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Last Updated : शनिवार, 17 जुलाई 2021 (12:50 IST)

1964 टोक्यो ओलंपिक में भारत ने हॉकी में दी थी पाक को खिताबी मात, पूरे मैच में थे तनावपूर्ण हालात

1964 टोक्यो ओलंपिक में भारत ने हॉकी में दी थी पाक को खिताबी मात, पूरे मैच में थे तनावपूर्ण हालात - India clashed with Pakistan in High octane battle in Tokyo olympics 1964
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच खेल के मैदान पर यूं तो हर मुकाबला तनावपूर्ण होता है लेकिन बात ओलंपिक की हो और दाव पर स्वर्ण पदक हो तो तनाव का आलम की कुछ और रहा होगा। टोक्यो में 1964 में दोनों हॉकी टीमें फाइनल में आमने सामने थी और तनाव इतना कि अंपायरों को दखल देना पड़ा।
 
रोम में चार साल पहले फाइनल हारने वाली भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 1-0 से हराकर टोक्यो ओलंपिक 1964 में पीला तमगा जीता था । मोहिंदर लाल ने भारत के लिये विजयी गोल दागा था और गोलकीपर शंकर लक्ष्मण ने पाकिस्तान के हर जवाबी हमले को दीवार की तरह रोका ।
 
टोक्यो 1964 में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे चरणजीत सिंह ने कहा ,‘‘ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल और पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल काफी कठिन थे। फाइनल में तो तनाव इतना हो गया था कि अंपायरों को दखल देना पड़ा। ’’
 
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने अपने खिलाड़ियों से कहा कि उनसे बात करके समय बर्बाद करने की बजाय अपने खेल पर ध्यान दो । चुनौती कड़ी थी लेकिन हमने सब्रे के साथ बेहतरीन प्रदर्शन करके एक गोल से मैच जीत लिया।’’
 
रोम ओलंपिक 1960 में चोट के कारण पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल नहीं खेल सके सेंटर हाफ बैक चरणजीत ने कहा ,‘‘ टोक्यो में हमने वह कसर पूरी कर दी। वहां से लौटने के बाद हवाई अड्डे पर हुआ भव्य स्वागत आज भी याद है। हम सभी के लिये वह यादगार पल था।’’
 
 
ओलंपिक में हाकी में भारत का वह सातवां स्वर्ण पदक था। भारतीय टीम लीग चरण में शीर्ष पर रही और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 3-1 से हराया। पाकिस्तान के खिलाफ लगातार तीसरा ओलंपिक फाइनल था और टोक्यो में जीत भारत के नाम रही।
 
अब उसी शहर में फिर ओलंपिक होने जा रहे हैं और 90 वर्ष के चरणजीत ने भारतीय महिला और पुरूष दोनों टीमों को शुभकामना देते हुए इतिहास दोहराने का आग्रह किया है।
 
 
हाल ही में हॉकी इंडिया की एक विज्ञप्ति में उन्होंने कहा ,‘‘ मैं हमारी दोनों टीमों को टोक्यो ओलंपिक के लिये शुभकामना देता हूं। ओलंपिक में पदक जीतना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे देश में हॉकी को नयी उम्मीद मिलेगी। उम्मीद है कि 1964 की तरह वे पदक लेकर लौटेंगे।’ 
 
पाकिस्तान टीम टोक्यो में मौजूद नहीं तो भारत का समर्थन करेंगे यह दिग्गज पूर्व हॉकी खिलाड़ी
 
 
अपनी टीम की गैर मौजूदगी में भारतीय हॉकी टीम का समर्थन करने वाले पाकिस्तान के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता पूर्व कप्तान हसन सरदार ने कहा कि मानसिक दृढता और आक्रामकता से खेलने पर मनप्रीत सिंह की टीम टोक्यो ओलंपिक में पदक जीत सकती है।
 
सरदार ने कराची से भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा ,‘‘ चूंकि पाकिस्तानी हॉकी टीम टोक्यो ओलंपिक में नहीं है तो मै भारतीय टीम का समर्थन करूंगा । पिछले दो तीन साल में भारत ने जबर्दस्त हॉकी खेलकर दुनिया की शीर्ष टीमों को हराया है और मुझे लगता है कि टोक्यो में खिताब की प्रबल दावेदारों में होगी।’’उन्होंने भारतीय टीम की फिटनेस की तारीफ करते हुए कहा कि इस मामले में वे दुनिया की शीर्ष टीमों के समकक्ष हैं।
 
उन्होंने कहा ,‘‘ भारत के पूर्व मुख्य कोच रोलेंट ओल्टमेंस कुछ समय तक पाकिस्तानी टीम के साथ भी जुड़े थे । उनका मानना था कि फिटनेस के मामले में भारत अब नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया , बेल्जियम जैसी शीर्ष टीमों से कम नहीं है। इसका असर उनके प्रदर्शन पर भी देखने को मिला।’’
 
 
बड़े टूर्नामेंटों और मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिये मशहूर रहे सरदार ने भारतीय टीम को मानसिक मजबूती और आक्रामकता के साथ खेलने की सलाह देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी कामयाबी का भी यही राज था।
 
उन्होंने कहा ,‘‘ भारतीय स्टिक वर्क और फिटनेस में किसी से कम नहीं । कई बार मानसिक दृढता की कमी दिखती है लेकिन ओलंपिक के स्तर पर इससे पार पाना होगा। कोरोना काल में तो यह और भी जरूरी है और जरूरत पड़ने पर खेल मनोवैज्ञानिक की सेवा ली जा सकती है।’’
 
 
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सेंटर फॉरवर्ड में शुमार सरदार की कप्तानी में पाकिस्तानी हॉकी टीम ने आखिरी बार लॉस एंजिलिस ओलंपिक में पीला तमगा जीता था। वह 1982 मुंबई विश्व कप में पाकिस्तान की खिताबी जीत के भी सूत्रधार थे। उन्होंने 1984 ओलंपिक में सर्वाधिक 11 और विश्व कप में सर्वाधिक 10 गोल दागे थे।
 
लॉस एंजिलिस ओलंपिक में पाकिस्तान की जीत के सूत्रधार रहे सरदार ने कहा कि वह मानसिक रूप से पूरी तैयारी के साथ उतरे थे कि उन्हें कम से कम दस गोल करने हैं जो उन्होंने किये।
 
 
उन्होंने कहा ,‘‘ हमने माहौल ऐसा बना दिया था कि टीम का हर सदस्य एक दूसरे को प्रेरित करता रहता था । हमारे कोच जब भी मुझे देखते तो दोनों हाथ की मुट्ठी खोलकर दस का इशारा करते यानी मुझे याद दिलाते कि दस गोल करने हैं।’’
 
उन्होंने बताया ,‘‘ सेमीफाइनल में हमें ऑस्ट्रेलिया से खेलना था और मुझे याद है कि उनके कोच ने मैच से एक दिन पहले हमें चुनौती दी कि उन्हें हराने के लिये हमें कम से कम तीन गोल करने होंगे । तीन तो नहीं लेकिन मैने एक गोल किया और आस्ट्रेलिया हमारे खिलाफ एक भी गोल नहीं कर सका।’
 
 
सरदार ने कहा ,‘‘ यही मजबूती भारत को दिखानी होगी और इसके साथ आक्रामकता भी बनाये रखनी होगी । उन्हें इस सोच के साथ उतरना होगा कि हर हालत में जीतना है और इन सभी टीमों को वे हाल ही में हरा चुके हैं ।’’
 
भारत ने ओलंपिक में आखिरी बार 1980 मॉस्को में स्वर्ण पदक जीता था जबकि पाकिस्तान ने 1984 में ओलंपिक खिताब अपने नाम किया। उसके बाद से जर्मनी तीन बार, नीदरलैंड दो बार , ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना एक एक बार स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। पाकिस्तान ने 1992 ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।
 
 
ओलंपिक में स्वर्णिम इतिहास के बावजूद पिछले कई साल में दोनों टीमों की नाकामी के बारे में पूछने पर सरदार ने कहा ,‘‘ यह अफसोसनाक है कि हम इतने साल से पदक नहीं जीत पाये। हमारे दौर में पाकिस्तान के पास शहनाज शेख, सामिउल्लाह खान, हनीफ खान, कलीमुल्लाह खान जैसे खिलाड़ी थे। इस पीढी ने हमारी टीम को जीतते नहीं देखा तो नये बच्चे कैसे हॉकी खेलने के लिये प्रेरित होंगे और प्रतिभायें कहां से निकलेंगी।’’(भाषा) 
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