशिशों में है जिससे भारत का गुस्सा और भड़के तथा सब्र का बांध टूट जाए और  अमरनाथ यात्रा से अच्छा कोई अवसर उन्हें नहीं मिल सकता।
 
सुरक्षाधिकारियों के मुताबिक, शांति की बयार के बावजूद अमरनाथ यात्रा पर इस बार सबसे  अधिक खतरा मंडरा रहा है। हालांकि यह अब कड़वी सच्चाई बन गई है कि तमाम सुरक्षा  प्रबंधों को धत्ता बताते हुए आतंकी अमरनाथ यात्रा को प्रत्येक वर्ष भारी क्षति पहुंचाने में  कामयाब रहते हैं। नतीजतन इस बार सुरक्षाधिकारियों की चिंता दोगुनी है।
 
पहला कारण, सुरक्षाबलों की भारी कमी के चलते उन्हें चिंता इस बात की लगी हुई है कि 45  किमी लंबे दुर्गम और पहाड़ी यात्रा मार्ग पर शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं को सुरक्षा कैसे  प्रदान की जाएगी तो दूसरा कारण आतंकवादी अपनी उपस्थिति दर्शाने तथा सीजफायर से  परेशान माहौल को बिगाड़ने की खातिर कुछ बड़ा कर दिखाने की फिराक में हैं।
 
इस बार राज्य सरकार की समस्याएं और बढ़ने की आशंका भी है, क्योंकि सरकारी तौर पर  इस बार 8 लाख से अधिक लोगों को यात्रा में शामिल होने की अनुमति देने की बात कही  गई है तो पूर्व का अनुभव यही रहा है कि शामिल होने वालों की संख्या 4-5 लाख के आंकड़े  को हर बार पार कर जाती है, हालांकि इस बार चिंता का विषय इसमें 'जितने आओ, उतने  जाओ' की सरकार की नीति भी है।
 
अमरनाथ यात्रा के शुरू होने में 21 दिन का समय बचा है। सुरक्षाबल कोई खतरा मोल नहीं  लेना चाहते थे इसलिए 1 माह पूर्व सभी तैयारियां आरंभ तो की गई थीं, परंतु मौसम की  गड़बड़ियों ने उन पर पानी फेर दिया। नतीजतन उन क्षेत्रों की साफ सफाई, उन्हें बारूदी  सुरंगों तथा आतंकवादियों से मुक्त करवाने का अभियान अधबीच में ही है। स्थिति यह है कि  सेनाधिकारियों के रहस्योद्घाटन के बाद यात्रियों की सुरक्षा कैसे होगी कोई नहीं जानता है  और सब भोलनाथ पर छोड़ दिया गया है।
 
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