पितरों की प्रसन्नता के लिए करें तर्पण, अर्पण और समर्पण
पितृदोष की वजह से नहीं मिलता है संतान सुख
जब पितृ कुपित होते हैं, प्रसन्न नहीं रहते हैं, तब पितृदोष लगता है। समस्त सुखों से वंचित हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में पितरों के निमित्त शांति पाठ करवाएं। पितृ गायत्री का पाठ करवाएं और धार्मिक स्थान पर गीता व रामायण जैसी पुस्तकों का दान करें, तो लाभ होगा। पितृ प्रसन्न होंगे तो आपको माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
तर्पण :
हमारे पूर्वज, जिनकी वजह से हमारा अस्तित्व है, के निमित तर्पण करवाएं। ब्राह्मण द्वारा संकल्प करवाएं। तिल, जौ, चावल और कुशा द्वारा तर्पण करवाएं। घर के प्रत्येक सदस्य द्वारा दिवंगत आत्मा हेतु दान जरूर करवाएं। अन्न का दान करें और उनके निमित्त किसी गरीब व असहाय व्यक्ति को भोजन और वस्त्र दें।
अर्पण :
सर्वप्रथम अपने पूर्वजों की इच्छा व पसंदानुसार दान देना चाहिए। अपने पितरों की तस्वीर पर तिलक व फूलमाला अर्पित करें और संध्या समय में तिल के तेल का दीपक जरूर प्रज्वलित करें और अपने परिवार समेत उनकी तिथि पर लोगों में भोजन बांटें।
समर्पण :
पितरों के प्रति निमित्त भाव समर्पित होना आवश्यक है। 1 चंदन की माला समर्पित करते हुए सफेद पुष्प उनकी तस्वीर पर समर्पित करें। उनकी प्रिय वस्तु को ध्यान में रखते हुए आप वह लोगों में बांटें और भागवत गीता के सप्तम्, अष्टम् और नवम् अध्याय का पाठ जरूर करना चाहिए। उनको इससे प्रसन्नता प्राप्त होती है।