हर इक कह रहा है मेरे वोटरों, मुझे वोट दो, तुम मुझे वोट दो दलीलें हैं सब की बहुत ख़ुशनुमा, हर इक गोया हक़दार है वोट का बड़े मख़मसे में हैं वोटर फँसे, किसे वोट दें और वादा किसे जो वोटर हैं बेचारे सादा सुभाव, मुसीबत है उनके लिए ये चुनाव वो बेचारे किस की हिमायत करें, किसे वोट दें किस की हामी भरें अगर इस तरफ़ उनका फ़रज़न्द है, उधर भी तो उनका जिगर बन्द है जँवाई इधर है नवासा उधर, इधर भांजा है भतीजा उधर अभी साला उठ के गया भी न था, कोई लेके बेहनोई को आ गया अजब कश्मकश में है वोटर का दिल, बहुत ही परेशाँ बहुत मुज़महिल सहर से है ता शाम तांता बँधा, उठा एक और आ गया दूसरा कभी तज़किरा क़ौमी हालात का, कभी ज़िक्र सेलाब-ओ-बरसात का ग़रज़ हैं इलेक्शन की बातें अजब, कहें तो ग़ज़ब न कहें तो ग़ज़ब कहाँ तक करे कोई इनका बयाँ, है शैतान की आँत ये दास्ताँ मुझे तो नहीं फिर भी कुछ पेश-ओ-पस, मगर ताब-ए-गुफ़तार कहती है बस