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Last Updated : बुधवार, 20 दिसंबर 2017 (17:37 IST)

बोल्ट युग से आगे निकला एथलेटिक्स, लेकिन भारत थमा हुआ...

बोल्ट युग से आगे निकला एथलेटिक्स, लेकिन भारत थमा हुआ... - Usain Bolt, International Athletics, Indian athletics
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स उसेन बोल्ट युग से आगे बढ़ गया लेकिन भारत के लिए समय मानो थमा हुआ ही है जिसमें डोप कलंकित खेल में वैश्विक स्तर पर पदक जीतने के मामले में भारत की झोली खाली ही रही।
 
खेल के इतिहास के महानतम फर्राटा धावक और 'शोमैन बोल्ट' ने लंदन में विश्व चैंपियनशिप में फिनिशिंग लाइन को चूमकर खेल से विदा ली तो इसके साथ ही एक युग का समापन हो गया। जमैका के 31 बरस के बोल्ट डोप कलंकित एथलेटिक्स में विश्वसनीयता का दूसरा नाम हो गए थे, क्योंकि उनका पूरा करियर बेदाग रहा है। बोल्ट को 100 मीटर फाइनल में डोप कलंकित जस्टिन गाटलिन ने हराया।
 
विश्व एथलेटिक्स के आला हुक्मरान सेबेस्टियन कू ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि गाटलिन पर प्रतिबंध लगना चाहिए था। इस सप्ताह फिर गाटलिन नए डोपिंग विवाद में फंस गए हैं। बोल्ट के सुनहरे करियर की आखिरी रेस निराशाजनक रही, क्योंकि 4X100 मीटर रिले में बीच में मांसपेशी में खिंचाव आने के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा।
 
8 ओलंपिक और 11 विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण जीत चुके बोल्ट दर्द से कराहते हुए ट्रैक से विदा हुए और अपनी रेस भी पूरी नहीं कर सके। इससे यह भी साबित हुआ कि खेल कितना बेरहम हो सकता है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब महानतम खिलाड़ियों की विदाई निराशाजनक रही हो।
 
बोल्ट को महान मुक्केबाज मोहम्मद अली की श्रेणी में रखना विवाद का विषय हो सकता है लेकिन बीजिंग ओलंपिक 2008 के बाद से जमैका के इस धुरंधर ने अपनी रफ्तार और करिश्मे से खेलप्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर रखा था।
 
भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो कोई बदलाव नहीं हुआ है और भारतीय एथलीट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन की छाप छोड़ने में नाकाम रहे। अंजू बॉबी जॉर्ज के 2003 के पेरिस विश्व चैंपियनशिप लंबी कूद के कांस्य के बाद से भारत की झोली खाली है। लंदन में भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा 25 भारतीयों के दल में सबसे बड़ी पदक उम्मीद थे लेकिन जूनियर विश्व रिकॉर्डधारी चोपड़ा फाइनल दौर में भी नहीं पहुंच सके।
 
देविंदर सिंह डार्क हॉर्स निकले और फाइनल में जगह बनाई, हालांकि गांजे के सेवन का दोषी पाए जाने के कारण टीम में उनका चयन संदिग्ध था। वाडा की सूची में शामिल होने के बावजूद हालांकि इसमें स्वत: निलंबन का प्रावधान नहीं है।
 
भारत के गोविंदर लक्ष्मणन ने 5,000 मीटर रेस में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। शॉटपुट में मनप्रीत कौर 2 बार पॉजीटिव पाई गई और इससे भुवनेश्वर में एशियाई चैंपियनशिप में भारत के शानदार प्रदर्शन की चमक थोड़ी कम हुई।
 
भारत बरसों से एशियाई एथलेटिक्स में बड़ी ताकत रहा है और भुवनेश्वर में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चीन को पछाड़कर पदक तालिका में शीर्ष पर रहना बड़ी उपलब्धि कही जाएगी। रिले धाविका प्रियंका पवार भी डोप टेस्ट से बचने के कारण आजीवन प्रतिबंध झेल रही है, क्योंकि 2011 में भी वे डोपिंग मामले में फंस चुकी हैं।
 
इस साल कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बने जबकि गोपी थोनाकल एशियाई मैराथन चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बन गए। दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर चिंताओं के बावजूद सालाना हॉफ मैराथन का आयोजन हुआ।
 
डोपिंग के अलावा सुविधाओं का अभाव, योग्य कोचों का अभाव चिंता का सबब बना हुआ है लेकिन हालात बेहतर करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। आईएएएफ, एएफआई और ओडिशा सरकार ने मिलकर भुवनेश्वर में हाई परफॉर्मेंस अकादमी की स्थापना की घोषणा की है। (भाषा)
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