टोक्यो:भारत का 15 सदस्यीय निशानेबाजी दल 23 जुलाई से यहां शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों के लिये सहयोगी स्टाफ के साथ शनिवार को खेल गांव पहुंचा। भारतीय निशानेबाजी टीम मई के शुरू से ही अभ्यास और प्रतियोगिताओं के लिये क्रोएशिया में थी और वह जगरेब से सीधे टोक्यो पहुंची है।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने निशानेबाजों के टोक्यो पहुंचने की पुष्टि की। भारत के अधिकतर खिलाड़ी शनिवार की रात को यहां से विशेष विमान से टोक्यो के लिये रवाना होंगे।
भारतीय निशानेबाजों को पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। वे तैयारियों के सिलसिले में 11 मई को जगरेब रवाना हो गये थे। उन्होंने हालांकि हाल में ओसिएक में समाप्त हुए आईएसएसएफ विश्व कप में अनुकूल प्रदर्शन नहीं किया। भारतीय टीम ने एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक जीते और वह 10वें स्थान पर रही थी।
हमारे निशानेबाज पदक की शीर्ष संभावनाओं में शामिल: रनिंदर सिंह
उम्मीदें किसी दो-धारी तलवार की तरह होती है लेकिन भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रनिंदर सिंह का मानना है कि ऐसी स्थिति में टोक्यो ओलंपिक में उनके निशानेबाज सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे क्योंकि उनमें दबाव में बेहतर करने की क्षमता है।
जापान की राजधानी में होने वाले आगामी खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व रिकॉर्ड 15 निशानेबाज करेंगे। पिछले कुछ वर्षों में असाधारण प्रदर्शन करने वाले ये निशानेबाज इन खेलों में पदक के बड़े दावेदार है।
रनिंदर ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, यह (भारतीय निशानेबाजी टीम) निश्चित रूप से ओलंपिक पदक के लिए हमारी शीर्ष संभावनाओं में से एक है।
ओलंपिक का आयोजन 23 जुलाई से आठ अगस्त तक टोक्यो सहित जापान के कुछ अन्य शहरों में होगा। इसमें निशानेबाजी प्रतियोगिताओं का आयोजन उद्घाटन समारोह के एक दिन बाद शुरू होगा और लगातार 10 दिनों तक जारी रहेगा।
रनिंदर के टोक्यो में एनआरएआई प्रमुख के रूप में नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (आईएसएसएफ) का उपाध्यक्ष के रूप में रहने की संभावना है।
इन खेलों के शुरू होने से एक सप्ताह पहले उन्होंने कहा, मैं निश्चित रूप से आशान्वित हूं (हमारे निशानेबाजों के अच्छे प्रदर्शन के लिए)। वास्तव में आशा से अधिक, मुझे विश्वास है कि वे बहुत अच्छा करेंगे।
उन्होंने कहा, भारतीय दल में युवाओं और अनुभव का एक अद्भुत मिश्रण है। यह अच्छा है कि लोगों को उम्मीदें हैं। इसका मतलब है कि हमने कुछ सही किया है।
भारतीय निशानेबाजों ने कोरोना वायरस महामारी से खेलों के प्रभावित होने से पहले अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया था। सौरभ चौधरी और मनु भाकर जैसे युवा निशानेबाजों के आने बाद भारत 2019 में आईएसएसएफ के चारों विश्व की तालिका में शीर्ष पर रहा।
इन शानदार प्रदर्शनों से टीम की उम्मीदें बढ़ी है लेकिन ऐसी ही उम्मीदें रियो ओलंपिक में भी थी जहां पांच साल पहले भारतीय निशानेबाज दबाव में एक भी पदक जीतने में नाकाम रहे। रियो 2016 से पहले लगातार तीन ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों ने पदक जीते थे।
इस अनुभवी खेल प्रशासक ने कहा, यह (उम्मीद) निश्चित रूप से अतिरिक्त दबाव डाल सकता है लेकिन एक ओलंपिक खिलाड़ी को ऐसी सभी चुनौतियों से पार पाने और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए जाना जाता है। जैसा कि आप जानते हैं कुछ खिलाड़ी दबाव में कामयाब होते हैं। इसलिए दबाव दोनों तरह से काम कर सकता है। हम टोक्यो में देखेंगे।
रियो ओलंपिक के जिक्र पर उन्होंने कहा, यह सब सीखने की प्रक्रिया है। एक टीम के रूप में हमने जिस तरह से वापसी की है, उससे पता चलता है कि हमने रियो को पीछे छोड़ दिया है। अब हमारा लक्ष्य नयी यादें को बनाना होना चाहिए। उम्मीद है कि इस बार हमें कड़वे से ज्यादा मीठे अनुभव मिलेंगे। (भाषा)