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2 अक्टूबर 2024 को 21वीं सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण लगेगा
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क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण, कहां नजर आएगा और कहां नहीं?
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सूर्य ग्रहण 2024 का सूतक काल का समय
सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण 2024:
2 अक्टूबर बुधवार को 2024 को 21वीं सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। यह इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण रहेगा। यह सूर्य ग्रहण धरती के कुछ भागों पर वलयाकार रूप में और कुछ भागों में आंशिक रूप में नजर आएगा जबकि दक्षिण एशिया, अफ्रीका और यूरोप के अधिकांश देशों में यह ग्रहण नजर नहीं आएगा।
सूर्य ग्रहण 2024 लगने का समय क्या है?
भारतीय समयानुसार रात 9 बजकर 13 मिनट पर सूर्य ग्रहण की शुरुआत होगी और आधी रात 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण 2024 की खगोलीय घटना कुल 7 मिनट 25 सेकंड चलेगी और इसकी चरमावस्था पर सूर्य का 93 प्रतिशत फीसद हिस्सा ढक जाएगा जिससे सौरमंडल का मुखिया पृथ्वी वासियों को चमकदार कंगन की तरह दिखाई देगा। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा क्योंकि चन्द्रमा की छाया सूर्य का मात्र 93% भाग ही ढकेगी।
सूर्य ग्रहण 2024 कहां नजर आएगा?
यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका चिली, अर्जेंटीना अर्जेंटीना और मैक्सिको के क्षेत्रों में दिखायी देगा। इसके अलावा दक्षिण अटलांटिक महासागर, प्रशान्त महासागर, आइलैंड, ब्राजील, पेरू, अंटार्कटिका, न्यूजीलैंड, फिजी और आर्कटिक समेत कई देशों में नजर आएगा।
हंगा रोआ वालपराइसो, चिली में, प्वेर्टो डेसेडो अर्जेंटीना में, दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के कुछ शहर हैं जहां वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा जबकि होनोलूलू हवाई, संयुक्त राज्य अमेरिका में, एपिया समोआ में, सुवा फिजी में, सेंटियागो चिली में, साओ पाउलो ब्राजील में, मोंटेवीडियो उरुग्वे में और ब्यूनस आयर्स अर्जेंटीना में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण 2024 कहां नहीं नजर आएगा?
वर्ष 2024 का अंतिम सूर्य ग्रहण भारत सहित अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मॉरीशस, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश और नेपाल में भी नहीं दिखाई देगा। 2 और 3 अक्टूबर की दरम्यानी रात लगने वाले वलयाकार सूर्यग्रहण के नजारे से भी देश के खगोलप्रेमी वंचित रहेंगे। यह ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भागों और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के देशों से भी दिखायी नहीं देगा।
सूर्य ग्रहण 2024 का सूतक काल क्या है?
सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने के 12 घंटे पूर्व ही शुरु हो जाता है। यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं है। इस दिन श्राद्ध पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या भी रहेगी। इस दिन श्राद्ध किया जा सकता है। श्राद्ध पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव नहीं रहेगा।
क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण 2024?
इसे कंगन या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण भी कहते हैं। सूर्य ग्रहण में जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होता है और इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। ऐसे में सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्य ग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। आकाशमण्डल में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केन्द्र के साथ मिलकर सूर्य के चारों ओर एक वलयाकार आकृति बनाएगी।