गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. श्रावण मास विशेष
  4. mahakaleshwer mandir ujjain

Mahakal mandir Ujjain : श्रावण मास में जानिए महाकाल मंदिर की महिमा

Mahakal mandir Ujjain : श्रावण मास में जानिए महाकाल मंदिर की महिमा - mahakaleshwer mandir ujjain
अनेकानेक प्राचीन वांग्मय महाकाल की व्यापक महिमा से आपूरित हैं क्योंकि वे कालखंड, काल सीमा, काल-विभाजन आदि के प्रथम उपदेशक व अधिष्ठाता हैं।

स्कन्दपुराण के अवंती खंड में, शिव पुराण (ज्ञान संहिता अध्याय 38), वराह पुराण, रुद्रयामल तंत्र, शिव महापुराण की विद्येश्वर संहिता के तेइसवें अध्याय तथा रुद्रसंहिता के चौदहवें अध्याय में भगवान महाकाल की अर्चना, महिमा व विधान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है। 
 
मृत्युंजय महाकाल की आराधना का मृत्यु शैया पर पड़े व्यक्ति को बचाने में विशेष महत्व है। खासकर तब जब व्यक्ति अकाल मृत्यु का शिकार होने वाला हो। इस हेतु एक विशेष जाप से भगवान महाकाल का लक्षार्चन अभिषेक किया जाता है- 
 
'ॐ ह्रीं जूं सः भूर्भुवः स्वः, 
ॐ त्र्यम्बकं स्यजा महे 
सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्‌। 
उर्व्वारूकमिव बंधनान्नमृत्योर्म्मुक्षीयमामृतात्‌ 
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ' 
 
इसी तरह सर्वव्याधि निवारण हेतु इस मंत्र का जाप किया जाता है। 
 
ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम 
जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः 
 
श्रावण में शिवोत्सव पूरे माह समूचे उज्जैन में मनाया जाता है। इन दिनों भक्तवत्सल्य भगवान आशुतोष महाकालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया जाता है, उन्हें विविध प्रकार के फूलों से सजाया जाता है। यहाँ तक कि भक्तजन अपनी श्रद्धा का अर्पण इतने विविध रूपों में करते है कि देखकर आश्चर्य होता है। 
 
कोई बिल्वपत्र की लंबी घनी माला चढ़ाता है। कोई बेर,संतरा, केले, और दूसरे फलों की माला लेकर आता है। कोई आँकड़ों के पत्तों पर चंदन से ॐ बना कर अर्पित करता है।
 
औढरदानी, प्रलयंकारी, दिगम्बर भगवान शिव का यह सुहाना सुसज्जित सुंदर स्वरूप देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। अंत में श्री महाकालेश्वर से परम पुनीत प्रार्थना है कि इस अखिल सृष्टि पर वे प्रसन्न होकर प्राणी मात्र का कल्याण करें - 
 
'कर-चरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा 
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम, 
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व, 
जय-जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो॥' 
 
अर्थात हाथों से, पैरों से, वाणी से, शरीर से, कर्म से, कर्णों से, नेत्रों से अथवा मन से भी हमने जो अपराध किए हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको है करुणासागर महादेव शम्भो! क्षमा कीजिए, एवं आपकी जय हो, जय हो।
ये भी पढ़ें
Mauna Panchami 2020 : मौना पंचमी 10 जुलाई को, जानें क्यों करें मौन रहकर शिवजी और नागदेव की आराधना, व्रत का महत्व