युवाओं को जोश व उत्साह से भरपूर कहा जाता है। कुछ लोग इन्हें असभ्य, बिगड़ैल और मनमौजी समुदाय के नाम से भी संबोधित करते हैं परंतु ऐसा कहते वक्त शायद वे इन युवाओं की अच्छाइयों को नजरअंदाज कर देते हैं।
युवा समाज की वो पीढ़ी है जो नवीनता व बदलाव की समर्थक है। इनका जीवनदर्शन ही बिल्कुल अलग है। ये जीवन को बोझ समझकर नहीं बल्कि ईश्वर का नायाब उपहार समझकर उसके हर क्षण का पूरा-पूरा लुत्फ उठाते हैं। यदि युवाओं की जीवनशैली व उनके विचारों को गंभीरता से समझा जाए तो हमें उनसे बहुत कुछ अच्छी बातें सीखने को मिलेंगी।
बदली है सोच :- आजकल के युवाओं की सोच बहुत अधिक बदली है। अब उनके पास ज्ञान का विपुल भंडार है। बस आवश्यकता है तो उनके ज्ञान, उनकी सोच को एक नई दिशा में मोड़ने की। आज युवा पहले की तुलना में अपनी जिम्मेदारियों व कार्यों के प्रति गंभीर हुए हैं। अब वो देश के बारे में गंभीरता से सोचने लगे हैं।
कोई नहीं है छोटा-बड़ा :- हमारे बड़े-बुजुर्ग भले ही जात-पाँत व ऊँच-नीच का भेदभाव रखते हैं परंतु सबमें घुल-मिल जाने वाले युवाओं की सोच इनसे बहुत परे है। वे अब इस प्रकार की दकियानूसी सोच से बहुत ऊपर उठ गए हैं। इन भेदभावों को नजरअंदाज करके वे एक साथ मिल बैठकर खाते-पीते व घुमते हैं। वे दोस्ती करने में कोई जात-पाँत नहीं देखते।
साथी बनना चाहते हैं हमारे :- युवा उत्साही होते हैं। उनमें हर चीज को सीखने की ललक होती है। यदि उन्हें बड़ों का साथ व बेहतर मार्गदर्शन मिल जाए तो वे क्या कुछ नहीं कर सकते? बड़ों को चाहिए कि वे उन पर शासन करने के बजाय उनके साथी बनकर उनके मन की बात जाने। यदि आप उनके साथी बनेंगे तो वे भी आपकी बातों व दी गई हिदायतों पर अमल करेंगे।
दायित्व के प्रति गंभीर :- दायित्व किसी भी व्यक्ति को जिम्मेदार बनाते हैं। युवा भी अपने दायित्वों के प्रति गंभीर होते हैं। वे जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाते हैं बशर्ते उन पर जिम्मेदारियाँ जबरदस्ती थोपी न जाएँ।