शुक्रवार, 10 जनवरी 2025
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Written By WD

ताईद ए ग़ज़ल : मुनफरीद अशआर

ताईद ए ग़ज़ल : मुनफरीद अशआर -
ND
ताईद ए ग़ज़ल के बारे में दो-चार इशारे क्या कम हैं
नौ लम्बी-लम्बी नज़्मों से नौ शे'र हमारे क्या कम हैं -शाद आरफ़ी

ग़ज़ल कहनी न आती ठीक तो सौ सौ शे'र कहते थे
मगर इक शे'र भी ऐ मीर अब मुश्किल से होता है -मीरतक़ी मीर

बुरी नहीं है मुज़फ़्फ़र कोई भी सिंफ़ ए सुखन
क़लम ग़ज़ल के असर में रहे तो अच्छा है -मुज़फ़्फ़र हनफी

जो शख़्स मुद्दतों मेरे शैदाइयोँ में था
आफ़त के वक़्त वो भी तमाशाइयोँ में था -शकीला बानो

मर कर भी दिखा देंगे तेरे चाहने वाले
मरना कोई जीने से बड़ा काम नहीं है -शकीला बानो

मेरा दिल कुछ मुझे समझा रहा है
मैं कुछ दिल को नसीहत कर रहा हूँ -शे'री भोपाली

ये इलतिफ़ात ए खास, ये पेहम नवाज़िशें
जैसे हक़ीक़तन वो मेरे ग़मगुसार हैं -नमालूम

तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं -इक़बाल

चुल्लू भर में मतवाली, दो ही घूँट में खाली
ये भरी जवानी क्या, जज़्बाए लबालब क्या -यगाना चंगेज़ी

तुझे भूल जाना तो है ग़ैरमुमकिन
मगर भूल जाने को जी चाहता है -जिगर

तबीयत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
तो ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं -फ़िराक़

शाम भी ठीक धुआँ-धुआँ दिल भी था उदास-उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं -फ़िराक़

खंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम अमीर
सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है -अमीर मीनाई