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Last Modified: रविवार, 1 जनवरी 2023 (20:30 IST)

Year Ender 2022 : भारत ने 2022 में समग्र सैन्य क्षमता को बढ़ाया

Year Ender 2022 : भारत ने 2022 में समग्र सैन्य क्षमता को बढ़ाया - In the year 2022, India increased the overall military capability
नई दिल्ली। भारत ने अपनी समग्र सैन्य क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने और दक्षिण एशिया में अपने रणनीतिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 2022 में एक प्रमुख अभियान शुरू किया। भारत ने साथ ही, पूर्वी लद्दाख में अनसुलझे सीमा गतिरोध के बीच चीनी सैनिकों द्वारा तवांग सेक्टर में किए गए दुस्साहस के बाद पड़ोसी देश से मंडराते खतरे पर फिर से ध्यान केंद्रित किया।

लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा करने वाले भारतीय सैनिकों ने व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत के अनुरूप एक स्पष्ट रुख बनाए रखा और अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के सैन्य प्लेटफॉर्म और हथियार खरीदे।

सैन्य वार्ता के 16वें दौर में लिए गए निर्णय के अनुरूप, दोनों पक्षों की सेना सितंबर में पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में ‘पेट्रोलिंग पॉइंट’ 15 से पीछे हट गई, लेकिन डेमचोक और डेपसांग क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच गतिरोध बना रहा।

भारत ने टकराव वाले स्थानों से सैनिकों के जल्द से जल्द पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दबाव बनाया। भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी के निकट एक स्थान पर 9 दिसंबर को झड़प हुई, जिसमें दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि चीनी सैनिकों ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में एलएसी पर यथास्थिति को 'एकतरफा' ढंग से बदलने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने दृढ़ता से कार्रवाई कर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

गौरतलब है कि पांच मई, 2020 को शुरू हुए पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद भारत लगभग 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी के निकट बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है। बीते वर्ष, भारत ने क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने के चीन के लगातार प्रयासों के बीच दक्षिण एशिया में लगभग सभी मित्र देशों के साथ सैन्य सहयोग का विस्तार किया।

राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों ने देश के सामने विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति तैयार की। सशस्त्र बलों ने महत्वपूर्ण संख्या में सैन्य प्लेटफार्म और हथियारों की खरीद शुरू कर दी, जिसमें हल्के टैंक, जहाज-रोधी मिसाइल, लंबी दूरी के निर्देशित बम, ‘माउंटेड गन सिस्टम’ और विभिन्न प्रकार के ड्रोन शामिल हैं।

भारत की परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी में बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। आईएनएस अरिहंत द्वारा एसएलबीएम (पनडुब्बी से बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण) का 14 अक्टूबर को सफल परीक्षण किया गया। मिसाइल का परीक्षण एक पूर्व निर्धारित सीमा तक किया गया और इसने बंगाल की खाड़ी में लक्ष्य को पूरी सटीकता से भेदते हुए सभी परिचालन और तकनीकी मानकों को पूरा किया।

अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस के साथ बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस परमाणु ऊर्जा-संचालित पनडुब्बियों वाला भारत छठा देश बन गया है। भारत ने दिसंबर में परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक है। यह परीक्षण देश की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है।

अग्नि-5 परियोजना का उद्देश्य चीन के खिलाफ भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। चीन के पास डोंगफेंग-41 जैसी मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 12,000-15,000 किलोमीटर के बीच है। भारतीय सेना एलएसी के नजदीक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। सड़कों, पुलों और गोला-बारूद डिपो के निर्माण से लेकर अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए, सेना सैनिकों को तेजी से पहुंचाने के लिए सैन्य बुनियादी ढांचे को तेज गति से विकसित कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण किया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की स्वदेश में क्षमताएं हैं।

नौसेना ने कहा कि विमानवाहक पोत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में भूमिका निभाने में सक्षम होगा। वर्ष 2022 में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पर कड़ी निगरानी रखने के अलावा जम्मू-कश्मीर में अपने आतंकवाद रोधी अभियानों को जारी रखा।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल फरवरी में भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा संघर्ष विराम का पालन करने पर सहमत होने के बाद, जम्मू कश्मीर में (नियंत्रण रेखा) के निकट (संघर्ष विराम) उल्लंघन की केवल 3 मामूली घटनाएं हुईं।

देश में तीनों सशस्त्र बलों में सैनिकों की भर्ती को लेकर ‘अग्निपथ’ नाम की एक ‘परिवर्तनकारी’ योजना की 14 जून को घोषणा की गई, जिसके तहत सैनिकों की भर्ती संक्षिप्त अवधि के लिए संविदा पर की जाएगी। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को सितंबर में देश का नया प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) नियुक्त किया गया।

जनरल बिपिन रावत की एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद से यह पद रिक्त था। पद रिक्त होने के नौ महीने से अधिक समय बाद यह नियुक्ति की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना के लिए सी-295 सैन्य परिवहन विमान के विनिर्माण केंद्र की आधारशिला रखी।

पिछले साल सितंबर में 21,935 करोड़ रुपए के समझौते के तहत, टाटा समूह यूरोप की कंपनी एयरबस के सहयोग से अपनी वडोदरा इकाई में 40 सी-295 परिवहन विमान का विनिर्माण करेगा। समझौते के मुताबिक, उड़ान के लिए तैयार 16 विमानों को सितंबर, 2023 से लेकर अगस्त, 2025 के बीच भारतीय वायुसेना को सौंप दिया जाएगा।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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