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Written By भाषा
Last Modified: शनिवार, 12 जुलाई 2014 (15:26 IST)

आसान नहीं रहा है साबेला का सफर

आसान नहीं रहा है साबेला का सफर -
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रियो डि जेनेरियो। शेफील्ड की ब्रामाल लेन से ब्राजील में फुटबॉल के सबसे महत्वपूर्ण मुकाबले विश्व कप फाइनल तक का अर्जेंटीना के कोच अलेजांद्रो साबेला का सफर आसान नहीं रहा है।

ब्राजील में विश्व कप फाइनल्स से पहले मैनेजर की तरह खिलाड़ी के रूप में भी साबेला का करियर काफी चमकदार नहीं रहा। करियर की शुरुआत में रीवर प्लेट के रूप में अच्छी टीम से जुड़ने वाले साबेला को इसके बाद इंग्लैंड की निचली लीग में शेफील्ड यूनाइटेड की ओर से खेलना पड़ा।

शेफील्ड यूनाइटेड ने किशोर डिएगो मेराडोना से करार की कोशिश की थी लेकिन उनकी कीमत काफी अधिक होने के कारण टीम ने साबेला के रूप में सस्ते विकल्प को चुना।

यह 59 वर्षीय पूर्व खिलाड़ी फुटबॉल के मैदान पर मेराडोना जैसा तो सफल नहीं रहा, लेकिन कोच के रूप में उन्होंने अपने इस हमवतन दिग्गज से बेहतर प्रदर्शन किया और अर्जेंटीना को तीसरे विश्व खिताब की दहलीज पर पहुंचा दिया है।

4 साल पहले दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्व कप में मेराडोना के मार्गदर्शन में अर्जेंटीना की टीम क्वार्टर फाइनल में हार गई थी।

साबेला के एजेंट युगेनियो लोपेज ने शुक्रवार को पुष्टि की कि जर्मनी के खिलाफ फाइनल मुकाबले का नतीजा चाहे कुछ भी रहे, यह लगभग तय है कि अर्जेंटीना के कोच के रूप में संभवत: उनका अंतिम मैच होगा।

दक्षिण अफ्रीका में जर्मनी ने ही क्वार्टर फाइनल में अर्जेंटीना को 4-0 से हराया था और साबेला की नजरें इस हार का बदला चुकता करने पर टिकी हैं। (भाषा)