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गुरु तेग बहादुर जी के बारे में 25 जानी-अनजानी बातें

गुरु तेग बहादुर जी के बारे में 25 जानी-अनजानी बातें - Guru Teg bahadur jyanati 2022
Guru Tegh Bahadur
 
Ninth Sikh Guru सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी (Guru Teg bahadur) को कौन नहीं जानता। यहां जानिए उनके जीवन की 25 रोचक बातें...

1. 21 अप्रैल को सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह की जयंती मनाई जा रही है। 
 
2. गुरु तेग बहादुर सिंह जी के प्रकाश पर्व में सुबह-सुबह पंज प्यारे प्रभात फेरी निकालते हैं। 
 
3. गुरु तेग बहादुर सिंह एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे। 
 
4. उनका जन्म वैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। 
 
5. गुरु तेग बहादुर सिंह सिखों के नौंवें गुरु थे। 
 
6. तेग बहादुर जी के बचपन का नाम त्यागमल था। 
 
7. उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था। 
 
8. गुरु तेग बहादुर सिंह बाल्यावस्था से ही संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे। 
 
9. शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हरिगोबिंद साहिब की छत्र छाया में हुई।

 
10. ईश्वरीय निष्ठा के साथ समता, करुणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे मानवीय गुण गुरु तेग बहादुर सिंह में विद्यमान थे। 
 
11. इसी समय इन्होंने गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ शस्त्रों तथा घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की। 
 
12. सिखों के 8वें गुरु, गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु हो जाने की वजह से गुरु तेग बहादुर जी को गुरु बनाया गया था। 

 
13. मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया। इस वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। 
 
14. गुरु तेग बहादुर सिंह जहां भी गए, उनसे प्रेरित होकर लोगों ने न केवल नशे का त्याग किया, बल्कि तंबाकू की खेती भी छोड़ दी। 
 
15. उन्होंने देश को दुष्टों के चंगुल से छुड़ाने के लिए जनमानस में विरोध की भावना भर, कुर्बानियों के लिए तैयार किया और मुगलों के नापाक इरादों को नाकामयाब करते हुए कुर्बान हो गए। 
 
16. श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में 15 रागों में 116 शबद (श्लोकों सहित) गुरु तेग बहादुर सिंह जी द्वारा रचित बाणी संकलित हैं। 
 
17. सिखों के नौंवें गुरु तेग बहादुर सिंह ने अपने युग के शासन वर्ग की नृशंस एवं मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए बलिदान दिया। 
 
18. वे कहते थे कोई ब्रह्मज्ञानी साधक ही इस स्थिति को पा सकता है। मानवता के शिखर पर वही मनुष्य पहुंच सकता है, जिसने 'पर में निज' को पा लिया हो।

 
19. शस्त्र और शास्त्र, संघर्ष और वैराग्य, लौकिक और अलौकिक, रणनीति और आचार-नीति, राजनीति और कूटनीति, संग्रह और त्याग आदि का ऐसा संयोग मध्ययुगीन साहित्य व इतिहास में बिरला है। 
 
20. गुरु तेग बहादुर सिंह ने धर्म की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया और सही अर्थों में 'हिन्द की चादर' कहलाए।
 
21. उनके पिता ने उन्हें त्यागमल नाम दिया था, लेकिन मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी की वजह से वे तेग बहादुर के नाम से मशहूर हुए। तेग बहादुर का मतलब होता है तलवार का धनी। 
 
23. 24 नवंबर 1675 को भीड़ के सामने गुरु तेग बहादुर सिंह जी की हत्या कर दी गई थी। 
 
24. शीश गंज साहिब दिल्ली का मशहूर गुरुद्वारा है, उसी स्थान पर उनकी हत्या तथा उनकी अंतिम विदाई हुई थी। वर्तमान में वो जगह रकाबगंज साहिब के नाम से जानी जाती है। 
 
25. विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है।