बॉलीवुड 2008 : एक कदम आगे, दो कदम पीछे
पिछले कुछ वर्षों से तुलना की जाए तो बॉलीवुड के लिए वर्ष 2008 कोई खास नहीं रहा। वर्ष की शुरुआत में जहाँ सितारों को चालीस करोड़, पचास करोड़ रुपए का पारिश्रमिक दिए जाने की बातें सुनाई दे रही थीं, फिल्मों को खरीदने की कीमत सौ करोड़ के ऊपर पहुँच गई थी, वर्ष की समाप्ति पर वे सब धड़ाम से नीचे आ गिरीं। हिट फिल्मों की संख्या हर वर्ष फ्लॉप फिल्मों की तुलना में बेहद कम होती है, लेकिन तुलनात्मक रूप से इस वर्ष हिट फिल्मों की संख्या और भी कम रही। शायद इसकी वजह यह भी रही कि बड़े सितारे शाहरुख, आमिर और अक्षय कुमार की इक्का-दुक्का फिल्में प्रदर्शित हुईं। वर्ष के पहले हाफ में तो हिट फिल्मों की संख्या नगण्य रही। दूसरे हाफ में प्रदर्शित फिल्मों में कामयाब फिल्मों की संख्या बढ़ी। सुपरहिट फिल्में सुपरहिट फिल्म वह होती है जो बिहार के एक छोटे से गाँव से लेकर लंदन जैसे बड़े शहर तक पसंद की जाए। इस परिभाषा पर कोई फिल्म वर्ष 2008 में खरी नहीं उतरती। ‘सिंह इज़ किंग’ के कलेक्शन धमाकेदार रहे, लेकिन इसे इतने महँगे दामों में बेचा गया कि कई सर्किटों में वितरकों को घाटा हुआ। फिर भी हम इसे वर्ष की बड़ी हिट फिल्मों में से एक मान सकते हैं। इस फिल्म ने अक्षय कुमार की सितारा हैसियत को बढ़ाया। दर्शकों को कहानी, निर्देशन से कोई मतलब नहीं था, वे केवल अक्षय को देखने आए थे। लागत के पैमाने पर गौर किया जाए तो आमिर खान द्वारा निर्मित बबलगम रोमांस ‘जाने तू या जाने ना’ को हम सफल फिल्म मान सकते हैं। दस करोड़ रुपए की लागत से बनी इस फिल्म ने लगभग 70 करोड़ रुपए का व्यवसाय किया। वर्ष के अंत में प्रदर्शित ‘रब ने बना दी जोड़ी’ को दर्शकों का बेहद प्यार मिला और यह साबित हुआ कि आदित्य और शाहरुख की जोड़ी को रब ने हिट फिल्म का वरदान दे रखा है। यह फिल्म कितनी बड़ी हिट साबित होगी, इसका पता आगामी दिनों में चलेगा। ‘गोलमाल रिटर्न’ ने भी अच्छी सफलता हासिल की। पुरानी फिल्म ‘आज की ताजा खबर’ पर आधारित इस फिल्म को दीपावली पर प्रदर्शित किया गया और इसका फिल्म को पूरा फायदा मिला। हिट फिल्में
रेस, जोधा-अकबर और जन्नत को हिट फिल्मों की श्रेणी में रखा जा सकता है। जोधा-अकबर ने भारत के साथ-साथ विदेश में भी अच्छी सफलता हासिल की और आशुतोष गोवारीकर की मेहनत सफल हुई। रितिक की तुलना में ऐश्वर्या राय को इसमें ज्यादा पसंद किया गया। ‘रेस’ की शानदार ओपनिंग लगी, इस वजह से यह फिल्म सफल फिल्मों की श्रेणी में आ गई, लेकिन ज्यादा दिनों तक यह सिनेमाघरों में टिक नहीं पाई। यही हाल ‘जन्नत’ का भी रहा। ‘रॉक ऑन’ की कहानी ने युवाओं को आकर्षित किया और फरहान अख्तर, अर्जुन रामपाल, प्राची देसाई जैसे कलाकार होने के बावजूद इस फिल्म ने अच्छी कामयाबी प्राप्त की।औसत सफल फिल्में
’दोस्ताना’ को महँगे दामों में बेचा गया। साथ ही इस फिल्म को पसंद केवल बड़े शहरों में किया गया। ‘गे’ संबंधों पर आधारित होने से इसका विषय भारतीयों के लिए नया था, लेकिन ज्यादातर लोगों के मुँह का जायका इस फिल्म को देखने के बाद बिगड़ गया। मधुर भंडारकर की फिल्म ‘फैशन’ में केवल नायिकाएँ थीं, लेकिन यह फिल्म सफल रही। इस फिल्म ने रंगीन दुनिया के सच को सबके सामने रखा। लगातार असफलता झेल रहे रामगोपाल वर्मा को भी ‘सरकार राज’ के जरिये कामयाबी मिली। कुछ फिल्मों के सफल होने के पीछे उनकी लागत कम होना रहा। वेलकम टू सज्जनपुर, ए वेडनसडे, 1920, फूँक जैसी फिल्में इसी वजह से औसत सफल रहीं। इन फिल्मों में कलाकारों के बजाय कथानक स्टार था।फ्लॉप फिल्में
फ्लॉप फिल्मों की सूची तो बेहद लंबी है, लेकिन बात करते हैं उन फिल्मों की जिनसे सभी को बेहद आशाएँ थीं। यशराज फिल्म्स द्वारा निर्मित फिल्मों से सभी को उम्मीदें रहती हैं। लेकिन रोड साइड रोमियो, टशन, थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक किसी भी किस्म का मैजिक दर्शकों में नहीं जगा पाईं। टशन जैसी फिल्म देखकर विश्वास ही नहीं होता कि यह बैनर इतनी खराब फिल्म भी बना सकता है। ‘लव स्टोरी 2050’ 20 शो भी नहीं चल पाई। हैरी बावेजा ने अपने बेटे हरमन को लांच करने में खूब पैसा बहाया, लेकिन अच्छी कहानी नहीं खोज पाए। ‘गॉड तुस्सी ग्रेट हो’ को डूबने से अमिताभ, सलमान और प्रियंका जैसे सितारे भी नहीं बचा पाए। सुभाष घई ने ‘युवराज’ इतनी बोर बनाई कि दर्शक सिनेमाघर में ऊँघते नजर आए। जहाँ बड़े बजट की फिल्में पिटीं वहीं छोटे बजट की फिल्में तो कुछ शो भी नहीं चल पाई। सॉरी भाई, ओह माय गॉड, महारथी, दिल कबड्डी, मुंबई मेरी जान, आमिर, दसविदानिया, दिल कबड्डी जैसी फिल्में दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाईं। कम बजट होने के बावजूद ये अपनी लागत भी नहीं निकाल पाईं।
आर्थिक मंदी की चपेट मंदी की मार बॉलीवुड पर भी दिखाई दी। वर्ष 2008 के आरंभ में करोड़ों के सौदे हो रहे थे। सितारों को मुँहमाँगा दाम दिया जा रहा था, वहीं इसके अंतिम दिनों में कई कारपोरेट संस्थाओं को अपने ऑफिसेस में ताला लगाना पड़ा। नई फिल्में घोषित नहीं हो रही हैं। सितारों को अपने दाम घटाना पड़ेंगे ताकि निर्माता फिल्मों से फायदा कमा सकें। फिल्म निर्माण कम होने का असर वर्ष 2009 के अंत में देखने को मिलेगा, जब सिनेमाघर वालों को फिल्में ही लगाने को नहीं मिलेंगी। इनका साथ मिला
नए कलाकारों को वर्तमान में जैसा मौका मिल रहा है, वैसा अवसर पहले कभी उपलब्ध नहीं हुआ। सोनल चौहान, मुग्धा गोडसे, अनुष्का शर्मा, अदा शर्मा, सहाना गोस्वामी, प्राची देसाई, असीन, श्वेता कुमार, इमरान खान, रजनीश दुग्गल, फरहान अख्तर, हरमन बावेजा, सुशांत सिंह, मिमोह चक्रवर्ती, अध्ययन सुमन, सिकंदर खेर, राजीव खंडेलवाल जैसे सितारे बॉलीवुड को मिले। इनमें से ज्यादातर का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है। इनका साथ छूटा
फिल्म से जुड़े कई लोग हमसे बिछड़ गए, जिनमें प्रमुख इस प्रकार है : * 13 फरवरी : राजेंद्रनाथ (76)। कॉमेडियन। प्रमुख फिल्म : दिल दे के देखो *प्यार का मौसम *तीसरी मंजिल *एन इवनिंग इन पेरिस *फिर वही दिल लाया हूँ।* 10 अप्रैल : शोमू मुखर्जी : निर्माता/निर्देशक। काजोल के पिता/तनूजा के पति। प्रमुख फिल्म : फिफ्टी-फिफ्टी *संगदिल सनम *एक बार मुस्कुरा दो।* 19 मई : विजय तेंडुलकर : मराठी के प्रसिद्ध साहित्यकार। हिन्दी में इन फिल्मों की पटकथा लिखी-निशांत *मंथन *अर्द्धसत्य *आक्रोश।* 7 जुलाई : एफ.सी. मेहरा (80)। फिल्म निर्माता। आम्रपाली *प्रोफेसर *उजाला *लाल पत्थर।* 29 अगस्तः जयश्री गड़कर (68)। मराठी और हिन्दी फिल्मों की तारिका। प्रमुख फिल्म : झनक-झनक पायल बाजे *ईश्वर *मास्टरजी *ससुराल।* 27 सितंबर : महेंद्र कपूर (74)। पार्श्व गायक। पद्मश्री और मध्यप्रदेश शासन के लता अलंकरण से विभूषित।* 5 नवंबर : बलदेव राज चोपड़ा : निर्माता-निर्देशक। यश चोपड़ा के अग्रज। रवि चोपड़ा के पिताजी। महाभारत सीरियल के प्रणेता। नया दौर *कानून *वक्त *इंसाफ का तराजू आदि के निर्माता-निर्देशक।*10 दिसंबर : बेगम पारा । पचास के दशक की बिंदास हीरोइन। अंतिम फिल्म साँवरिया। *चाँद *उस्ताद पेड्रो प्रमुख फिल्में।पुरस्कार और सम्मान इस वर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (2006) का सम्मान और पुरस्कार निम्न फिल्मों और लोगों को मिला : *सर्वोत्तम फिल्म : पुल्लीजानम*सर्वोत्तम लोकप्रिय फिल्म : लगे रहो मुन्नाभाई*सर्वोत्तम हिन्दी फिल्म : खोसला का घोसला*सर्वश्रेष्ठ निर्देशक : मधुर भंडारकर (ट्रैफिक सिग्नल)*सर्वश्रेष्ठ अभिनेता : सौमित्र चटर्जी *सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री : प्रिया मणी *सर्वोत्तम गीत : लगे रहो मुन्नाभाई (स्वानंद किरकिरे)*सर्वश्रेष्ठ पटकथा : लगे रहो मुन्नाभाई*सर्वोत्तम पार्श्वगायक : गुरदास मान (पुरुष)*सर्वोत्तम पार्श्व गायिका : आरती अकलिक*इंदिरा गाँधी अवार्ड प्रथम निर्देशित फिल्म : काबुल एक्सप्रेस।
प्रतिष्ठित दादा साहेब फालके पुरस्कार तपन सिन्हा को दिया गया। आशा भोसले को पद्म विभूषण मिला तो माधुरी दीक्षित, टॉम अल्टर, मनोज नाइट श्यामलन पद्मश्री से सम्मानित हुए। शाहरुख खान को दो बड़े सम्मान हासिल हुए। फ्रांस सरकार ने उन्हें ऑर्डर ऑफ आर्ट एंड लेटर्स से सम्मानित किया तो मलेशिया सरकार ने उन्हें ‘दातूक शाहरुख खान’ बना दिया। नितिन मुकेश को मध्यप्रदेश शासन का लता अलंकरण (वर्ष 2007) तथा मनोज कुमार को मध्यप्रदेश शासन का किशोर कुमार सम्मान (वर्ष 2007) मिला।