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Written By WD

कोटला में थमा भारत का विजय रथ

अनिल कुंबले ने किया संन्यास का फैसला

कोटला में थमा भारत का विजय रथ -
भारतीय कप्तान और दुनिया के तीसरे सबसे सफल गेंदबाज अनिल कुंबले के संन्यास की घोषणा के साथ भारत का फिरोजशाह कोटला मैदान में 21 वर्षो से चला आ रहा विजय रथ आज ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरा क्रिकेट टेस्ट ड्रॉ होते ही थम गया।

कुंबले ने अपने सबसे भाग्यशाली मैदान कोटला में पाँचवें और अंतिम दिन चायकाल के बाद अपने संन्यास की घोषणा कर सबको हतप्रभ कर दिया। इससे पहले तक किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वह अपने संन्यास की घोषणा कर देंगे, लेकिन उन्होंने ऐलान किया कि वह इस मैच के बाद संन्यास लेने जा रहे हैं।

भारतीय कप्तान ने अपने संन्यास की घोषणा के कुछ देर बाद भारत की दूसरी पारी पाँच विकेट पर 208 रन पर घोषित कर दी और ऑस्ट्रेलिया के सामने जीत के लिए 23 ओवर में 245 रन का लक्ष्य रखा। ऑस्ट्रेलिया ने आठ ओवर में बिना कोई विकेट खोए 31 रन बनाए और मैच ड्रॉ समाप्त हो गया। कुंबले के करियर का आखिरी स्पैल 4-0-14-0 रहा। उन्होंने पहली पारी में तीन विकेट लिए थे।

भारतीय टीम जब दूसरी पारी में क्षेत्ररक्षण करने उतरी तो सभी खिलाड़ी अपने कप्तान को भावभीनी विदाई देने के लिए मैदान में कतार बाँधकर खड़े हो गए। कुंबले के कदम जैसे ही कोटला मैदान पर पड़े पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उनके अभिवादन में खड़ा हो गया। कुंबले ने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी का पहला ओवर डाला।

भारतीय क्रिकेट ही नही अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए यह भावुक क्षण थे क्योंकि 38 वर्षीय कुंबले के संन्यास के साथ लेग स्पिन गेंदबाजी के एक युग का अंत हो गया।

कुंबले के संन्यास के साथ भारतीय क्रिकेट के 'फेबुलस' फाइव के दूसरे सदस्य की भी विदाई हो गई है। पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने इस श्रृंखला के बाद संन्यास लेने की पहले ही घोषणा कर दी और कुंबले मोहाली में दूसरे टेस्ट में कंधे की चोट के कारण नहीं खेल पाए थे। वह अपनी चोट से उबरकर इस मैदान में लौटे, जहाँ उन्होंने इस मैच में पहले छह टेस्टों में 55 विकेट लिए थे।

हालाँकि इस मैच में ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में वह मैथ्यू हैडनका कैच पकडने की कोशिश करते हुये बाँए हाथ की छोटी अँगुली चोटिल कर बैठे, जिसमें 11 टाँके आए। इसके बावजूद जीवट के धनी कुंबले ने चौथे दिन मैदान में उतरकर गेंदबाजी की और तीन विकेट लिए।

कोटला मैदान में 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में सभी दस विकेट लेने का इतिहास रचने वाले कुंबले ने 132 टेस्टों में 29.63 के औसत से 619 विकेट लिए और 2506 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जैसे ही मैच ड्रॉ समाप्त हुआ, जहीर खान और राहुल द्रविड़ अपने हाथों में अपने कप्तान को उठाकर पैवेलियन की तरफ ले गए। कुंबले के हाथ में उनके आखिरी मैच की गेंद थी।

पैवेलियन लौटने के बाद भारतीय टीम जब मैदान में लौटी तो इस बार कुंबले को उपकप्तान महेन्द्रसिंह धोनी ने अपने कंधे पर उठा रखा था। नागपुर टेस्ट में नए कप्तान बनने जा रहे धोनी ने कुंबले को कंधों पर बैठाकर मैदान का चक्कर लगाया। भारत ने कल के दो विकेट पर 43 रन से आगे खेलना शुरु किया और अपनी दूसरी पारी पाँच विकेट पर 206 रन बनाकर घोषित की।

गौतम गंभीर ने 36 और सचिन तेंदुलकर ने 47 रन बनाए। वीवीएस लक्ष्मण 130 गेंदों से सात चौकों की मदद से 59 रन बनाकर और गांगुली 53 गेंदों में तीन चौकों और एक छक्के की मदद से 32 रन बनाकर नाबाद रहे।

भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 245 रन का लक्ष्य रखा जिसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने आठ ओवर में बिना कोई विकेट खोए 31 रन बनाए और मैच ड्रॉ हो गया। मैथ्यू हैडन 16 और साइमन कैटिच 14 रन बनाकर नाबाद रहे।

दोनों पारियों में नाबाद 200 और नाबाद 59 रन बनाने वाले लक्ष्मण को उनकी शानदार बल्लेबाजी के लिए 'मैन ऑफ द मैच' घोषित किया गया। कुंबले ने मैच के बाद कहा कि मेरे लिए यह फैसला लेना बहुत मुश्किल था मैं कल टीम के साथ तो नागपुर नहीं जा पाऊँगा, लेकिन छह नवम्बर से होने वाले आखिरी टेस्ट में ड्रेसिंग रूम में जरूर मौजूद रहूँगा।

कोटला के किंग हैं कुंबले
क्रिकेट के लिए काम करूँगा-कुंबले
दबाव में नही लिया फैसला:कुंबले
आँकड़ों ने बनाया कुंबले को जंबो
कुंबले की विदाई में सीनियर भावुक
जीवट और जोश की मिसाल रहे कुंबले
कुंबले ने संन्यास लेने का फैसला किया
पोंटिंग को नहीं हुआ संन्यास का यकीन
21 वर्षो में कोटला में सभी सात टेस्ट जीते
जज्बे और प्रतिबद्धता की मिसाल रहा है करियर
भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच का ऑनलाइन स्कोर कार्ड