नई दिल्ली। 29 अगस्त 2017 को हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की 112वीं जयंती पर देशभर में खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुश्ती के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करने वाले गुरु रोशनलाल को 'द्रोणाचार्य पुरस्कार' से सम्मानित किया।
इसी उपलक्ष में दिल्ली में एक स्वागत समारोह रेलवे के पहलवानों द्वारा आयोजित किया गया। द्रोणाचार्य पुरस्कार (लाइफटाइम अचीवमेंट) 2017 के लिए कुश्ती गुरु रोशनलाल को सम्मानित करने पर खुशी जाहिर की गई। पूरे भारत वर्ष से उनके द्वारा तैयार किए गए शिष्य इस समारोह में शामिल हुए।
रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड की महासचिव श्रीमती रेखा यादव ने रेल विभाग की ओर से कुश्ती के क्षेत्र में पहली बार किसी कोच को द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिलने पर प्रसन्नता ज़ाहिर की। उन्होंने द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित रोशनलाल को बधाई देते हुए कहा कि यह उनकी वर्षों की कड़ी मेहनत का नतीजा ही है कि इस बार उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट 2017 के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उन्होंने भारतीय कुश्ती और रेलवे के लिए जो नियम बनाकर पहलवान और कोच तैयार किए, उसने रेलवे का काम और आसान कर दिया है। रेखा यादव ने मौजूद रेलवे के पूर्व ओलिम्पियन ज्ञान सिंह, रोहतास दहिया और नरेश कुमार की सराहना करते हुए कहा कि उनका विभाग अपने खिलाड़ियों को हरसंभव सहयोग देने के लिए हमेशा मुस्तैद रहता है।
30 साल तक कोच के रूप में की सेवा : रोशनलाल रेलवे के 30 साल तक कोच रहे और उनके मार्गदर्शन में रेलवे 25 साल तक राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में टीम खिताब जीतने में सफल रहा। इसके अलावा रोशनलाल भारतीय टीम के 20 साल तक कोच रहे और तत्कालीन फीला के विशिष्ट श्रेणी के रेफरी रहे।
वे छह एशियाई खेलों, कैडेट, जूनियर और सीनियर सहित कुल आठ विश्व चैम्पियनशिप, दो ओलिम्पिक, दो कॉमनवेल्थ गेम्स और तीन कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में बतौर कोच या रेफरी जुड़े रहे।
इस मौके पर अर्जुन अवॉर्डी कृपाशंकर बिश्नोई ने कहा, कुश्ती खेल में गुरु का बहुत महत्व होता है। भारतीय कुश्ती व भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत गुरु अपने शिष्यों को कुश्ती के गुर सिखाते हैं।
रोशनलाल और भारतीय रेलवे के पहलवानों के बीच केवल कुश्ती ज्ञान का ही आदान-प्रदान ही नहीं होता था बल्कि वे अपने पहलवान शिष्यों के संरक्षक के रूप में भी कार्य करते रहे हैं और यही कारण है कि पहलवान शिष्यों को अपने गुरु के प्रति अगाध श्रद्धा, विश्वास और समर्पण का कारण बन गया।
कृपाशंकर के अनुसार, मुझे आज भी याद है, जब मैंने वर्ष 1994 के राष्ट्रमंडलीय खेलों में पदक जीता था, तब कोच रोशनलाल ने ही मुझे विशेष प्रतिभा स्पोर्ट्स कोटा के तहत पश्चिम रेलवे विभाग में नियुक्ति प्रदान की थी।
इस दौरान राजेंद्र सिंह और सतबीर दहिया ने राष्ट्रमंडलीय खेलों में स्वर्ण जीते, जबकि सतपाल, करतार और राजेंद्र सिंह ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किए। रोशनलाल इस समय इंडियन स्टाइल रेसलिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव हैं।
अंतरराष्ट्रीय दंगल : इस अवसर पर पूर्व ओलिम्पियन ज्ञान सिंह, रोहतास, नरेश, राजीव तोमर और मौजूदा उत्तर प्रदेश कुश्ती टीम के कोच व भारत केसरी पहलवान जगदीश कालीरमण ने एक सुर से कहा कि रोशनलाल का कुश्ती में अहम योगदान रहा है और उन्होंने कुश्ती की दो पीड़ियों को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है।
वहीं इंडियन स्टाइल रेसलिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व अंतरराष्ट्रीय पहलवान रामाश्रय यादव ने जहां मिट्टी की कुश्ती में भविष्य में कुछ क्रांतिकारी कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया, वहीं एक अन्य पूर्व अंतरराष्ट्रीय पहलवान पन्नेलाल यादव ने उत्तर प्रदेश की ओर से और शिवकुमार शर्मा ने जे एंड के की ओर से कुश्ती के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया।
शिवकुमार शर्मा ने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी कटरा में अगले महीने अंतरराष्ट्रीय स्तर का दंगल आयोजित किया जाएगा, जिसमें यूक्रेन, इंग्लैंड और जार्जिया के पहलवान मुख्य आकर्षण रहेंगे। विशिष्ट श्रेणी के रेफरी महाराष्ट्र के बाला साहब लांडगे और रवींद्र कालिया ने भी रोशनलाल के साथ बिताए लम्हों को याद किया।
बढ़ गई है जिम्मेदारी : कार्यक्रम के अंत में रोशनलाल ने कहा कि पुरस्कार मिलने के बाद उन्हें ऐसा लगने लगा है कि अभी बहुत कुछ करना है। वे इंडियन स्टाइल कुश्ती को ज़िंदा रखने और उसे और लोकप्रिय बनाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करते रहेंगे। उन्होंने कुश्ती प्रेमियों से मिले स्नेह के लिए उनकी सराहना की और भविष्य में जल्द ही एक बड़ी प्रतियोगिता आयोजित करने की इच्छा ज़ाहिर की।