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Written By UN
Last Modified: मंगलवार, 19 अगस्त 2025 (16:56 IST)

विश्व मानवतावादी दिवस 2025: मानवीय कार्यकर्ताओं की बढ़ती मौतों पर चिंतन

Reflection on the rising deaths of humanitarian workers
मंगलवार को पुष्टि हुई कि पिछले वर्ष रिकॉर्ड 383 मानवीय कार्यकर्ता अपना काम करते हुए मारे गए है। इसके बावजूद ग़ाज़ा में तैनात एक वरिष्ठ संयुक्त राष्ट्र कार्यकर्ता ने मानवीय समुदाय की ओर से यह संकल्प दोहराया कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, वे हर जगह लोगों की जान बचाने व उनकी पीड़ा कम करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।

विश्व मानवतावादी दिवस पर ग़ाज़ा के युद्धग्रस्त क्षेत्र से यूएन न्यूज़ से बातचीत करते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता समन्वय कार्यालय (OCHA) की ओल्गा चेरेव्को ने बताया कि यहाँ मानवीय कार्यकर्ता “हर दिन, बिना रुके काम पर आते हैं”

ग़ाज़ा युद्ध को दो साल पूरे होने वाले हैं। ओल्गा चेरेव्को ने अपने फ़लस्तीनी सहयोगियों की दृढ़ता की सराहना करते हुए कहा, “इनमें डॉक्टर, नर्सें और मानवीय कार्यकर्ता शामिल हैं, जिनका सबकुछ कई बार छिन चुका है, लेकिन इसके बावजूद वे लगातार डटे हैं"

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दुनिया भर के मानवीय कार्यकर्ताओं के समर्थन में कहा, “मानवीय टीमें संघर्ष या आपदा से प्रभावित 30 करोड़ से अधिक लोगों की आख़िरी जीवनरेखा हैं”

उन्होंने चेतावनी दी कि उनकी जीवनरक्षक भूमिका के बावजूद वित्तीय कटौतियों का गम्भीर असर दुनिया के सबसे नाज़ुक और असुरक्षित लोगों पर पड़ रहा है। साथ ही, सहायता कर्मी लगातार हमलों का शिकार हो रहे हैं, और बिना किसी दंड के भय के मानवीय मर्यादाओं की 'लाल रेखाएं' खुलेआम पार की जा रही हैं"

महासचिव ने कहा कि यह स्थिति तब है, जबकि ऐसे हमले अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत प्रतिबंधित हैं। उन्होंने याद दिलाया कि सरकारों ने मानवीय कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का वादा किया है, लेकिन “राजनैतिक इच्छाशक्ति और नैतिक साहस ग़ायब है" उन्होंने कहा, "मानवीय कार्यकर्ताओं का सम्मान व रक्षा होना चाहिए। उन्हें किसी भी हाल में निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।

मदद न कर पाने की बेबसी : ग़ाज़ा के मध्य क्षेत्र दीर अल-बलाह से ओल्गा चेरेव्को ने मानवीय कार्य की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवनरक्षक मिशनों में देरी होने पर सहायता टीमें अक्सर निराशा का सामना करती हैं, क्योंकि इससे वे ज़रूरतमन्दों तक बड़े पैमाने पर मदद नहीं पहुंचा पातीं। उन्होंने कहा, “एक मानवीय कार्यकर्ता के रूप में, मैं ग़ाज़ा में कई बार ख़ुद को बेबस महसूस करती हूं। मुझे पता है कि हम क्या कर सकते हैं, लेकिन जब हम ऐसा नहीं कर पाते, तो यह और भी कठिन हो जाता है- सिर्फ़ ग़ाज़ा में ही नहीं, बल्कि हर मानवीय संकट में"

उन्होंने बताया, "हम बड़े पैमाने पर सहायता पहुंचाने में लगातार भारी बाधाओं का सामना कर रहे हैं। हमारे मिशनों में देरी होती है, कभी-कभी वे 12, 14 या 18 घंटे तक खिंच जाते हैं, और जो रास्ते हमें दिए जाते हैं, वे अक्सर ख़तरनाक, दुर्गम या फिर बिल्कुल पहुंच से बाहर होते हैं"

हत्या की घटनाओं में तेज़ उछाल : नवीनतम आंकड़े दिखाते हैं कि 2023 की तुलना में मानवीय कार्यकर्ताओं की मौतों में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण ग़ाज़ा में जारी भीषण संघर्ष है।

2024 में ग़ाज़ा पट्टी में 181 और सूडान में 60 मानवीय कार्यकर्ताओं की मौत हुई। व्यापक स्तर पर देखें तो 2023 की तुलना में 2024 में 21 देशों में मानवीय कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़े, जिनमें अधिकतर मामलों में हमलावर सरकारी पक्ष से जुड़े थे। चिन्ताजनक बात यह है कि इस वर्ष भी यह प्रवृत्ति धीमी पड़ने के कोई संकेत नहीं नज़र आ रहे हैं। सहायता कर्मी सुरक्षा डेटाबेस के अन्तरिम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 14 अगस्त 2025 तक ही 265 मानवीय कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है।
Edited By: Navin Rangiyal
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