तुझे चाँद कहूँ या कहूँ हूर
नारियों को भाती है प्रशंसा
महिलाओं को प्रशंसा बड़ी प्रिय होती है। यह वह गुरुमंत्र है जिसे पुरुष हमेशा रटते रहते हैं और सही समय पर इसका उपयोग कर अपनी प्रेमिका व पत्नी का दिल जीत लेते हैं। प्रशंसा सुनना हर महिला को अच्छा लगता है। जब सजी-धजी महिला को कोई पुरुष 'सुंदर' या 'सेक्सी' कहकर बुलाए तो महिलाओं का सजना सार्थक हो जाता है और उसके भीतर अपनी सुंदरता को लेकर अभिमान आ जाता है। कहते हैं हीरे की कद्र जौहरी ही कर सकता है। उसी प्रकार हुनर व सुंदरता की पहचान कोई पारखी ही कर सकता है। यूँ तो दिल रखने के लिए झूठी तारीफ हर कोई करता है परंतु जो सच है उसे कहने की हिम्मत कोई नहीं करता है। |
महिलाओं को प्रशंसा बड़ी प्रिय होती है। यह वह गुरुमंत्र है जिसे पुरुष हमेशा रटते रहते हैं और सही समय पर इसका उपयोग कर अपनी प्रेमिका व पत्नी का दिल जीत लेते हैं। |
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* अच्छे काम की प्रशंसा जरूरी :- प्रशंसा, महिला के रूप-रंग, अच्छे फिगर की भी हो सकती है और उसके अच्छे काम की भी। दोनों ही प्रकार की प्रशंसा यदि सही वक्त पर की जाए तो उसमें कोई बुराई नहीं है। जो अच्छा है, उसे अच्छा कहने में कोई हर्ज नहीं है। कभी-कभी प्रशंसा प्रोत्साहन का कार्य भी करती है। इससे व्यक्ति में कुछ कर दिखाने की ललक पैदा होती है, जो उसे बहुत ऊँचाई पर ले जाती है। * कैसा हो अंदाज :- प्रशंसा का अंदाज हमेशा ऐसा होना चाहिए कि सामने वाले को आपकी बात का बुरा न लगे। ताने व उलाहना के रूप में की गई प्रशंसा अच्छी नहीं मानी जाती। हमारे अच्छे शब्द किसी के लिए प्रेरणा व प्रोत्साहन का कार्य कर सकते हैं तो वहीं बुरे शब्द किसी के दिल को छलनी-छलनी भी कर सकते हैं। प्रशंसा का अंदाज चापलूसीभरा न होकर के प्यारभरा होना चाहिए।