श्राद्ध पक्ष में पितरों की मुक्ति हेतु किए जाने वाले कर्म तर्पण और पिंडदान को उचित रीति से नदी के किनारे किया जाता है। इसके लिए देश में कुछ खास स्थान नियुक्त हैं। देश में श्राद्ध के लिए 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है जिसमें से उत्तर भारत के महत्वपूर्ण 7 स्थानों के नाम जानें।
1. उज्जैन (मध्यप्रदेश) : कुंभनगरी उज्जैन में सिद्धवट पर श्राद्ध कर्म का कार्य विधि विधान से किया जाता है। उज्जैन नगर मध्यप्रदेश में इंदौर के पास प्रमुख तीर्थ स्थल है। जहां क्षिप्रा नदी बहती है।
2. लोहागर (राजस्थान) : यह राजस्थान का प्रमुख तीर्थ स्थल है जिसकी रक्षा ब्रह्माजी भी करते हैं। यहां पहुंचने के लिए सवाई माधोपुर जाकर सिकर या नवलगढ़ स्टेशन पर पहुंचे। वहीं नजदीक लोहागर है। यहां मुख्य पर्वत से नदी की सात धाराएं निकली हैं।
3. प्रयाग (उत्तरप्रदेश) : तीर्थराज प्रयाग को पूर्व में इलाहाबाद कहा जाता था। यहां गंगा नदी बहती है। प्रयाग के त्रिवेणी स्थान पर मुंडल और श्राद्ध कर्म किया जाता है।
4. पिण्डारक (गुजरात ) : द्वारिका धाम से लगभग 30 किलोमीटर दूर इस क्षेत्र का प्राचीन नाम पिंडतारक है। यहां एक सरोवर है जहां के तट पर श्राद्ध कर्म और अस्थी विसर्जन किया जाता है। यहां प्राचीन समय में महर्षि दुर्वासा का आश्रम था। उन्हीं की कृपा से यहां पितरों को मुक्ति मिलती है।
5. नाशिक (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र के नासिक के पास त्रयंबकेश्वर नामक स्थान पर भी श्राद्ध कर्म किया जाता है।
6. गया (बिहार) : वैसे तो श्राद्ध कर्म या तर्पण करने के भारत में कई स्थान है, लेकिन पवित्र फल्गु नदी के तट पर बसे प्राचीन गया शहर की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पितृपक्ष और पिंडदान को लेकर अलग पहचान है। पितृपक्ष में मोक्षधाम गयाजी आकर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता-पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है।
7. ब्रह्म कपाल (उत्तराखंड) : गया के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। कहते हैं जिन पितरों को गया में मुक्ति नहीं मिलती या अन्य किसी और स्थान पर मुक्ति नहीं मिलती उनका यहां पर श्राद्ध करने से मुक्ति मिल जाती है। यह स्थान बद्रीनाथ धाम के पास अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। पांडवों ने भी अपने परिजनों की आत्म शांति के लिए यहां पर पिंडदान किया था।
नोट : ब्रह्म कपाल, गया, प्रभास, पुष्कर, प्रयाग, नैमिष वन (सरस्वती नदी पर), गंगा, यमुना एवं पयोष्णी पर, अमरकंटक, नर्मदा, काशी, कुरुक्षेत्र, भृगुतुंग, हिमालय, पवित्र सरोवर, सप्तवेणी, ऋषिकेश, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी और गोदावरी के किसी भी तट पर श्राद्ध किया जा सकता है।