ताईद ए ग़ज़ल : मुनफरीद अशआर
ताईद ए ग़ज़ल के बारे में दो-चार इशारे क्या कम हैंनौ लम्बी-लम्बी नज़्मों से नौ शे'र हमारे क्या कम हैं -शाद आरफ़ीग़ज़ल कहनी न आती ठीक तो सौ सौ शे'र कहते थेमगर इक शे'र भी ऐ मीर अब मुश्किल से होता है -मीरतक़ी मीर बुरी नहीं है मुज़फ़्फ़र कोई भी सिंफ़ ए सुखनक़लम ग़ज़ल के असर में रहे तो अच्छा है -मुज़फ़्फ़र हनफीजो शख़्स मुद्दतों मेरे शैदाइयोँ में थाआफ़त के वक़्त वो भी तमाशाइयोँ में था -शकीला बानोमर कर भी दिखा देंगे तेरे चाहने वालेमरना कोई जीने से बड़ा काम नहीं है -शकीला बानो मेरा दिल कुछ मुझे समझा रहा है मैं कुछ दिल को नसीहत कर रहा हूँ -शे'री भोपालीये इलतिफ़ात ए खास, ये पेहम नवाज़िशें जैसे हक़ीक़तन वो मेरे ग़मगुसार हैं -नमालूम तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरातेरे सामने आसमाँ और भी हैं -इक़बाल चुल्लू भर में मतवाली, दो ही घूँट में खालीये भरी जवानी क्या, जज़्बाए लबालब क्या -यगाना चंगेज़ीतुझे भूल जाना तो है ग़ैरमुमकिन मगर भूल जाने को जी चाहता है -जिगरतबीयत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों मेंतो ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं -फ़िराक़ शाम भी ठीक धुआँ-धुआँ दिल भी था उदास-उदास दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं -फ़िराक़ खंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम अमीर सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है -अमीर मीनाई