-अभिजीत देशमुख
ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अविश्वसनीय प्रदर्शन दिखाते हुए, 26 स्वर्ण, 20 रजत और 20 कांस्य, कुल 66 पदक जीते, जिससे भारत अंक तालिका में तीसरे पायदान पर रहा। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड ने काफी खेलो में अपना दबदाबा कायम रखा, लेकिन शूटिंग, बैडमिंटन, कुश्ती, टेबल टेनिस, वेटलिफ्टिंग जैसे खेलो में हमने ही मारी।
राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के अलावा, भारत पहले से ही भविष्य के लिए युवा दल तैयार कर चुका है। कुछ आँकड़े आपको चौका सकते हैं...मसलन 35 ऐसे पदक विजेता ऐसे थे, जिनकी आयु 25 से भी कम है। 9 ऐसे भी पदक विजेता हैं, जिनकी उम्र 20 से भी कम है। इतनी कम उम्र में पदक जीतने वाले आखिर है कौन? आइए इन युवाओं पर नजर डालते हैं -
अनीश भनवाला : अनीश अभी भारत में वाहन चलाने के लिए योग्य भी नहीं हैं लेकिन इस किशोर खिलाड़ी ने राष्ट्रमंडल खेलों में इतिहास रच दिया है। 15 साल, जी हां आपने सही पढ़ा..15 साल के अनीश भनवाला ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बन गए है।
करनाल, हरियाणा के स्कूल सेंट थेरेसा कॉन्वेंट सीनियर सैकेंड में छात्र हैं अनीश। 25 मीटर रॅपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिता के क्वालीफाइंग में अनीश 580 अंक के साथ अव्वल रहे और फाइनल में 30 अंक हासिल करते हुए स्वर्ण पदक के साथ राष्ट्रमंडल खेलों का नया रिकॉर्ड भी बना दिया।
नीरज चोपड़ा : 20 साल के नीरज चोपड़ा ने भालाफेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतना एक अविश्वसनीय उपलब्धि है। 12 प्रतियोगियों में से चोपड़ा का पहला प्रयास 85.50 मीटर स्वर्ण पदक को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त था लेकिन अपने अंतिम प्रयास में भी चोपड़ा ने 86.47 मीटर हासिल करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। अन्य एथलीट 83 मीटर पार नहीं कर पाए।
काफी कम भारतीयों ने राष्ट्रमंडल खेलों के एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीत लिया है और चोपड़ा ने 20 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की। निश्चित रूप से चोपड़ा के पास उज्ज्वल भविष्य है और ओलंपिक में भी उन्हें पदक मिल सकता है। चोपड़ा ने जूनियर विश्व कप और एशियाई चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता है।
मनीका बत्रा : मनीका ने अपने टेबल टेनिस कैरियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कई मॉडलिंग ऑफर्स ठुकरा दिए। गो्ल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में मनिका ने सभी 4 प्रतियोगिता में पदक जीता जिसमें उन्होंने भाग लिया। 2 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य जीतकर मनीका राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की सबसे कामयाब खिलाड़ी रहीं।
महिलाओं की टीम स्पर्धा में सिंगापुर के खिलाफ दो महत्वपूर्ण जीत हासिल करते हुए मनीका ने भारत को ऐतिहासिक स्वर्ण दिलवाने में अहम किरदार अदा किया। भारतीय महिला टीम ने अभी तक टीम स्पर्धा में स्वर्ण प्राप्त नहीं किया था।
मनीका ने एकल में भी स्वर्ण प्राप्त किया और महिला युगल में मौका दास साथ रजत पदक हासिल किया। मिश्रित युगल में सथियन ज्ञानसेकरन के साथ कांस्य पदक प्राप्त किया। भगवान का शुक्र है, मनिका ने मॉडलिंग करियर का चयन नहीं किया था अन्यथा भारत राष्ट्रमंडल खेलों में 4 पदक खो देता।
मनु भाकर : मनु भाकर ने मार्शल आर्ट, मुक्केबाजी, स्केटिंग में सफलता हासिल की थी, लेकिन अपने पूर्णता खेल के रूप में शूटिंग पसंद किया। राष्ट्रमंडल खेलों से पहले भाकर ने पहले ही विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था, जिससे निश्चित रूप से उनका आत्मविश्वास बढ़ गया।
मनु भाकर महिलाओं की एकल 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। 16 साल की उम्र में यह उनका पहला राष्ट्रमंडल खेल था और अनुभवी निशानेबाजों हिना सिद्धू और एलेना गलायबॉविच के होते हुए भाकर मजबूत दावेदार बनी रही और किसी भी पदार्पण की तरह व्यवहार नहीं किया। 16 साल के भाकर के लिए भविष्य उज्ज्वल है और ओलंपिक में भी भारत के लिए पदक ला सकती हैं।
सैखोम मीराबाई चानू : कर्णम मल्लेश्वरी के बाद यदि कोई उनकी जगह ले सकता है तो वे सैखोम मीराबाई चानू होना चाहिए। इस नाम को याद रखें, 2020 में टोक्यो में पदक जरूर प्राप्त होगा। 23 वर्षीय चानू ने 48 किलो के वेटलिफ्टिंग अपना गला स्वर्ण पदक की स्वर्ण पदक से सजाया, जब उन्होंने 103 किलोग्राम वजन बड़ी आसानी से उठा लिया।
हालांकि कोच चाहते थे कि वे नए गेम रिकॉर्ड के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। चानू उस वजन के बारे में अनभिज्ञ थी, जो उन्होंने उठाना था। मीराबाई चानू ने अपने दूसरे प्रयास में 107 किलोग्राम काफी आसानी से उठा दिया। अपने तीसरे प्रयास में 110 किलोग्राम को उठाते हुए पसीना भी नहीं आया, जो कि 48 किलो महिलाओं की श्रेणी में नया गेम रिकॉर्ड था।
जब मीराबाई चानू ड्रेसिंग रूम में वापस आ गईं तो उन्होंने कोच से पूछा, 'सर मैने किलो उठाया था?। चानू के पास अविश्वसनीय शक्ति है, जो भारत को ओलंपिक में भी पदक दिलवा सकती है। चानू का हर लिफ्ट का खेल रिकॉर्ड था। स्नैच में 86 किग्रा और क्लीन और जर्क में 110 किलोग्राम से कुल 196 किलो का भार उठाया।
भारत के राष्ट्रमंडल खेलों के विजेताओं ने भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया है और अब बात उन खिलाड़ियों की जिनसे हम भविष्य में इससे भी बड़ी उम्मीदें लगा सकते है-
(1) 17 वर्षीय सतवीसराज संकीरेड्डी और 20 वर्षीय चिराग शेट्टी ने पुरुष युगल बैडमिंटन स्पर्धा में रजत पदक जीता। वे भारत के स्वर्ण पदक मिश्रित टीम स्पर्धा का भी हिस्सा थे।
(2) बजरंग पुनिया : 24 वर्षीय के इस खिलाड़ी ने पुरुषों की फ्रीस्टाइल कुश्ती 65 किलो श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता।
(3) मेंहुली घोष : 17 वर्ष की इस खिलाड़ी ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल में रजत पदक जीता।
(4) नीरज कुमार : 14 वर्ष के इस खिलाड़ी ने 25 मीटर रैपिड पिस्तौल में पांचवां स्थान हासिल किया
(5) मोहम्मद अनास याहिया : 23 वर्षीय के इस खिलाड़ी ने पुरुषों की 400 मीटर फाइनल स्पर्धा में चौथे स्थान पर हासिल किया।
ऐसा लगता है कि हमने पहले ही 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में अपना खाता खोला दिया है। भारत के लिए पदक जीतने वाले किशोरों को देखना वास्तव में अविश्वसनीय रहा। युवावस्था में उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में भेजने का साहसिक निर्णय लिया।
इसका श्रेय खिलड़ियों के साथ उनके मार्गदर्शक, उनके माता-पिता, स्पोर्ट्स फेडेरशन और खेल मंत्रालय को भी देना चाहिए। भारतीय खेलों का भविष्य सुरक्षित हाथों में दिख रहा है। उम्मीद है यह युवा खिलाड़ी ओलंपिक में भी भारत का नाम रोशन करेंगे।