शिवपुराण के अनुसार श्रावण माह में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे वहां उनका स्वागत विशेष जलाभिषेक से हुआ था, मान्यता है कि प्रतिवर्ष श्रावण में भगवान शिव अपनी ससुराल जाते हैं, इसीलिए भू-लोकवासियों के लिए शिव कृपा प्राप्त करने का यह सर्वोत्तम मास है।
मारकंडू ऋषि पुत्र मारकंडेय जी की अल्पायु थी जिसके मारकंडेय ने श्रावण मास में ही भगवान शिव की अराधना की थी और भगवान शिव का साक्षात्कार हुआ था। प्रथम बार महामृत्युंजय मंत्र का साक्षात्कार श्रावण मास में मारकण्डेय जी को हुआ था इसलिए भी श्रावण मास विशेष महत्वपूर्ण है। श्रावण मास का दूसरा सोमवार स्वास्थ्य के लिए उत्तम मनाना जाता है। जानिए राशि अनुसार कैसे करें इस दिन पूजन....
राशियों के अनुसार करें पूजन
मेष - शिवजी को लाल चंदन और लाल फूल चढ़ाना चाहिए, नागेश्वराय नम: का जप करना चाहिए।
वृष - शिवजी को चमेली का फूल चढ़ाकर रूद्राष्टक का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
मिथुन - शिवजी को धतूरा, भांग चढ़ाकर पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
कर्क - शिवजी का भांग मिश्रित दूध से अभिषेक करना श्रेयस्कर होगा।
सिंह- शिव जी को आंकड़े के फूल अर्पित करने के साथ शिव चालीसा का पाठ करें।
कन्या - शिव जी को बेलपत्र धतूरा, भांग आदि चढ़ाएं और पंचाक्षरी मंत्र का जप करें।
तुला- मिश्रित दूध से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करें।
वृश्चिक- शिवजी को गुलाब का फूल और बेलपत्र चढ़ाएं व रूद्राष्टक का पाठ करें।
धनु- शिव जी को पीले फूल चढ़ाएं व खीर का भोग लगाएं और तांडव स्त्रोत का पाठ करें।
मकर - शिवजी को धतूरा भांग, बेलपत्र, कमल का फूल, चढ़ाने के साथ गौरी का पाठ करें।
कुंभ - शिवजी का गन्ने व शहद से अभिषेक करें, पंचक्षरी मंत्र का जाप करें।
मीन - शिवजी को पंचामृत व पीले फूल और सफेद चंदन की माला अर्पित करें और पंचाक्षरी का पाठ करें।