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Written By हिमा अग्रवाल
Last Modified: रविवार, 29 मई 2022 (21:20 IST)

Mahapanchayat में गरजे टिकैत बंधु, योगी सरकार को चेतावनी- किसानों को नहीं मिली बिजली तो शहर में रोक देंगे आपूर्ति

Rakesh tikait
मुजफ्फरनगर। पश्चिमी उत्तरप्रदेश किसान में अपनी खोई साख को बचाने के लिए बालियान खाप के अध्यक्ष और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने एक महापंचायत करके जाट खाप के मुखिया यानी चौधरियों को एकत्रित किया।

इस महापंचायत में नरेश टिकैत ने गरजते हुए उत्तरप्रदेश सरकार को भूमि अधिग्रहण और बिजली समस्या पर खुली चुनौती दे दी है। उन्होंने योगी सरकार पर हल्ला बोलते हुए कहा कि यदि गांव को बिजली नहीं मिली तो वे शहर की सप्लाई भी रोक देंगे, किसानों के खेतों में खड़े बिजली के पोल उखाड़ दिए जाएंगे। राकेश टिकैत ने केन्द्र और यूपी सरकार को एक नए बड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी है। 
 
रविवार को मुजफ्फरनगर स्थित अपने घर पर नरेश टिकैत ने जाट चौधरियों के बीच किसानों के तमाम मुद्दे उठाएं, उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की भूमि का अधिग्रहण कर रही है, उचित मूल्य नहीं मिल रहा, वहीं गांवों में बिजली की स्थिति भी अच्छी नहीं है। ऐसे में सरकार सुन लें मैं ज्यादा बड़ी बात नहीं कहता हूं, बस सचेत कर रहा हूं कि वह शहरों में बिजली नही जाने देंगे।
 
मौका था देश के पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरणसिंह की बरसी का। चौधरी चरणसिंह को याद करते हुए काकड़ा गांव में बालियान खाप ने किसान मजदूर महापंचायत का आयोजन किया गया। भारतीय किसान यूनियन के दो फाड़ होने के बाद यह बालियान खाप की पहली महापंचायत हुई है। इस महापंचायत को एक तरह का शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है।

मुजफ्फरनगर में हुई इस पंचायत में पश्चिम यूपी, हरियाणा, पंजाब और विभिन्न अन्य राज्यों के विभिन्न खाप के चौधरियों सहित कई संगठनों के सदस्य शामिल हुए। खाप चौधरियों की मौजूदगी में ने सामाजिक कुरूतियों के साथ किसानों की समस्याओं को लेकर 8 प्रस्ताव पास हुए।

किसान संयुक्त मोर्चा से जल्द से जल्द वार्ता शुरू करें, एमएसपी गारंटी कानून, बिजली, एनजीटी जैसे मुद्दों का समाधान हो, किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को बिना शर्त वापस लिया जाए, शहीद किसानों के परिवारों को उचित मुआवजा और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिले।
 
मंच से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने सरकार को चेताया कि गांव और किसानों को बिजली नहीं मिल रही है, यदि किसान बिजली की समस्या से जूझेगा तो शहर में भी बिजली सप्लाई नहीं होने देंगे। शहर में बिजली आपूर्ति के लिए बड़ी-बड़ी लाइनें किसानों के खेतों से होकर जाती हैं। ऐसे में हम किसान इन बिजली की लाइनों को उखाड़ कर फेंक देंगे। शायद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जानकारी नहीं है, अधिकारी पर्दे के पीछे लूट कर रहे हैं। किसान और प्रदेश की जनता बेहाल है।
 
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा की वर्तमान सरकार तोड़फोड़ की राजनीति करते हुए उत्तरप्रदेश में हिन्दू-मुस्लिम कर रही है। यही सरकार हरियाणा में जाकर जाट और नॉन जाट के बीच राजनीति कराती है और गुजरात में जाकर पटेल और नॉन पटेल की राजनीति, महाराष्ट्र में जाकर भी महाराष्ट्र और नॉन महाराष्ट्र की राजनीति करने में जुटी है।

कृषि आंदोलन के समय पंजाब का सिख किसान हमारे साथ जुड़ा, लेकिन सरकार को यह अच्छा नहीं लगा, सरकार ने पंजाब में जाकर सिख और जाट के बीच राजनीति करनी शुरू कर दी है। इस सबके लिए हमें सरकार से हमें कड़ा मुकाबला करना पड़ेगा।
 
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों को डराने का काम न करें, हम सरकार से बातचीत करने को तैयार हैं। हम किसी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ नहीं है बल्कि सरकार की पॉलिसी के खिलाफ है। मैं सरकार से दो टूक कहना चाहता हूं कि इस क्षेत्र को सरकार जितना दबाने का काम करेगी तो यह क्षेत्र आपको नुकसान देगा। सरकार कान खोलकर सुन ले कि वे हमें दबा नहीं सकते।

हम सरकार से बातचीत करना चाहते हैं, डरकर नही, सरकार बातचीत करने की मंशा को हमारी कमजोरी नहीं समझे। सरकार किसानों के ट्यूबवेल और घरों पर जबरदस्ती मीटर नहीं लगा सकते। मीटर लगाने से पहले पॉलिसी बतानी पड़ेगी बहुत से प्रदेश में बिजली फ्री है दिल्ली में भी बिजली फ्री है।
 
चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र को नक्सलवाद की तरफ धकेल रही है, लेकिन हम सरकार के इन मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे। सरकार ने गीदड़ों से दोस्ती कर रखी है, याराना करना है तो शेरों से करो, वही जो समाज के खिलाफ चलेगा उसे भेड़िया ही कहा जाएगा। बिजली समस्या को लेकर नरेश टिकैत बोले, अगर किसानों के घर में अंधेरा रहेगा तो हम दूसरों के घर में रोशनी नहीं होने देंगे। किसानों के सामने समस्याओं का अंबार है सरकार को किसानों से बात करनी होगी वरना आंदोलन के अलावा और कोई दूसरा रास्ता किसानों के पास नही है।
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