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भगवान शनि महाराज की आरती
ओम जय जय शनि महाराज, स्वामी जय जय शनि महाराज।कृपा करो हम दीन रंक पर, दुःख हरियो प्रभु आज ॥ओम॥सूरज के तुम बालक होकर, जग में बड़े बलवान ॥स्वामी॥सब देवताओं में तुम्हारा, प्रथम मान है आज ओम ॥1॥विक्रमराज को हुआ घमण्ड फिर, अपने श्रेष्ठन का। स्वामीचकनाचूर किया बुद्धि को, हिला दिया सरताज ॥ओम॥2॥प्रभु राम और पांडवजी को, भेज दिया बनवास। स्वामीकृपा होय जब तुम्हारी स्वामी, बचाई उनकी लॉज ॥ओम॥3॥शुर-संत राजा हरीशचंद्र का, बेच दिया परिवार। स्वामीपात्र हुए जब सत परीक्षा में, देकर धन और राज ॥ओम॥4॥गुरुनाथ को शिक्षा फाँसी की, मन के गरबन को। स्वामीहोश में लाया सवा कलाक में, फेरत निगाह राज ॥ओम॥5॥माखन चोर वो कृष्ण कन्हाइ, गैयन के रखवार। स्वामीकलंक माथे का धोया उनका, खड़े रूप विराज ॥ओम॥6॥देखी लीला प्रभु आया चक्कर, तन को अब न सतावे। स्वामीमाया बंधन से कर दो हमें, भव सागर ज्ञानी राज ॥ओम॥7॥मैं हूँ दीन अनाथ अज्ञानी, भूल भई हमसे। स्वामीक्षमा शांति दो नारायण को, प्रणाम लो महाराज ॥ओम॥8॥ओम जय जय शनि महाराज, स्वामी जय-जय शनि महाराज।कृपा करो हम दीन रंक पर, दुःख हरियो प्रभु आज॥ओम॥