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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , सोमवार, 20 जून 2011 (23:28 IST)

सोमदेव को रिकॉर्ड सुधारने का भरोसा

ग्रैंड स्लैम
अपने ग्रैंड स्लैम एकल करियर में सिर्फ एक जीत दर्ज करने वाले सोमदेव देववर्मन ने टेनिस की मेजर प्रतियोगिताओं में अपने रिकॉर्ड में सुधार की उम्मीद जताई। भारत का यह चोटी का खिलाड़ी मौजूदा सत्र में अच्छे प्रदर्शन के बाद अपने करियर में पहली बार विम्बलडन के एकल वर्ग के मुख्य ड्रॉ में खेलता दिखेगा।

वर्ष 2008 में पेशेवर बनने के बाद ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट में केवल पांच बार खेलने वाले सोमदेव चार बार पहले दौर में बाहर हो गए जबकि 2009 अमेरिकी ओपन में वह दूसरे दौर में पहुंचने में सफल रहे।

विम्बलडन से पहले सोमदेव ने दुनिया के 33वें नंबर के खिलाड़ी गुइलेर्मो गार्सिया लोपेज को हराया लेकिन इससे पूर्व उन्हें पांच बार पहले दौर में हार का सामना करना पड़ा था।

लेकिन इस भारतीय स्टार ने कहा कि गुइलेर्मो के खिलाफ जीत से उनका मनोबल बढ़ा है और उन्होंने टेनिस ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंटों अपने रिकॉर्ड में सुधार की उम्मीद जताई।

वह अपने विम्बलडन अभियान की शुरुआत जर्मनी के डेनिस ग्रेमेलमायर के खिलाफ करेंगे। सोमदेव ने लंदन से कहा कि जीतना हमेशा अच्छा होता है और गार्सिया लोपेज जैसे अच्छे और अनुभवी खिलाड़ी के खिलाफ जीत काफी अच्छी है। निश्चित तौर पर इससे मनोबल बढ़ेगा।

विम्बलडन के एकल मुख्य ड्रा में पहली बार सीधा प्रवेश पाने वाले सोमदेव ने कहा विम्बलडन के मुख्य ड्रा में खेलना काफी रोमांचक है। मैं कभी उम्मीद नहीं खोता। मैं इस साल घसियाले कोर्ट पर अपनी तैयारियों को लेकर काफी खुश हूं। पिछले साल यह भारतीय खिलाड़ी विम्बलडन के क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के दूसरे दौर में हार गया था।

सोमदेव अगर पहले दौर की बाधा पार करने में सफल रहते हैं तो उन्हें दूसरे दौर में रूस के 18वें वरीय मिखाइल यूज्नी का सामना करना पड़ सकता है।

इस भारतीय खिलाड़ी ने मौजूदा सत्र में गार्सिया लोपेज और दुनिया के 34वें नंबर के खिलाड़ी मिलोस राओनिक जैसे खिलाड़ी को हराया है लेकिन दुनिया के 232वें नंबर के एंटोनियो वेइक और मैथ्यू एबडेन जैसे खिलाड़ियों के हाथों उन्हें शिकस्त भी झेलनी पड़ी है।

सोमदेव ने हालांकि इस बात से इंकार किया कि उनके जज्बे में कमी आई है। उन्होंने कहा मुझे नहीं लगता कि मेरे जज्बे में कमी आई है। मुझे लगता है कि वह मेरा बुरा दिन था। मैं परिस्थितियों को समझने में नाकाम रहा। जीतने की इच्छा हमेशा से मजबूत है इसलिए जज्बा कम नहीं होता। (भाषा)