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Last Updated : शुक्रवार, 4 अगस्त 2017 (19:18 IST)

'खेलरत्‍न सम्‍मान' पर देवेंद्र झझारिया बोले...

'खेलरत्‍न सम्‍मान' पर देवेंद्र झझारिया बोले... - Paralympian Devender Jhajaria, Paralympic Games
नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेलरत्न पाने वाले पहले पैरालंपियन देवेन्द्र झझारिया ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस पुरस्कार के बाद पैरालंपिक खेलों के प्रति लोगों का नजरिया बदलेगा। राजीव गांधी खेलरत्न सम्मान के लिए भालाफेंक खिलाड़ी झझारिया और पूर्व हॉकी कप्तान सरदार सिंह के नाम की अनुशंसा की गई है।
 
झझारिया ने बातचीत में कहा कि अगर मुझे 12 साल पहले यह सम्मान मिला होता तो और बेहतर होता, क्योंकि शुरुआती दौर में हमने काफी कठिनाइयों का सामना किया है। उस समय सम्मान मिलता तो आज देश में पैरालंपिक खेलों की दशा और बेहतर होती, लेकिन मुझे खुशी है कि देर से ही सही, सम्मान मिला और अब इससे इन खेलों के प्रति लोगों का नजरिया बदलेगा और दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलेगा। 
 
एथेंस पैरालंपिक 2004 और रियो पैरालंपिक 2016 में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतने वाले झझारिया यह सम्मान पाने वाले पहले पैरालंपियन हैं। उन्होंने इसका श्रेय अपनी मां को देते हुए कहा कि अगर बचपन में उनकी हिचक दूर करके मां ने खेल के मैदान पर नहीं भेजा होता तो आज वे इस मुकाम पर नहीं होते। 8 बरस की उम्र में पेड़ पर चढ़ते समय बिजली के तार से टकराने के बाद उनका बायां हाथ खराब हो गया था जिसे काटना पड़ा।
 
उन्होंने कहा कि मैं हिचक के मारे घर से बाहर नहीं निकलता था कि दूसरे बच्चे मजाक उड़ाएंगे। मेरी मां ने मुझे खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। कोई और होता तो कहता कि पढ़ाई करके नौकरी ढूंढ लो लेकिन मेरी मां अलग थी और उन्होंने मुझे खिलाड़ी बनाया। आज मैं जिस मुकाम पर हूं, उसका श्रेय उन्हें ही जाता है। (भाषा)