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Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 9 सितम्बर 2016 (21:10 IST)

साक्षी को उंगली पकड़ कुश्ती सिखाई : ईश्वर

साक्षी को उंगली पकड़ कुश्ती सिखाई : ईश्वर - Other Sports News, Sakshi Malik, wrestling, Olympic bronze
नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक को हरियाणा के रोहतक के गांव सिसाना के कोच ईश्वर दहिया ने उंगली पकड़कर कुश्ती का ककहरा सिखाया था। बेहद विनम्र स्वभाव के ईश्वर दाहिया ओलंपिक में साक्षी की उपलब्धि पर बेहद खुश हैं और उनका कहना है कि उनका लक्ष्य काम करना है न कि अवॉर्ड हासिल करना है। 
         
हरियाणा के छोटूराम स्टेडियम में कुश्ती सिखाने वाले ईश्वर ने कहा कि साक्षी मेरे पास 2004 में आई थी और तब मैंने उसे उंगली पकड़कर कुश्ती सिखाई थी। रोहतक में लड़कियों को कुश्ती सिखाना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण काम था लेकिन मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया। मेरे अखाड़े से 20 अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान निकली हैं।
 
ईश्वर ने कहा कि साक्षी मेरे पास 2014 तक रही, जब मैं रिटायर हुआ। मुझे खुशी है कि उसने ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और देश के लिए कांस्य पदक जीता। उसमें प्रतिभा है और उसने इस बात को साबित किया।
 
यह पूछने पर कि साक्षी शादी के बाद भी कुश्ती जारी रखेंगी? कोच ने कहा कि निश्चित रूप से वह शादी के बाद भी अपनी कुश्ती जारी रखेंगी। यह पूछने पर कि साक्षी के पदक के बाद क्या उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलने की उम्मीद है? ईश्वर ने कहा कि मुझे अवॉर्डों से डर लगता है। मैं सिर्फ काम करना और पहलवान तैयार करना चाहता हूं। मैं किसी तरह की उम्मीद नहीं पालता। मेरे लिए सबसे बड़ी पूंजी सम्मान है और यही कारण है कि आज आप मुझसे बात कर रहे हैं।
                    
पदक विजेताओं को मिल रहे करोड़ों के पुरस्कारों पर कोच ने कहा कि यदि खिलाड़ियों को पहले पैसा दिया जाए तो ज्यादा अच्छा होगा। बाद में आप चाहे जितना भी दे दें वह कम ही रहेगा। पहले देने से खिलाड़ी की ट्रेनिंग अच्छी होती है और उसका मनोबल ऊंचा होता है। बाद में ज्यादा पैसे देने से खिलाड़ियों के पैर भी डगमगा सकते हैं।
                     
साक्षी रियो ओलंपिक से लौटने के बाद अब तक अपने बचपन के कोच ईश्वर से मिल नहीं पाई हैं। इस बारे में पूछने पर ईश्वर कहते हैं कि इसके लिए साक्षी की व्यस्तता भी एक कारण हो सकती है। (वार्ता)
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