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Last Modified: मंगलवार, 6 सितम्बर 2016 (20:25 IST)

मुक्केबाज विकास कृष्ण बोले, 'रियो' में दबाव नहीं झेल पाया...

मुक्केबाज विकास कृष्ण बोले, 'रियो' में दबाव नहीं झेल पाया... - boxer Vikas Krishan, Rio Olympic 2016
मुंबई। मुक्केबाज विकास कृष्ण ने मंगलवार को कहा कि वे रियो ओलंपिक में अपेक्षाओं का बोझ नहीं झेल पाए, जहां उन्हें 75 किग्रा भार वर्ग के क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। 
हरियाणा के 24 वर्षीय मुक्केबाज ने कहा, हम (मुक्केबाजों) पर हमेशा दबाव रहता है। मुझ पर काफी दबाव था और दबाव के कारण मैं रियो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया। 
 
इस अवसर पर विकास के अलावा कांस्य पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक और भाला फेंक के युवा एथलीट नीरज चोपड़ा भी उपस्थित थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले विकास ने पहले दो मुकाबलों में जीत दर्ज की लेकिन क्वार्टर फाइनल में बेख्तामीर मेलिकुजीव से 0-3 से हार गए। मेलिकुजीव ने बाद में रजत पदक जीता। 
 
उन्होंने कहा, मुझे बहुत दुख है कि मैं पदक नहीं जीत पाया। मेरा लक्ष्य ओलंपिक खेलों में पदक जीतना है। मैं ओलंपिक पदक जीतने या फिर अपने भार वर्ग में बाहर होने की स्थिति में ही पेशेवर बनूंगा। 
 
विकास ने कहा कि देश में मान्यता प्राप्त मुक्केबाजी महासंघ नहीं होने से भी खिलाड़ियों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, अभी मुक्केबाजी महासंघ नहीं है। जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स ने मेरा सहयोग किया। मैं 75 किग्रा में खेलना जारी रखूंगा। 69 किग्रा तक आपका ध्यान तेजी पर रहता है लेकिन 75 किग्रा से ऊपर यह शक्ति का खेल बन जाता है।
 
रोहतक की 24 वर्षीय पहलवान साक्षी मलिक ने कहा, दबाव अब बढ़ रहा है। यह दुगुना और यहां तक कि तिगुना हो सकता है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इससे उबरने में सफल रहूंगी और टोक्यो में 2020 ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करूंगी। 
 
साक्षी उन खिलाड़ियों में शामिल थीं जिन्हें खेलों से पहले पदक का दावेदार नहीं माना जा रहा था क्योंकि सभी की निगाहें फोगाट बहनों बबीता कुमारी और विनेश पर टिकी थीं। साक्षी ने हालांकि कहा कि वह पदक जीतने के प्रति आश्वस्त थीं।
 
रेपचेज के जरिए कांस्य पदक जीतने वाली इस पहलवान ने कहा, हां, सभी निगाहें उन पर टिकी थीं लेकिन मैं अच्छा प्रदर्शन करने के प्रति आश्वस्त थी। साक्षी ने भारत की तरफ से दो ओलंपिक पदक जीतने वाले सुशील कुमार को अपना आदर्श बताया। 
 
उन्होंने कहा कि खेलों से पहले बुल्गारिया और स्पेन में जिन दो अभ्‍यास शिविरों में हिस्सा लिया वहां जापानी लड़कियों का अभ्‍यास देखकर उनकी आंखें खुलीं। उन्होंने कहा, वे दोनों जापानी पहलवान अपने भोजन को लेकर बेहद अनुशासित थीं। उन्होंने मुझे दिखाया कि कब खाना है और क्या खाना है। (भाषा)
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