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Last Modified: सोमवार, 30 मई 2022 (12:37 IST)

वट सावित्री अमावस्या व्रत 2022 का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। Vat Savitri

वट सावित्री अमावस्या व्रत 2022 का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। Vat Savitri - Vat savitri puja vidhi and muhurt
ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन यानी 30 मई 2022 सोमवार को वट सावित्री का व्रत रखा जा रहा है। आओ जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजा की सरल विधि।
 
 
वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Vrat Shubh Muhurt) :
 
1. अमावस्या तिथि 29 मई रविवार को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर 30 मई सोमवार को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी।
 
2. अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:28 से 12:23 तक।
 
3. विजय मुहूर्त : दोपहर 02:12 से 03:06 तक।

4. अमावस्या तिथि : अमावस्या तिथि 29 मई 2022 को शाम 02 बजकर 54 मिनट से आरंभ होगी, जो कि 30 मई 2022 को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, 30 मई को वट सावित्री व्रत का विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन सुबह 07 बजकर 13 मिनट से अगले दिन 31 मई को सुबह 05 बजकर 09 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। 
 
वट सावित्री व्र‍त की पूजन सामग्री- Vat Savitri Vrat 2022 puja Samgri
1. सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या तस्वीर।
2. कच्चा सूत।
3. बांस का पंखा।
4. सुपारी।
5. पान।
6. नारियल।
7. लाल कपड़ा,
8. सिंदूर,
9. दूर्बा घास।
10. अक्षत।
11. सुहाग का सामान।
12. नकद रुपए।
13. लाल कलावा।
14. बरगद का फल।
15. धूप।
16. मिट्टी का दीपक।
17. घी।
18. फल (आम, लीची और अन्य फल)।
19. फूल।
20. बताशे।
21. रोली (कुमकुम)।
22. कपड़ा 1.25 मीटर।
23. इत्र।
24. पूड़ि‍यां।
25. भिगोया हुआ चना।
26. स्टील या कांसे की थाली।
27. मिठाई।
28. जल से भरा कलश।
29. घर में बना पकवान।
30. सप्तधान।
वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Pujan Vidhi) : वट सावित्री के दिन बरगद की पूजा का महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखकर बरगद की पूजा करती हैं। इस बार सर्वार्थसिद्धि योग में वट सावित्री की पूजा होगी। आप चाहें तो उपरोक्त सामग्री में में पूजा की खास सामग्रियां ही लेकर बरगद के पेड़ के पास जाएं।
 
1. नित्य कर्म और स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा सामग्री को एकत्रित कर उसे एक बांस की टोकरी में रखें।
 
2. इसके बाद जल से संपूर्ण घर में छिड़काव करें और बांस की टोकरी में भी छिड़काव करके सभी सामग्री को शुद्ध कर लें।
 
3. एक दूसरी बांस की टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्तियां या तस्वीर स्थापित कर लें।
 
4. अब टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें। ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें।  इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें।
 
5. अब इसके बाद ब्रह्मा तथा सावित्री का पूजन करें। फिर सावित्री और सत्यवान की पूजा करें और बरगद के वृक्ष जी जड़ में जल अर्पित करें।
 
6. अब बरगद की पूजा करें। पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें।
 
7. फिर बरगद के वक्ष के तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन या सात बार परिक्रमा करें।
 
8. अब बड़ के पत्तों के गहने पहनकर सत्यवान और सावित्री की कथा सुनें या पढ़ें।
 
9. फिर भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नेक रखकर सास के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन्हें बाद में भेंट करें।
 
10. पूजा के बाद सभी की आरती करें और अंत में दान करें और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें।
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