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Written By WD

भारतीय क्रिकेट के पांच ऐतिहासिक पल

वेबदुनिया डेस्क

भारतीय क्रिकेट इतिहास
आजादी के बाद भारतीय क्रिकेट ने एक लंबा सफर तय करके दुनिया में अपना मुकाम बनाया है। भारतीय क्रिकेट की कई उपल्धियां हैं, जो अहसास करवाती हैं कि भारत जेंटलमैन के इस खेल में सबसे आगे है। आइए नजर डालते है भारतीय क्रिकेट इतिहास के पांच ऐसे पलों पर, जब भारतीय टीम ने पूरी दुनिया में अपना सिक्का जमाया।

1983 विश्व खिताबी जी


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1983 में जब भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड में विश्व कप खेलने के लिए रवाना हो रही थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह टीम चैंपियन बनकर लौटेगी। भारत ने वेस्टइंडीज जैसी महाशक्तिशाली टीम को फाइनम मुकाबले में हराकर खिताब जीता। कपिल देव की कप्तानी में युवा खिलाड़ियों ने गजब का जज्बा दिखाया और पूरी दुनिया में देश का मान बढ़ाया। यह पल भारतीय क्रिकेट इतिहास की अमूल्य धरोहर है।

2002 नेटवेस्ट सिरीज खिता

लॉर्ड्‍स के ही मैदान पर भारत ने 2002 नेटवेस्ट सिरीज के फाइनल में इंग्लैंड को हराकर खिताब जीता। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली की कप्तानी में 2002 में भारत ने इंग्लैंड को नेटवेस्ट सिरीज की खिताबी जंग में पटखनी दी। उस समय इंग्लैंड के कप्तान हाल ही में भारतीय खिलाड़ियों को गधा कहने वाले नासिर हुसैन थे। जीत के बाद सौरव गांगुली ने अपनी कमीज उतारकर हवा में लहर दी थी। एक तरफ भारतीय टीम जीत की खुशियां मना रही थी तो दूसरी तरफ नासिर हुसैन मुंह लटकाए खड़े थे।

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भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह जीत स्वर्ण अक्षरों से दर्ज है। इस जीत के शिल्पकार मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह थे। भारत को 325 रनों का विशाल लक्ष्य मिला था, जिसके जवाब में भारत एक समय 146 रनों पर अपने पांच शीर्ष बल्लेबाजों के विकेट खो चुका था। सभी मान चुके थे कि भारत का जीतना बहुत मुश्किल है, लेकिन कैफ और युवराज ने असंभव लग रही जीत को संभव बना दिया। कैफ ने नाबाद 75 रनों की पारी खेली थी।

मैच के बाद गांगुली और टीम के अन्य सदस्यों का उत्साह देखते ही बनता था। गांगुली खुशी से अपनी कमीज हवा में लहरा रहे थे तो अन्य खिलाड़ी एक दूसरे से गले मिलकर जीत का जश्न मना रहे थे। इसी समय नासिर हुसैन का चेहरा देखने लायक था। वे हार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।

युवराज सिंह के छह छक्के


भारत के विस्फोटक बल्लेबाज युवराज सिंह को सीमित ओवर क्रिकेट में दुनिया का सबसे खतरनाक क्रिकेटर माना जाता है। उन्होंने 2007 में आयोजित हुए टी-20 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में छह गेंदों पर लगातार छह छक्के मारकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। गेंदबाज थे स्टूअर्ट ब्रॉड। युवराज ने भारत को ऐसा पल दिया, जिस पर देशवासी गर्व कर सकते हैं।

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ब्रॉड ने युवराज को गुडलैंथ, स्लोअर, फुलटॉस, सभी तरह की गेंद फेंकी, लेकिन हर बार परिणाम एक ही रहा। युवराज ने सभी गेंदों को छह रनों के लिए उछाल दिया।

क्रिकेट इतिहास में अब तक चार बार ही किसी बल्लेबाज ने छह लगातार गेंदों पर छक्के लगाए हैं। इन चार में से दो बार यह रिकॉर्ड प्रथम श्रेणी क्रिकेट में बना। वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज गैरी सोबर्स और भारत के रवि शास्त्री ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में यह कारनामा किया है, जबकि युवराज के बाद दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज हर्शल गिब्स ने विश्व कप 2007 में लगातार छह गेंदों पर छह छक्के लगाए।

भारत की टी-20 विश्व कप में जी


भारत 2007 में दक्षिण अफ्रीका में हुए पहले टी-20 विश्व कप में चैंपियन बना। भारत ने फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान को हराया। यह मैच बेहद रोमांचक रहा और दोनों टीमों के जीतने के अवसर अंत तक बने रहे।

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जैसे ही पाकिस्तानी बल्लेबाज मिस्बाह उल हक के रूप में पाकिस्तान का अंतिम विकेट गिरा, भारतीय खिलाड़ियों के साथ पूरा देश खुशी से झूम उठा। इस टूर्नामेंट से पहले भारत ने केवल एक टी-20 मैच खेला था। वर्तमान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए बतौर कप्तान यह पहला टूर्नामेंट था।

विश्व कप 2011 का खिता


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2011 का विश्व कप भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका की संयुक्त मेजबानी में आयोजित हुआ। सभी बड़ी टीमें खिताब की प्रबल दावेदार थी, लेकिन भारतीय टीम ने अपने करोड़ों देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए यह कप अपने नाम किया। फाइनल मैच में भारत ने श्रीलंका को पटखनी दी। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 28 साल बाद एक बार फिर भारत को विश्व चैंपियन बनवाया। पूरा देश जश्न में डूब गया और एक बार फिर भारतीय क्रिकेट का डंका दुनिया भर में बजा।