मंगलवार, 29 अप्रैल 2025
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मैं समय हूं, मैं समय हूं, मैं समय हूं

poem in Hindi
-रवि श्रीवास्तव    
 
तूफानों से तेज चलूं मैं
न ही थकूं न ही रूकूं मैं ।
 

 
सब कुछ मेरे ही अधीन है,
मेरी बातें भिन्न-भिन्न हैं।
 
गुजर गया वापस न आऊं,
सबक दुनिया को मैं सिखलाऊं।
 
बात मेरी सब लोग हैं करते,
प्रहार से मेरी रोते हंसते।
 
जीवन के हर मोड़ पर मैं,
बीता हुआ मैं तो कल हूं।
 
मै समय हूं, मै समय हूं, मै समय हूं।