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Written By Author संदीप श्रीवास्तव
Last Updated : शुक्रवार, 28 अगस्त 2020 (22:27 IST)

कोरोना के चलते अयोध्या में सादगी से मनी भगवान श्रीचंद्र जयंती

कोरोना के चलते अयोध्या में सादगी से मनी भगवान श्रीचंद्र जयंती - Ayodhya bhagwan shrichandra Jaynti
अयोध्या। उदासीन संप्रदाय के संस्थापक भगवान श्रीचंद्र जी का पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार व प्रसार में समर्पित रहा। उनके द्वारा उदासीन आश्रमों की स्थापना कर सनातन धर्म को नई गति देने का प्रयास किया गया।
 
अयोध्या में स्थापित संगत ऋषि उदासीन आश्रम सनातन धर्म की प्रमुख धरोहर है। यहां पर सनातन परंपरा, धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन और गुरुकुल प्रथा को जीवित रखने व समाज की सेवा के कार्य किए जा रहे हैं। 27 अगस्त को भगवान श्रीचंद्र जी का 526वां जयंती महोत्सव मनाया गया।
 
आश्रम के प्रमुख महंत डॉ. भरत दास जी महाराज ने बताया कि विगत वर्षों में इस जयंती महोत्सव को बड़े व्यापक स्तर पर भव्य व दिव्य रूप में मनाते रहे हैं, किन्तु इस बार कोरोना संक्रमण के मद्देनजर कई कार्यक्रम स्थगित किए गए हैं। श्रीचंद्र भगवान जो कि हम सभी के लिए परम आराध्य हैं। इसलिए उनका प्रकाशोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सबसे पहले आश्रम की परंपरा के अनुसार अभिषेक व विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। 
 
गुरु नानक देव जी के पुत्र के रूप में जन्म : डॉ. भरत दास ने बताया की उदासीनाचार्य भगवान श्रीचंद्र जी महाराज का जन्म भाद्रपद शुक्ल नवमी विक्रम संवत 1551 में माता सुलक्षणा के गर्भ से गुरु नानक देव जी के पुत्र के रूप में हुआ था। श्रीचंद्र जी महाराज आत्मनिष्ठ दृढ़ सकंल्प, योग साधाना व पारदर्शिता के धनी थे।
 
उन्होंने जन कल्याणार्थ अनेक रचनाएं की हैं। भरत दास जी महाराज ने बताया कि पूरे विश्व में कोरोना महामारी के कारण श्रीचंद्र भगवान और आश्रम से जुड़े अनुयायियों को नहीं बुलाया गया। क्योंकि वर्तमान समय में कोरोना पूरे भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहा है।