गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. आजादी का अमृत महोत्सव
  3. स्वतंत्रता के बाद के 75 वर्ष
  4. What India achieved in the arena of sports in 75 years
Written By
Last Updated : मंगलवार, 7 जून 2022 (16:15 IST)

आजादी के 75 साल में यह रहा खेलों का हाल, इन खेलों में आगे बढ़ा भारत

आजादी के 75 साल में यह रहा खेलों का हाल, इन खेलों में आगे बढ़ा भारत - What India achieved in the arena of sports in 75 years
भारत का 75वां स्वतंत्रता दिवस देश भर में जोर शोर से मनाया जा रहा है। इस बार के जश्न में खलों का जिक्र ज्यादा हो रहा है राष्ट्रपति ने भी टोक्यो ओलंपिक में गए सभी एथलीट्स को चाय पर बुलाया और कहा कि पूरे देश को उनपर गर्व है। गौरतलब है कि भारत ने इस बार ओलंपिक में अब तक की सबसे सर्वश्रेष्ठ पदक तालिका पायी है। 
 
ऐसे मे पीछे मुड़कर देख लेते हैं कि इन 75 सालों में किन खेलों में भारत अपने खिलाड़ियों के दम पर आगे बढ़ा।
 
1) क्रिकेट 
भारत में किकेट करीब 18 वीं सदी में यूरोपीय नागरिकों द्वारा लाया गया था। पहला क्रिकेट क्लब 1792 में कोलकाता में स्थापित किया गया था। हालांकि राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने अपना पहला मैच लॉट्स में 25 जून 1932 को खेला।
 
क्रिकेट को समझने और परखने में भारतीय टीम को बहुत वक्त लगा। अपने पहले 50 सालों में टीम ने बहुत ही कमजोर प्रदर्शन किया। 196 टेस्ट में सिर्फ 35 बार भी भारतीय टीम जीत पाई।
 
सीके नायडू भारत के पहले टेस्ट कप्तान थे। भारत को अपनी पहली टेस्ट जीत के लिए करीब 20 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा।
cricket ball
1952 में पाकिस्तान के खिलाफ लाला अमरनाथ की कप्तानी में भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच जीता।
 
हालांकि टीम कमजोर ही नजर आती रही। इस दौरान भारतीय क्रिकेट ने कई कप्तान देखे विजय हजारे वीनू मांग कर पंकज राय नारी कांट्रेक्टर लेकिन जीत इक्का दुक्का मौके पर ही मिलती रही।
 
मंसूर अली खान पटौदी की कप्तानी में भारत में आक्रमक क्रिकेट खेलने की शुरुआत की और इसके नतीजे भी मिले। पटौदी ने 1961 से लेकर 1974 तक कप्तानी करी और 9 टेस्टों में भारत को जीत दिलाई।
 
1970 के दशक में भारतीय टीम एक एक शक्तिशाली टीम बनकर उभरी। पटौदी की सफलता को वाडेकर आगे लेकर गए।
 
हालांकि 1974 में खेले गए पहले दो विश्वकप में भारत का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। दो विश्व कप में भारत मैच एक में जीत सका।
 
लेकिन अगले विश्वकप में भारत ने वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम को फाइनल में हराकर यह सुनिश्चित कर लिया की क्रिकेट सदियों तक भारत का सबसे लोकप्रिय खेल बनने वाला है।
 
कपिल देव की कप्तानी में जीते हुए इस विश्वकप के कारण अगली पीढ़ी क्रिकेट में दिलचस्पी दिखाने लग गई और क्रिकेट की दीवानगी एक अलग स्तर पर पहुंच गई।
 
90 के दशक से पहले भारत को क्रिकेट का एक ऐसा सितारा मिला जिसका नाम आज भी विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार है।
 
90 का दशक पूरा का पूरा सचिन तेंदुलकर के नाम रहा हालांकि इस दौरान कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन रहे लेकिन सचिन की बल्लेबाजी ने पूरे विश्व को अपना दीवाना बना लिया।
 
आज भी वह टेस्ट मैच हो या वनडे, भारतीय टीम के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज है। टेस्ट और वनडे दोनों में सचिन विश्व में सर्वाधिक शतक लगा चुके हैं।
 
हालांकि सचिन की मौजूदगी के बावजूद भी 90 का दशक कुछ खास नहीं रहा। 99 का विश्व कप हारने के बाद सौरव गांगुली को कप्तानी सौंपी गई और भारत पहली बार एक अलग टीम के तौर पर दुनिया में देखा जाने लगा।
 
गांगुली की कप्तानी में आईसीसी ट्रॉफी तो ज्यादा नहीं आई लेकिन टीम के खिलाड़ी निर्भीक और आक्रमक क्रिकेट खेलने लग गए।
 
इसके बाद कप्तान बने महेंद्र सिंह धोनी ने तो जैसे क्रिकेट के नियम ही बदल दिए। उनकी कप्तानी में भारत साल 2007 का टी20 विश्व कप, साल 2011 का वनडे विश्व कप, और साल 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी जीता।
 
आज विराट कोहली की कप्तानी में भारत विश्व क्रिकेट का पावर हाउस है। भारतीय टीम में एक से एक गेंदबाज और बल्लेबाज शामिल है। हर फॉर्मेट में भारत एक सशक्त टीम है।
 
भारत का इंडियन प्रीमियर लीग दुनिया की सबसे अमीर प्रीमियर लीग में से एक है। इसमें भाग लेने के लिए कई विदेशी खिलाड़ी अपनी राष्ट्रीय टीम का दौरा भी छोड़ देते हैं।
 
2) हॉकी
 
भारत में हॉकी की शुरुआत क्रिकेट से भी बेहतर रही। 1928 ओलंपिक में जयपाल सिंह मुंडा भारत के पहले कप्तान थे। इसके बाद सैयद लाल शाह बुखारी भारत के कप्तान थे। और मेजर ध्यानचंद 1936 के ओलंपिक में भारत के कप्तान थे जिन्हें हॉकी का जादूगर कह कर भी पुकारा गया।
 
1948 लंदन ओलंपिक्स आजाद भारत का पहला ओलंपिक था जिसने दुनिया के खेल मानचित्र पर भारत को पहचान दिलाई। ब्रिटेन को 4-0 से हराकर भारतीय टीम लगातार चौथी बार ओलंपिक चैंपियन बनी और बलबीर सिंह सीनियर के रूप में हॉकी को एक नया नायक मिला।
 
1952 हेलसिंकी ओलंपिक में भारत नीदरलैंड को हराकर चैंपियन बना। इस ओलंपिक में बलबीर सिंह सीनियर ने भारत के 13 में से 9 गोल करे थे।
1956 मेलबर्न ओलंपिक्स के फाइनल में पाकिस्तान को एक गोल से हराकर भारत छठी बार स्वर्ण पदक जीता।1960 रोम ओलंपिक्स में पाकिस्तान भारत पर भारी पड़ा लेकिन टीम इंडिया रजत पदक जीतने में सफल रही।
 
भारत की टीम ने इसका बदला टोक्यो ओलंपिक्स 1964 में निकाला और पाकिस्तान को खिताबी मात दी।इसके बाद सिर्फ 1972 म्यूनिख ओलंपिक में भारत बमुश्किल कांस्य पदक जीत पाया।
 
1980 मॉस्को ओलंपिक में भारत स्पेन जैसी टीम को 4-3 से हराकर वापस स्वर्ण पदक जीता यह उसका ओलंपिक में आठवां स्वर्ण पदक था।
 
उसके बाद ओलंपिक आते गए जाते गए भारतीय कप्तान बदलते गए लेकिन हॉकी टीम का निराशाजनक प्रदर्शन कम से कम ओलंपिक में जारी रहा।
 
90 के दशक में प्रगट सिंह, इसके बाद धनराज पिल्ले, दिलीप तिर्की बहुत से कप्तान आए।लगभग हॉकी देश में मृतप्राय हो गई थी। किसी भी फैन को इस खेल से उम्मीद नहीं थी।
 
फिर अचानक साल 2021 में मनप्रीत सिंह की कप्तानी में भारत टोक्यो ओलंपिक्स में कांस्य पदक लेकर लौटा तो ऐसा लगा की या खेल और वापस जीवंत हो उठा है।
 
3)कुश्ती
युद्ध के पुराने रूप में से एक का प्रतिनिधित्व करता कुश्ती भारत में धीरे-धीरे ही सही आगे बढ़ता गया।
 
1952 में ही हॉकी के अलावा जो पहला मेडल किसी खेल में भारत की झोली में गिरा वह कुश्ती ही था। के डी जाधव कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर किसी भी एकल प्रतियोगिता में मेडल आने वाले पहले खिलाड़ी बने थे।
आधुनिक युग में कुश्ती की लोकप्रियता कितनी बढ़ गई है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2008 से साल 2021 में भारत में कुश्ती में 6 मेडल जीते हैं।
 
हरियाणा राज्य में कुश्ती बहुत लोकप्रिय है और यह राज्य लगातार कुश्ती में ओलंपियन भारत को दे रहा है।
 
फोगट परिवार कुश्ती का एक जाना माना परिवार है जिस पर बॉलीवुड के अभिनेता आमिर खान भी फिल्म बना चुके हैं।
 
 
टेनिस और बैडमिंटन में बीच बीच में दिखाया बेहतर प्रदर्शन
 
इसके अलावा टेनिस और बैडमिंटन जैसे खेलों में भारत टुकड़े टुकड़े में बेहतर प्रदर्शन करता रहा। टेनिस की बात करें तो कुछ मशहूर खिलाड़ी जिसमें विजय अमृतराज अशोक अमृतराज के अलावा रमेश कृष्णन ने भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया। 90 के आखिर में लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी काफी मशहूर रही। हालांकि 1996 ओलंपिक में मेडल लिएंडर पेस ही ला पाए। 
Badminton tournament
बैडमिंटन में महिला खिलाड़ियों को ज्यादा सफलता मिली। हालांकि पुलेला गोपीचंद, प्रकाश पादुकोने जैसे खिलाड़ियों ने भी अपना नाम कमाया। पिछले 10 सालों में भारतीय खिलाड़ियों को बैडमिंटन में बड़ी सफलता मिली है। 2 महिला खिलाड़ी 3 ओलंपिक मेडल ला चुकी हैं, पीवी सिंधु और साइना नेहवाल। 
 
फुटबॉल और बासकेटबॉल में बुरे हाल
 
भारत के फुटबॉल फैंस चाह रहे हैं कि जल्द ही भारत देश भी फीफा विश्वकप का भाग हो और स्टार फुटबॉलरों के बीच स्वदेशी नाम भी शुमार हो लेकिन अभी यह दूर की कौड़ी लगती है। 
 
कई सालों तक तो लोगों को बाइचुंग भूटिया के अलावा किसी दूसरे फुटबॉलर का नाम ही याद नहीं था। हाल ही में भारतीय टीम फीफा क्वालिफिकेश से बाहर हुई है। यूरोपिय और मध्य पूर्व तो खैर छोड़ ही दे एशिया में भी टीम की स्थिती अच्छी नहीं है। फिलहाल भारत की फीफा रैंकिंग 105 है। 
हालांकि कप्तान सुनील छेत्री और गोलकीपर गुरकीरत सिंह संधू जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी युवाओं में धीरे धीरे लोकप्रिय हो रहे हैं। वहीं बास्केटबॉल में तो हाल बहुत बुरे हैं। भारत की फीबा रैंकिंग 78 है और ना ही टीम ना ही कोई खिलाड़ी सुर्खियों में आता है।  
ये भी पढ़ें
असहमति को कुचलना लोकतंत्र नहीं है