नई दिल्ली:अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने ब्राज़ील के महान फुटबॉलर और तीन बार के विश्व चैंपियन पेले के निधन पर उनके जीवन और उपलब्धियों को याद करने के लिये शुक्रवार को सात-दिवसीय शोक की घोषणा की।
एआईएफएफ के महासचिव डॉ शाजी प्रभाकरन ने कहा, “ हम फुटबॉल के महान खिलाड़ी पेले के निधन से बेहद दुखी हैं। हम उनकी उपलब्धियों को याद करने के लिये सात दिन का शोक मनाएंगे। इस दौरान एआईएफएफ का ध्वज आधा झुका रहेगा। ”
फुटबॉल की दुनिया के बेताज बादशाह पेले के भारत के साथ पुराने संबंध रहे हैं। वह सबसे पहली बार 1977 में भारत आये थे जब उनके क्लब कॉसमॉस ने कोलकाता में मोहन बागान एफसी के साथ 2-2 से ड्रॉ खेला था। उन्होंने आखिरी बार 2018 में भारत का सफर किया था।
डॉ प्रभाकरन ने कहा, “ यह भारत के लिये सम्मान की बात है कि पेले कई बार यहां आये हैं। हम इन यात्राओं के लिये उनके आभारी हैं। वह हमेशा से चाहते थे कि भारतीय फुटबॉल का विकास हो और इसका भविष्य उज्जवल हो। इस खेल में उनकी तरह कोई भी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित नहीं कर सका। ”
गौरतलब है कि पेले का गुरुवार को ब्राज़ील के साओ पाउलो में स्थित एलबर्ट आइंस्टाइन इज़राइलाइट अस्पताल में निधन हो गया। उनकी उम्र 82 वर्ष थी और वह कोलन कैंसर से जंग लड़ रहे थे।
ब्राजील के लिये सर्वाधिक गोल जमाने वाले पेले ने 92 मैचों में 77 बार बॉल को नेट में पहुंचाया था। विश्व कप 1958 के फाइनल में मेजबान स्वीडन के खिलाफ 17 वर्षीय पेले के दो गोलों ने इस खिलाड़ी को हर दिल अज़ीज़ बना दिया था।यी दिल्ली: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने ब्राज़ील के महान फुटबॉलर और तीन बार के विश्व चैंपियन पेले के निधन पर उनके जीवन और उपलब्धियों को याद करने के लिये शुक्रवार को सात-दिवसीय शोक की घोषणा की।
एआईएफएफ के महासचिव डॉ शाजी प्रभाकरन ने कहा, “ हम फुटबॉल के महान खिलाड़ी पेले के निधन से बेहद दुखी हैं। हम उनकी उपलब्धियों को याद करने के लिये सात दिन का शोक मनाएंगे। इस दौरान एआईएफएफ का ध्वज आधा झुका रहेगा। ”
फुटबॉल की दुनिया के बेताज बादशाह पेले के भारत के साथ पुराने संबंध रहे हैं। वह सबसे पहली बार 1977 में भारत आये थे जब उनके क्लब कॉसमॉस ने कोलकाता में मोहन बागान एफसी के साथ 2-2 से ड्रॉ खेला था। उन्होंने आखिरी बार 2018 में भारत का सफर किया था।
डॉ प्रभाकरन ने कहा, “ यह भारत के लिये सम्मान की बात है कि पेले कई बार यहां आये हैं। हम इन यात्राओं के लिये उनके आभारी हैं। वह हमेशा से चाहते थे कि भारतीय फुटबॉल का विकास हो और इसका भविष्य उज्जवल हो। इस खेल में उनकी तरह कोई भी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित नहीं कर सका। ”
गौरतलब है कि पेले का गुरुवार को ब्राज़ील के साओ पाउलो में स्थित एलबर्ट आइंस्टाइन इज़राइलाइट अस्पताल में निधन हो गया। उनकी उम्र 82 वर्ष थी और वह कोलन कैंसर से जंग लड़ रहे थे।
ब्राजील के लिये सर्वाधिक गोल जमाने वाले पेले ने 92 मैचों में 77 बार बॉल को नेट में पहुंचाया था। विश्व कप 1958 के फाइनल में मेजबान स्वीडन के खिलाफ 17 वर्षीय पेले के दो गोलों ने इस खिलाड़ी को हर दिल अज़ीज़ बना दिया था।(वार्ता)