मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

जानिए क्यों महत्वपूर्ण है श्रावण मास...

जानिए क्यों महत्वपूर्ण है श्रावण मास... - Shravan Month
हिन्दू धर्म में त्योहार तो बहुत हैं उसी तरह जैसे कि व्रत भी बहुत सारे बताए गए हैं। लेकिन जिस तरह त्योहारों में मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि श्रेष्ठ मानी गई है उसी तरह व्रतों में एकादशी और श्रावण मास के व्रत सबसे महत्वपूर्ण माने गए हैं। श्रावण मास में उपाकर्म व्रत का महत्व ज्यादा है। इसे श्रावणी भी कहते हैं।


 
हिन्दुओं के आठ प्रमुख कर्तव्य है :- संध्योपासन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, सेवा, दान, यज्ञ, संस्कार। यहां श्रावण मास में व्रत रखना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। यह पाप को मिटाने वाला और मनोकामना की पूर्ति करने वाला माह है।
 
जिस तरह गुड फ्राइडे के पहले ईसाइयों में 40 दिन के उपवास चलते हैं और जिस तरह इस्लाम में रमजान माह में रोजे (उपवास) रखे जाते हैं उसी तरह हिन्दू धर्म में श्रावण मास को पवित्र और व्रत रखने वाला माह माना गया है। पूरे श्रावण माह में निराहारी या फलाहारी रहने की हिदायत दी गई है। इस माह में शास्त्र अनुसार ही व्रतों का पालन करना चाहिए। मन से या मनमानों व्रतों से दूर रहना चाहिए।
 
उन त्योहार, पर्व या उत्सवों को मनाने का महत्व अधिक है जिनकी उत्पत्ति स्थानीय परंपरा, व्यक्ति विशेष या संस्कृति से न होकर जिनका उल्लेख वैदिक धर्मग्रंथ, धर्मसूत्र और आचार संहिता में मिलता है। ऐसे कुछ पर्व हैं और इनके मनाने के अपने नियम भी हैं। इन पर्वों में सूर्य-चंद्र की संक्रांतियों और कुंभ का अधिक महत्व है।


 
हिन्दू धर्म के प्रमुख तीन देवताओं के पर्व को मनाया जाता है उनमें शिव के लिए महाशिवरात्रि और श्रावण मास प्रमुख हैं और उनकी पत्नी पार्वती के लिए चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि प्रमुख त्योहार हैं। इसके अलावा शिव-पुत्र भगवान गणेश के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व गणेशोत्सव के नाम से मनाया जाता है, जो भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को आता है।
 
व्रत ही तप है। यही उपवास है। व्रत दो प्रकार के हैं। इन व्रतों को कैसे और कब किया जाए, इसका अलग नियम है। नियम से हटकर जो मनमाने व्रत या उपवास करते हैं उनका कोई धार्मिक महत्व नहीं। व्रत से जीवन में किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं रहता। व्रत से ही मोक्ष प्राप्त किया जाता है। श्रावण माह को व्रत के लिए नियुक्त किया गया है।