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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 21 मई 2025 (17:01 IST)

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

what is ashtanga yoga
what is ashtanga yoga: आधुनिक जीवनशैली में तनाव, चिंता और शारीरिक समस्याओं का बढ़ना आम बात हो गई है। ऐसे में, प्राचीन भारतीय ज्ञान की एक अनमोल देन, अष्टांग योग, हमें एक स्वस्थ, शांत और संतुलित जीवन जीने का मार्ग दिखाता है। महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित यह योग प्रणाली केवल कुछ आसन करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र जीवन शैली है जो शरीर, मन और आत्मा को एकीकृत करती है। तो, आखिर क्या है यह अष्टांग योग और आज के समय में इसका क्या महत्व है? आइए विस्तार से जानते हैं।

क्या है अष्टांग योग? (What is Ashtanga Yoga?)
'अष्टांग' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - 'अष्ट' जिसका अर्थ है 'आठ' और 'अंग' जिसका अर्थ है 'हिस्से'। इस प्रकार, अष्टांग योग का अर्थ है 'योग के आठ अंग' या 'आठ गुना मार्ग'। महर्षि पतंजलि ने अपने 'योग सूत्र' में इन आठ अंगों का विस्तार से वर्णन किया है, जो आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की ओर ले जाने वाले चरण-दर-चरण अभ्यास हैं। ये आठ अंग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक साथ मिलकर व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास को सुनिश्चित करते हैं।

अष्टांग योग के आठ अंग निम्नलिखित हैं:
1. यम (Yama): ये सामाजिक आचार संहिता या नैतिक नियम हैं जो दूसरों के प्रति हमारे व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इसमें अहिंसा (अहिंसा), सत्य (ईमानदारी), अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (संयम) और अपरिग्रह (लालच से मुक्ति) शामिल हैं।
2. नियम (Niyama): ये व्यक्तिगत आचार संहिता या आत्म-अनुशासन के नियम हैं जो स्वयं के प्रति हमारे व्यवहार को निर्देशित करते हैं। इसमें शौच (शुद्धता), संतोष (संतुष्टि), तपस (तपस्या/अनुशासन), स्वाध्याय (आत्म-अध्ययन) और ईश्वर प्रणिधान (ईश्वर के प्रति समर्पण) शामिल हैं।
3. आसन (Asana): ये शारीरिक मुद्राएँ हैं जिन्हें स्थिरता और आराम से बनाए रखा जाता है। आसन शरीर को लचीला, मजबूत और स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं, जिससे ध्यान के लिए शरीर तैयार होता है।
4. प्राणायाम (Pranayama): यह श्वास नियंत्रण का अभ्यास है। 'प्राण' का अर्थ है जीवन शक्ति या श्वास, और 'आयाम' का अर्थ है नियंत्रण या विस्तार। प्राणायाम मन को शांत करने और ऊर्जा प्रवाह को नियंत्रित करने में सहायक है।
5. प्रत्याहार (Pratyahara): यह इंद्रियों को बाहरी वस्तुओं से हटाकर भीतर की ओर मोड़ने का अभ्यास है। इसका अर्थ है इंद्रियों को उनके विषयों से हटाकर मन के भीतर ले जाना।
6. धारणा (Dharana): यह एकाग्रता का अभ्यास है, जिसमें मन को किसी एक बिंदु या वस्तु पर केंद्रित किया जाता है। यह ध्यान की ओर पहला कदम है।
7. ध्यान (Dhyana): यह एकाग्रता की निरंतरता है, जिसमें मन बिना किसी रुकावट के एक ही वस्तु पर टिका रहता है। यह मन की गहरी शांति और स्पष्टता की अवस्था है।
8. समाधि (Samadhi): यह अष्टांग योग का अंतिम चरण है, जिसमें ध्याता (ध्यान करने वाला), ध्यान (ध्यान की प्रक्रिया) और ध्येय (जिस पर ध्यान केंद्रित किया गया है) एक हो जाते हैं। यह परमानंद और आत्म-साक्षात्कार की अवस्था है।


अष्टांग योग का महत्व (Importance of Ashtanga Yoga)
आज के भागदौड़ भरे जीवन में अष्टांग योग का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसके अभ्यास से हमें कई स्तरों पर लाभ मिलते हैं:
शारीरिक स्वास्थ्य: आसनों के नियमित अभ्यास से शरीर लचीला, मजबूत और रोगमुक्त बनता है। यह मांसपेशियों को टोन करता है, पाचन में सुधार करता है, रक्त परिसंचरण बढ़ाता है और विभिन्न शारीरिक बीमारियों जैसे पीठ दर्द, मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि को प्रबंधित करने में मदद करता है।
मानसिक शांति और स्पष्टता: प्राणायाम और ध्यान के अभ्यास से मन शांत होता है, तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है। यह चिंता, अवसाद और नींद संबंधी विकारों से निपटने में सहायक है। मन की स्पष्टता से निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
भावनात्मक संतुलन: यम और नियम के अभ्यास से व्यक्ति नैतिक और आत्म-अनुशासित बनता है। यह क्रोध, ईर्ष्या और भय जैसी नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे भावनात्मक स्थिरता आती है।
आध्यात्मिक विकास: अष्टांग योग का अंतिम लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार है। यह हमें अपने भीतर की गहराई से जुड़ने, जीवन के उच्च उद्देश्य को समझने और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करने में मदद करता है।
अनुशासन और जीवनशैली में सुधार: अष्टांग योग एक अनुशासित जीवन शैली को बढ़ावा देता है। यह हमें सात्विक भोजन, नियमित अभ्यास और सकारात्मक सोच अपनाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में समग्र सुधार होता है।

संक्षेप में, अष्टांग योग केवल एक व्यायाम प्रणाली नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन दर्शन है जो हमें अपने आंतरिक और बाहरी जगत के साथ सामंजस्य स्थापित करना सिखाता है। यह हमें केवल शारीरिक रूप से फिट नहीं बनाता, बल्कि मानसिक रूप से शांत और आध्यात्मिक रूप से जागृत भी करता है। आधुनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने और एक पूर्ण तथा सार्थक जीवन जीने के लिए अष्टांग योग एक शक्तिशाली और प्रभावी साधन है।

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