पालेमबांग-जकार्ता। भारतीय नौकायन खिलाड़ियों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पहली बार जोड़ी बनाने वाले रोहन बोपन्ना और दिविज शरण ने स्वर्ण पदक जीते लेकिन 18वें एशियाई खेलों में भारत को अपने सबसे सफल दिन में भी कुछ खेलों में निराशा झेलनी पड़ी।
भारत के नाम पर अब 6 स्वर्ण, 5 रजत और 14 कांस्य पदक दर्ज हैं। खेलों के 6ठे दिन के बाद भी भारत पदक तालिका में 10वें स्थान पर बना हुआ है जबकि चीन ने अपना दबदबा जारी रखते हुए पदकों का शतक पूरा कर दिया है।
निशानेबाजी में शुक्रवार को कोई स्वर्ण पदक नहीं मिला लेकिन हिना सिद्धू महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीतने में सफल रही। 16 वर्षीय मनु भाकर क्वालीफिकेशन में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद फिर से फाइनल में नाकाम रही।
कबड्डी में फिर से निराशा मिली। पुरुष टीम गुरुवार को सेमीफाइनल में ईरान से हार गई थी और शुक्रवार को महिला टीम भी फाइनल में ईरानी टीम से पार नहीं पा सकी। महिला टीम को भी रजत पदक से संतोष करना पड़ा। जिस खेल में स्वर्ण पदक पक्का माना जा रहा था उसकी निराशा कुछ हद तक नौका चालकों तथा टेनिस में पुरुष युगल जोड़ी ने कम की।
भारतीय नौकायन खिलाड़ियों ने चौकड़ी स्कल्स में ऐतिहासिक स्वर्ण और 2 कांस्य पदक जीतकर 6ठे दिन की शानदार शुरुआत की। साधारण परिवारों से आए सेना के इन जवानों ने सैनिकों का कभी हार नहीं मानने वाला जज्बा दिखाते हुए जीत दर्ज की। भारतीय टीम में स्वर्ण सिंह, दत्तू भोकानल, ओम प्रकाश और सुखमीत सिंह शामिल थे जिन्होंने पुरुषों की चौकड़ी स्कल्स में 6:17.13 का समय निकालकर पीला तमगा जीता।
भोकानल गुरुवार को व्यक्तिगत वर्ग में नाकाम रहे थे। स्वर्ण और प्रकाश भी पुरुषों के डबल स्कल्स में पदक से चूक गए थे। लेकिन इन सभी ने 24 घंटे के भीतर नाकामी को पीछे छोड़कर इतिहास रच डाला। इससे पहले भारत ने नौकायन में 2 कांस्य पदक भी जीते। रोहित कुमार और भगवान सिंह ने डबल स्क्ल्स में और दुष्यंत ने लाइटवेट सिंगल स्कल्स में कांस्य पदक हासिल किया। दुष्यंत आखिरी 500 मीटर में इतना थक गए थे कि उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ा। वे पदक समारोह के दौरान ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे।
भारतीय टीम के सीनियर सदस्य स्वर्ण सिंह ने कहा कि गुरुवार को हमारा दिन खराब था लेकिन फौजी कभी हार नहीं मानते। मैने अपने साथियों से कहा कि हम स्वर्ण जीतेंगे और हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह 'करो या मरो' का मुकाबला था और हम कामयाब रहे।
टेनिस में बोपन्ना और शरण ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने फाइनल में कजाखस्तान के अलेक्जेंदर बबलिक और डेनिस एवसेएव को 52 मिनट में 6-3, 6-4 से हराया। पुरुष एकल स्पर्धा में अकेले भारतीय बचे प्रज्नेश गुणेश्वरन को सेमीफाइनल में उज्बेकिस्तान के डेनिस इस्तोमिन से 2-6, 2-6 से हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। हालांकि यह मुकाबला स्कोरलाइन से ज्यादा प्रतिस्पर्धी रहा।
स्क्वॉश में भी सौरव घोषाल, जोशना चिनप्पा और दीपिका पल्लीकल कार्तिक के अपनी अपनी एकल स्पर्धाओं के सेमीफाइनल में पहुंचने से 3 पदक पक्के हो गए हैं। गोल्फ में आदिल बेदी पदक की दौड़ में बने हुए हैं। भारतीय टीम भी दूसरे दौर के बाद दूसरे स्थान पर बनी हुई है और उसकी पदक जीतने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपना अजेय अभियान जारी रखा। उसने तीसरे मैच में जापान को 8-0 से करारी शिकस्त दी।
लेकिन कबड्डी में भारत को फिर से झटका लगा और उसे एशियाई खेलों से पहली बार अपने इस पारंपरिक खेल में स्वर्ण के बिना स्वदेश लौटना होगा। ईरान की महिला टीम ने पुरुष टीम के नक्शेकदम पर चलते हुए भारतीय महिला टीम को फाइनल में हराकर उसकी उम्मीदों पर पानी फेरा। 2 बार की गत चैंपियन भारतीय टीम फाइनल में 24-27 से हार गई और उसे रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। ईरान की पुरुष टीम ने गुरुवार को सेमीफाइनल में 7 बार के चैंपियन भारत को हराकर हैरान कर दिया था।
बैडमिंटन कोर्ट से भी भारत को अच्छी खबर नहीं मिली तथा पुरुष एकल में के. श्रीकांत और एचएस प्रणय को हार का सामना करना पड़ा। श्रीकांत 43 मिनट तक चले कड़े मुकाबले में 28वीं रैंकिंग के वोंग विंग कि से 21-23, 19-21 से हार गए। इसके बाद प्रणय को थाईलैंड के कंटाफोन वांगचारोइन से 65 मिनट तक चले मुकाबले में 12-21, 21-15, 15-21 से पराजय का मुंह देखना पड़ा।
जिम्नास्टिक में दीपा कर्माकर बैलेंसिंग बीम में 5वें स्थान पर रही जबकि तैराकी में भी बिना पदक के भारतीय अभियान समाप्त हो गया। मुक्केबाजी में आज शुक्रवार को भारत को मिश्रित सफलता मिली। अनुभवी मुक्केबाज मनोज कुमार (69 किग्रा) ने आसानी से प्री क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदकधारी गौरव सोलंकी (52 किग्रा) को पहले दौर में हार का सामना करना पड़ा। (भाषा)