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Last Modified: बुधवार, 5 सितम्बर 2018 (12:29 IST)

शिक्षक दिवस विशेष : खेल जगत की गुरु-शिष्य की जोड़ियां, जिन्होंने छुआ सफलता का शिखर

शिक्षक दिवस विशेष : खेल जगत की गुरु-शिष्य की जोड़ियां, जिन्होंने छुआ सफलता का शिखर - teachers day famous indian sportsmen and coach
भारत में पुराने समय से ही गुरु शिष्य की परम्परा रही है, जो आज भी कायम है। देश के खिलाड़ी अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच के देते हैं जिनके मार्गदर्शन में वे नई ऊचाइयों को छूते हैं। कई खिलाडिय़ों ने अपने गुरु के मार्गदर्शन में अपने खेल में महारथ हासिल की है। 5 सितम्बर को भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस मौके पर आइए जानते हैं खेल जगत से जुडी कुछ गुरु-शिष्य की जोडि़यों के बारे में... 
 
 
रमाकांत आचरेकर- सचिन तेंडुलकर : सचिन रमेश तेंदुलकर 'क्रिकेट की दुनिया के भगवान' हैं। उन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है। सचिन बचपन में बेहद शरारती थे। बड़े भाई अजीत तेंदुलकर उन्‍हें कोचिंग के लिए रमाकांत अचरेकर के पास लेकर गए। कोचिंग के शुरुआती दौर में सचिन अनुशासित नहीं थे। कोच की एक डांट ने सचिन की दुनिया बदलकर रख दी। सचिन ने खुद उस घटना का उल्‍लेख किया है। सचिन के अनुसार आचरेकर की इस डांट ने उन्‍हें अनुशासन का ऐसा पाठ पढ़ाया जो उनके लिए बेहद काम आया। सचिन ने हमेशा माना कि उन्हें इस ऊंचाई तक लाने में आचरेकर सर की भूमिका बहुत बड़ी है।
 
राजकुमार शर्मा- विराट कोहली : भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने क्रिकेट का ककहरा राजकुमार शर्मा से सीखा है। कोच राजकुमार शर्मा ने उन्हें 10 साल की उम्र से ट्रेनिंग दी। विराट हर मैच के बाद अपने कोच से सलाह लेते हैं। राजकुमार भी उन्हें अच्छे-बुरे वक्त में बात करके सही रास्ता दिखाया है।
 
पुलेला गोपीचंद- साइना नेहवाल और पीवी सिंधू : बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद का नाम ऐसे ही कोच की लिस्ट में शामिल है। गोपीचंद ने अपने कई खिलाडि़यों को स्टार बनाया है। देश को ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने वालीं साइना नेहवाल के अलावा रियो ओलिंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट पीवी सिंधू गोपीचंद की शिष्या हैं। साइना अब तक अपने शानदार खेल प्रदर्शन से अर्जुन  पुरस्कार से लेकर राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार अपने नाम कर चुकी हैं, वहीं पीवी सिंधू भी भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। सिंधू ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन रह चुकी हैं। गोपीचंद अकसर मैच के दौरान स्टेडियम में मौजूद होते हैं, वे हर मैच के लिए टिप्स भी देते हैं।
 
बिश्वेश्वर नंदी- दीपा कर्माकर : भारत की जिम्नास्टि‍क दीपा कर्माकर को स्‍टार बनाने में उनकी मेहनत के साथ ही उनके कोच बिश्वेश्वर नंदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कोच नंदी ने दीपा को काफी बारीकी से जिम्नास्टि‍क का प्रशि‍क्षण देकर तैयार किया। इसी का नतीजा है कि दीपा ओलम्पिक में फाइनल तक पहुंची। इसके अलावा कर्माकर ने प्रोदुनोवा वॉल्ट में भी काफी अच्‍छा प्रदर्शन किया।
 
महाबली सतपाल- सु‍शील कुमार : 1982 एशियन गेम्स विजेता भारतीय पहलवान महाबली सतपाल पेइचिंग ओलिंपिक में कांस्य पदक और लंदन ओलिंपिक में रजत पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार के कोच हैं। सुशील कुमार 11 साल की उम्र से सतपाल से कुश्ती की शिक्षा ले रहे हैं।
 
ईश्वर दहिया- साक्षी मलिक : ओलंपिक गोल्ड मैडलिस्ट पहलवान साक्षी मलिक को स्टार खिलाड़ी बनाने के लिए उनके कोच ईश्वर सिंह दहिया ने भरपूर मेहनत की है। ईश्वर दहिया खुद भी एक नामी पहलवान रहे हैं। इंटरनेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली कविता, सुनीता, सुमन, साक्षी, सीमा, रितु मलिक, गुड्डी के अलावा दीपक, भीम, मनदीप सभी उनके शिष्य हैं। साक्षी मलिक ग्लासगो में आयोजित राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत की महि‍ला पहलवान के रूप में रजत पदक जीत चुकी हैं।
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