आँकड़ों ने बनाया कुंबले को जंबो
मैदान के बाहर भद्र व्यवहार के लिए मशहूर अनिल कुंबले मैदान के अंदर अपनी आक्रामकता और दृढ़ निश्चय के कारण ही कपिल देव को पीछे छोड़कर भारत की ओर से सर्वाधिक विकेट चटकाने वाले गेंदबाज और विश्व क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले तीसरे गेंदबाज बनने में सफल हुए। क्रिकेट जगत में सभी उन्हें भद्र क्रिकेटर करार करते हैं। उन्होंने 132 टेस्ट में 29.65 के औसत और 2.69 इकोनॉमी रेट से 619 विकेट लिए हैं, जिससे ये आँकड़े खुद-ब-खुद उनके करियर की दास्ताँ बयाँ करते हैं। कुंबले ने 1990 में मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट का आगाज किया था और 105 रन देकर तीन विकेट चटकाए। इसी साल उन्होंने श्रीलंका में शारजाह में वनडे का आगाज किया, लेकिन वे इसमें सिर्फ एक ही विकेट हासिल कर सके। तब शायद किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि यह युवा देश का सबसे सफल गेंदबाज और एक मैच में 10 विकेट चटकाने वाला विश्व क्रिकेट के इतिहास में दूसरा गेंदबाज बनेगा। कुंबले ने 1999 में कोटला में पाकिस्तान के खिलाफ 74 रन देकर दस विकेट लेकर परफेक्ट टेन का रिकॉर्ड बनाया था और जिम लेकर के बाद यह कारनामा करने वाले दुनिया के दूसरे गेंदबाज बने। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 35 बार पारी में पाँच या इससे अधिक और मैच में आठ बार दस या इससे अधिक विकेट लिए। सत्रह अक्टूबर 1970 को कर्नाटक के बेंगलुरु में जन्मे कुंबले ने एकदिवसीय मैचों में भी 271 मैचों में 30.89 औसत और 4.30 इकोनॉमी रेट से 337 विकेट चटकाए, जो किसी भी भारतीय गेंदबाज की ओर से सर्वाधिक शिकार हैं।कुंबले कोलकाता में वेस्टइंडीज के खिलाफ हीरो कप फाइनल में नायक रहे थे। इसमें उन्होंने 1993 में 12 रन देकर छह विकेट लिए और भारत को खिताब दिलाया था। भारतीय कप्तान ने अपने जज्बे से ऐसी मिसाल पेश की, जिसे आगे बढ़ाना अन्य भारतीय क्रिकेटरों के लिए आसान नहीं होगा। छह साल पहले 2002 में वेस्टइंडीज के खिलाफ एंटीगा में जबड़ा टूटा होने के बावजूद वे गेंदबाजी के लिए उतरे, जिसे कोई क्रिकेटप्रेमी कभी नहीं भूल सकता। यह स्पिनर न सिर्फ दर्द को भूलकर मैदान पर उतरा, बल्कि उन्होंने ब्रायन लारा को आउट भी किया। कुंबले ने सभी टेस्ट खेलने वाले देशों के खिलाफ विकेट चटकाए हैं, लेकिन उन्होंने घरेलू सरजमीं पर 350 और विदेश में 269 विकेट हासिल किए हैं, जिससे उन्हें इन आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा कि वे विदेश के बजाय भारत में ही ज्यादा सफल रहे हैं। यह लेग स्पिनर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे सफल रहा है, जिसमें उसने 111 विकेट लिए हैं। इसके बाद कुंबले ने इंग्लैंड के विरुद्ध 92 विकेट चटकाए हैं, लेकिन 18 साल के क्रिकेट करियर के बाद इस 38 वर्षीय जंबो ने अंत में आज संन्यास लेने का फैसला कर भारतीय टीम में ऐसा खालीपन ला दिया है, जैसा शेन वार्न के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम में बन गया है और अभी तक मौजूद है।