शनिवार, 12 अक्टूबर 2024
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Written By अनहद

इन जंगलियों से हमें बचाओ

इन जंगलियों से हमें बचाओ -
हमारी फिल्में तो पश्चिमी फिल्मों की नकल रहती ही हैं, अब तमाम टीवी प्रोग्राम, खासकर रिअलिटी शो हूबहू उनकी नकल होते जा रहे हैं। बच्चों के क्विज़ से लेकर केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) और केबीसी से लेकर "इंडियन आइडल" और "बिग बॉस" तक सब का सब उधार का ही है।

फिल्में तो फिर भी कुछ मौलिक भारतीय आइडिया और मसालों वाली रहती हैं, पर अब तक एक भी रिअलिटी शो ऐसा नहीं आया है, जिसे हम पूरी तरह से मौलिक कह सकें। सोमवार से सोनी पर शुरू हुआ रिअलिटी शो "इस जंगल से मुझे बचाओ" भी कुछ विदेशी रिअलिटी शो की नकल और घालमेल है। डिस्कवरी चैनल पर एक शो आता है - "मेन वर्सेस वाइल्ड"। इस शो में एक लड़का ऐसा भी है, जो कीड़े-मकोड़े खाता है और जान की बाज़ी लगाने वाली हरकतें करता रहता है।

उस लड़के के नज़दीक तो दस अक्षय कुमार मिलकर भी नहीं जा सकते। एक और शो आता है, जिसमें लोगों को समूहों में बाँट कर जंगल में छोड़ दिया जाता है। वे वहीं अपना खाना तलाश करते हैं, शिकार करते हैं, भूखे रहते हैं, प्यासे रहते हैं। मगर जंगल से जुड़े इन दोनों रिअलिटी शो की एक खास बात यह है कि इनमें सेक्स नहीं है। लड़कियाँ हैं, लड़के हैं, महिला-पुरुष भी हैं, पर असल चीज़ जंगल और वहाँ के हालात हैं।

"इस जंगल से मुझे बचाओ" में लड़कियों को खुले में नहाना होगा, जहाँ कैमरा लगा हुआ है। पहले ही शो में स्नान और जलकिलोल दिखा दी गई है। मलेशिया के जंगल में एक लोकेशन ढूँढकर वहाँ कदम-कदम पर कैमरे फिट कर दिए गए हैं। एक औऱ बात जो दिखाई पड़ रही है, वह यह कि जंगल में "बिग बॉस" को भी फिट करने की कोशिश की गई है। "बिग बॉस" की ही तरह यहाँ भी एक "कन्फेशन ओटला" है जिसमें जाकर कोई भी प्रतियोगी अपनी भड़ास निकाल सकता है। प्रतियोगियों से याद आया कि इसमें अमन वर्मा हैं, श्वेता तिवारी हैं और हाँ चांद मोहम्मद वाली फिजा भी हैं और उन्होंने चाँद मोहम्मद एंड कंपनी के खिलाफ कैमरे पर बोलना-बतियाना शुरू कर दिया है। पलक नाम की एक बेहद बिंदास लड़की है, जो रोडीज़ में अपने पहनावे और अपने "सुभाषितों" के कारण चर्चा में रही थी। कुछ बदतमीज़ किस्म के लड़के हैं कुछ बेशर्म लड़कियाँ-महिलाएँ हैं। जंगल तो एक बहाना है असल मकसद एक बार फिर गाली गलौज, रोमांस दिखाना है।

महिला-पुरुष एक-दूसरे से खुल जाएँ इसलिए सभी प्रतियोगियों के लिए एक ही टायलेट और एक ही हमाम है। हमाम की परंपरा के अनुसार दरवाज़े पर किवाड़ नहीं लगाया गया, झीना सा एक पर्दा है। कबीरदासजी जितनी झीनी चदरिया बुनने का दावा करते हैं, उससे भी झीना। नहाना भी बहुत निजी नहीं हो सकता। वैसे शो की डिमांड ये है कि सब खुले में नहाएँ। एक मोटा-सा नल लगाया गया है, जो बहुत ऊपर से पानी की मोटी धार छोड़ता है।

इसके अलावा कुछ साहसिक स्पर्धाएँ हैं जिनके आधार पर खाना मिलेगा। वर्ना खुराक तय हुई है, एक मुट्ठी चावल और सोयाबीन...। महिलाएँ तो दुबला होने के लिए भी इस स्पर्धा में टिक सकती हैं। मगर हर हफ्ते उसे भगाया जाएगा, जिसे सबसे कम वोट मिलेंगे। ज़ाहिर है कि स्पर्धा में टिके रहने के लिए सभी प्रतियोगी ऐसी हरकतें करेंगे, जिससे लोग एंटरटेन हों और उन्हें वोट मिलें। एक अजीब-सा कोहराम अब दो महीनों तक मचा रहने वाला है। काश कि इन जंगलियों से कोई हमें बचा सके।

(नईदुनिया)