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Last Updated : शनिवार, 19 फ़रवरी 2022 (18:15 IST)

TRI Energy Symbols : स्वास्तिक, ॐ और त्रिशूल का मिलाजुला चिन्ह है घर पर, तो नहीं लगेगी बुरी नज़र

TRI Energy Symbols : स्वास्तिक, ॐ और त्रिशूल का मिलाजुला चिन्ह है घर पर, तो नहीं लगेगी बुरी नज़र - Trishul Om Swastika vastu tips
Trishul, Om, Swastika
Buri nazar se bachne ke upay Vastu Tips : वास्तु शास्त्र में स्वास्तिक, ॐ और त्रिशूल को बहुत ही शुभ माना जाता है। तीनों ही चिन्हों का प्राचीन काल से ही उपयोग होता आया है। आओ जानते हैं कि इन तीनों को कैसे और कहां लगाने से बुरी नज़र घर से रहेगी दूर।
 
 
1. त्रिशूल ( Trishul ) : त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक भी है। इसमें 3 तरह की शक्तियां हैं- सत, रज और तम। त्रिशूल के 3 शूल सृष्टि के क्रमशः उदय, संरक्षण और लयीभूत होने का प्रतिनिधित्व करते भी हैं। त्रिशूल के 3 शूल सृष्टि के क्रमशः उदय, संरक्षण और लयीभूत होने का प्रतिनिधित्व करते भी हैं। शिव तीनों भूमिकाओं के अधिपति हैं। यह शैव सिद्धांत के पशुपति, पशु एवं पाश का प्रतिनिधित्व करता है। माना जाता है कि यह महाकालेश्वर के 3 कालों (वर्तमान, भूत, भविष्य) का प्रतीक भी है। इसके अलावा यह स्वपिंड, ब्रह्मांड और शक्ति का परम पद से एकत्व स्थापित होने का प्रतीक है। यह वाम भाग में स्थिर इड़ा, दक्षिण भाग में स्थित पिंगला तथा मध्य देश में स्थित सुषुम्ना नाड़ियों का भी प्रतीक है।
 
 
2. ओम ( Om ) : ॐ अनहद नाद का प्रतीक है। ब्रह्मांड में इसी तरह का नाद लगातार गूंज रहा है। ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोक का प्रतीक है। ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त 'ओ' पर ज्यादा जोर होता है। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है। शिव पुराण मानता है कि नाद और बिंदु के मिलन से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। नाद अर्थात ध्वनि और बिंदु अर्थात शुद्ध प्रकाश। यह ध्वनि आज भी सतत जारी है। संपूर्ण ब्रह्मांड और कुछ नहीं सिर्फ कंपन, ध्वनि और प्रकाश की उपस्थिति ही है।
 
 
3. स्वस्तिक ( Swastika ) : स्वस्तिक शब्द को 'सु' और 'अस्ति' दोनों से मिलकर बना है। 'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्तिका' अर्थ है होना यानी जिससे 'शुभ हो', 'कल्याण हो' वही स्वस्तिक है।  द्वार पर और उसके बाहर आसपास की दोनों दीवारों पर स्वस्तिक को चिन्न लगाने से वास्तुदोष दूर होता है और शुभ मंगल होता है। इसे दरिद्रता का नाश होता है। स्वस्तिक बनाकर उसके ऊपर जिस भी देवता की मूर्ति रखी जाती है वह तुरंत प्रसन्न होता है।
 
4. तीनों का मिलाजुला रूप त्रिशक्ति यंत्र ( Tri Shakti Yantra ) : आजकल बाजार में इन तीनों का मिलाजुला एक चिन्ह मिलता है। सबसे ऊपर त्रिशूल, बीच में ओम और अंत में स्वस्तिक। तीनों को मिलाकर बना यह चिन्ह द्वार के ऊपर लगाया जाता है। इससे लगाने से जहां बुरी नजर से, नकारात्मक शक्ति से और भूत प्रेतों से बचा जा सकता हैं वहीं इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है जिसके चलते घर में सुख, शांति और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।