नई दिल्ली। अगले हफ्ते से शुरू होने वाले विश्व कप में जहां दुनिया की 32 शीर्ष फुटबॉल टीमें खिताब अपने झोली में डालने का प्रयास करेंगी तो 'पैरों के कई जादूगरों' पर भी दर्शकों की निगाहें लगी होंगी, जो इस महासमर में अपनी काबिलियत के जादू से सुर्खियां बटोरने के लिए जोर-आजमाइश करेंगे।
अर्जेंटीना के सुपरस्टार लियोनल मैसी (30) को अपनी महानता साबित करने के लिए किसी विश्व कप 'ताज' की जरूरत नहीं है। पिछले 13 वर्षों के करियर में गोल के अलावा गोल करने में सहायता करने, ला लिगा खिताब, चैंपियंस लीग खिताब, रिकॉर्ड, पुरस्कार और मैच के दौरान रोमांचित करने वाले खूबसूरत क्षण 'खेल पर उनके असर' की बानगी पेश करते हैं।
निश्चित रूप से इस सूची में विश्व कप ट्रॉफी की कमी है और बार्सिलोना का यह सितारा अपने अंतिम महासमर में इस सूनेपन को खत्म करना चाहेगा। इसमें कोई शक नहीं कि अगर मैसी फॉर्म में होंगे तो अर्जेंटीना अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी की बदौलत यह उपलब्धि भी हासिल कर सकती है।
मैसी जहां दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं तो पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो (33) उनसे महज एक कदम ही पीछे हैं। यह 33 वर्षीय खिलाड़ी अपनी ताकत और जिस शातिर अंदाज से डिफेंडरों को पछाड़ता है, वह काबिलेतारीफ है। रीयाल मैड्रिड के साथ पिछले 5 सत्रों में 4 चैंपियंस लीग खिताब और पिछले 5 वर्षों में फीफा का शीर्ष फुटबॉलर का सम्मान पाना शानदार है।
रोनाल्डो ने पुर्तगाल को 2016 में यूरोपीय चैंपियनशिप का खिताब दिलाया लेकिन 2006 में उनके विश्व कप पदार्पण के बाद टीम चौथे स्थान, राउंड 16 और ग्रुप चरण में ही बाहर हो गई। उनकी बेहतरीन फॉर्म के बूते पुर्तगाली टीम ट्रॉफी पर नजरें गड़ाए होगी। ब्राजीली सुपरस्टार नेमार (26) पैर में सर्जरी के 3 महीने के बाद राष्ट्रीय टीम में वापसी कर चुके हैं और रूस में दुनियाभर के फुटबॉलप्रेमियों की निगाहें उनके प्रदर्शन पर लगी होंगी।
क्रोएशिया के खिलाफ विश्व कप के अभ्यास मैच के दौरान नेमार 45 मिनट के लिए मैदान पर उतरे और उनकी मौजूदगी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायी रही। उन्होंने टीम के लिए 1 गोल भी दागा जिससे टीम 2-0 से जीत दर्ज करने में सफल रही। 5 बार के चैंपियन ब्राजील के लिए वे निश्चित रूप से अहम खिलाड़ी होंगे।
2014 में ब्राजील की अपनी मेजबानी में खिताब जीतने की उम्मीद तब टूट गई, जब क्वार्टर फाइनल में उनकी कमर की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। इस युवा फुटबॉलर ने हालांकि ब्राजील को 2016 रियो ओलंपिक में पहला स्वर्ण पदक दिलाया और एक तरह से यह विश्व कप की निराशा के बाद सांत्वनाभरा नतीजा रहा।
उन्हें फुटबॉल की दुनिया के सुपरस्टार के रूप में देखा जा रहा है जिससे अब टीम की उम्मीदें 6ठे खिताब के लिए पेरिस सेंट जर्मेन के स्ट्राइकर पर लगी होंगी, जो फुटबॉल जगत में क्लब ट्रांसफर के सबसे महंगे खिलाड़ी भी हैं। वे 26 साल की उम्र में 84 मैचों में 54 गोल करके ब्राजील के लिए गोल करने वाले फुटबॉलरों की सूची में पेले (77), रोनाल्डो (62) और रोमारियो (55) के बाद चौथे स्थान पर हैं।
मिस्र के मोहम्मद सलाह (25) भी अपने बेहतरीन गोलों की बदौलत इस फेहरिस्त में शामिल हैं जिन्होंने प्रीमियर लीग के एक ही सत्र में रिकॉर्ड 32 गोल दागे हैं। लीवरपूल के चैंपियंस लीग में प्रदर्शन में भी उनकी भूमिका अहम रही जिसमें उन्होंने 10 गोल किए।
हालांकि रीयाल मैड्रिड के खिलाफ चैंपियंस लीग के फाइनल में उनका कंधा चोटिल हो गया है लेकिन उनका कहना है कि वे इससे उबर जाएंगे और महासंघ के बयान के अनुसार वे 15 जून को टीम के लिए उरुग्वे के खिलाफ मैच के बाद अगले मुकाबलों में विश्व कप में खेलने को तैयार होंगे। सलाह की बदौलत मिस्र ने 28 साल में पहली बार और कुल तीसरी बार विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया था।
फ्रांस के पॉल पोग्बा (25) लोकप्रियता चार्ट में लगातार ऊपर ही बढ़ रहे हैं। अपनी लंबी कद-काठी, रफ्तार, पैरों के जादू की बदौलत वे किसी से कमतर नहीं हैं। 2014 विश्व कप में उन्हें सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी पुरस्कार से नवाजा गया था और अब वे इससे ज्यादा अनुभवी हो चुके हैं। फ्रांसीसी टीम में बेहतरीन प्रतिभाएं मौजूद हैं, पर मैनचेस्टर यूनाइटेड के लिए खेलने वाला यह फुटबॉलर रूस में दबदबा बनाने की काबिलियत रखता है।
पोग्बा ने ब्राजील 2014 और यूरो 2016 में 1-1 गोल किया था। फ्रांसीसी टीम में इस स्टार के अलावा 27 वर्षीय एंटोइने ग्रिजमान भी शामिल हैं। पोग्बा जहां अपने पास और ड्रिबलर से टीम की मदद करते हैं तो वहीं ग्रिजमान की निगाहें टीम के शीर्ष स्कोरर बनने पर लगी होंगी।
इन दोनों खिलाड़ियों की मदद से फ्रांस यूरो 2016 में दूसरे स्थान पर रहा जिसमें ग्रिजमान को 6 गोल करने और 2 में मदद करने के लिए 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' और 'गोल्डन बूट' पुरस्कार दिया गया। विश्व कप इतिहास जर्मनी के शानदार स्ट्राइकरों की कहानियों से भरा हुआ है।
मिरोस्लाव क्लोसे पिछले 15 वर्षों में विश्व कप इतिहास में सबसे ज्यादा 16 गोल करने वाले फुटबॉलर हैं। 1998 विश्व कप के बाद से वे टीम में नहीं हैं लेकिन टीम के पास विकल्पों की कमी नहीं रही है और अब टिमो वर्नर (22) अपने प्रदर्शन से सबको लुभा रहे हैं।
कन्फेडरेशंस कप में वे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले जर्मनी के 3 खिलाड़ियों की बराबरी पर रहे। बुंदेसलीगा में वे आरबी लेपजिग के लिए बेहतरीन रहे जिसके लिए उन्होंने पिछले 2 सत्रों में कुल 34 गोल किए। हालांकि जर्मनी की टीम शानदार मिडफील्डरों से भरी है लेकिन उनसे भी दर्शकों की उम्मीदें लगी होंगी। जर्मनी के ही थॉमस मुलर (28) विश्व कप में तीसरी बार जर्मनी का प्रतिनिधित्व करेंगे।
वे विश्व कप में गोल करने वाले खिलाड़ियों की सूची में 8वें नंबर पर हैं और पूर्व साथी क्लोसे से केवल 6 गोल पीछे हैं जिन्होंने 2014 में रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने बायर्न म्यूनिख के लिए 45 मैचों में 15 गोल किए। पिछले विश्व कप के बाद से उन्होंने 28 अंतरराष्ट्रीय मैचों में टीम के लिए 12 गोल किए हैं।
कोलंबिया के जेम्स रोड्रिगेज (26) 2014 में गोल्डन बूट विजेता थे और इस प्रदर्शन के बूते वे रीयाल मैड्रिड और बायर्न म्यूनिख (रीयाल मैड्रिड से लोन पर) में जगह बनाने में सफल रहे। पिछले विश्व कप में उन्होंने कोलंबिया के पांचों मैचों में गोल दागे थे और विश्व मंच पर अपने आने की घोषणा कर दी थी।
4 साल बाद वे फिर से रूस में सुर्खियों में होंगे और इस बार उनसे सभी की उम्मीदें लगी होंगी, पर देखना होगा कि टीम किस राउंड तक पहुंचती है। डिएगो कोस्टा (29) के पिछले महासमर में स्पेनिश स्ट्राइकरों में अगला सुपरस्टार बनने की उम्मीद थी, लेकिन टीम 2014 विश्व कप के ग्रुप चरण से ही बाहर हो गई। इतना प्रतिभाशाली होने के बावजूद उनका गुस्सा बीते समय में उनके लिए परेशानी का कारण रहा है लेकिन उन्होंने 2014 में ब्राजील से स्पेन में खेलने का फैसला ऐसे ही मौकों के लिए किया था जिससे एटलेटिको मैड्रिड के लिए खेलने वाले इस धुरंधर के पास खुद को साबित करने का अच्छा मौका है।
उरुग्वे के फॉरवर्ड लुई सुआरेज (31) के लिए यह विश्व कप भरपाई करने के लिए होगा, क्योंकि पिछली बार उन्होंने इटली के डिफेंडर जॉर्जियो चिलिनी को काट लिया था जिससे फीफा ने उन पर 9 अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी मैचों का प्रतिबंध लगाया था, जो 1 साल से ज्यादा समय तक चला था।
हालांकि टूर्नामेंट में गोलकीपरों के प्रदर्शन की चर्चा बहुत कम होती है लेकिन स्पेन के गोलकीपर डेविड डि गिया (27) के गोलकीपिंग कौशल पर भी फुटबॉलप्रेमियों की नजरें गड़ी होंगी। स्पेन के यूरोपीय क्वालीफाइंग अभियान के अंतर्गत उन्होंने 10 मैचों में से 7 में कोई गोल नहीं गंवाया जबकि इटली, इसराइल और मेकेडोनिया के खिलाफ केवल 3 गोल गंवाए थे।
स्पेन के लिए वे बैकलाइन में एक तरह से अतिरिक्त डिफेंडर के तौर पर काम करते हैं। वे टूर्नामेंट के 'गोल्डन ग्लव्ज पुरस्कार' के प्रबल दावेदार हैं। विश्व कप फुटबॉल टूर्नामेंट जहां स्टार खिलाड़ियों के लिए अपना हुनर दिखाने का मंच रहा है, तो वहीं कुछ के लिए यह इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। (भाषा)