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  4. Fourth day of Tritiya Shradh Paksha Date time and kutup kaal 2024
Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 19 सितम्बर 2024 (17:56 IST)

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का चौथा दिन : जानिए तृतीया श्राद्ध तिथि का महत्व और इस दिन क्या करें

Tritiya Shradh Paksha
Shradh Paksha: 16 दिनों तक चलते वाले इस पितृपक्ष में पितरों की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो गए हैं। 17 सितंबर 2024 को पूर्णिमा का प्रथम श्राद्ध था। आज 20 सितंबर 2024 शुक्रवार को तृतीया का श्राद्ध रहेगा। तृतीया के श्राद्ध को तीज श्राद्ध भी कहते हैं। आओ जानते हैं कि इस दिन क्या करते हैं। ALSO READ: 16 shradh paksha 2024: अकाल मृत्यु जो मर गए हैं उनका श्राद्ध कब और कैसे करें?
 
तृतीया तिथि प्रारंभ : 20 सितंबर 2024 को 12 बजकर 39 मिनट एएम से प्रारंभ।
तृतीया तिथि समाप्त : 20 सितंबर 2024 को रात्रि 09 बजकर 15 मिनट पीएम तक।
 
20 सितंबर 2024 का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:51 से 12:38 के बीच।
कुतुप काल : सुबह 11:50 से 12:39 तक।
रोहिणी मुहूर्त : दोपहर 12:39 से 01:27 तक।
अपराह्न काल- अपराह्न 01:27 से 03:54 तक।
 
तृतीया के दिन श्राद्ध का महत्व:-
1. तृतीया के दिन जिन लोगों का देहांत अर्थात् तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) पक्ष की तृतीया तिथि हो हुआ है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। तृतीया तिथि के दिन स्वर्गवासी माता, पिता का श्राद्ध एवं तर्पण मृत्यु तिथि के अनुसार पितृ पक्ष की तृतीया को किया जाता है।ALSO READ: Indira ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व एवं पारण का समय क्या है?
 
2. इस दिन श्राद्ध अभिजित, कुतुप या रोहिणी मुहूर्त में किया जाता हैं। श्राद्ध पक्ष में दोपहर के समय (दोपहर साढ़े बारह से एक बजे के बीच) श्राद्ध करना चाहिए।  
 
3. तृतीया श्राद्ध को विधिवत रूप से करने पर सद्बुद्धि, स्वास्थ और समृद्धि प्राप्त होती है। 
 
कैसे करें श्राद्ध?
  • गंगाजल, कच्चा दूध, जौ, तुलसी और शहद मिश्रित जल की जलां‍जलि दें।
  • इसके बाद गाय के घी का दीप जलाएं, धूप दें, गुलाब का फूल चढ़ाएं और चंदन अर्पित करें।
  • इसके बाद पिता से प्रारंभ करके पूर्वजों के जहां तक नाम याद हों वहां तक के पितरों के नामोच्चारण करके स्वधा शब्द से अन्न और जल अर्पित करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु और यम की पूजा करें। इसके बाद तर्पण कर्म करें।
  • पितृ के निमित्त लक्ष्मीपति का ध्यान करके गीता का तीसरा अध्याय का पाठ करें। 
  • फिर श्राद्ध में कढ़ी, भात, खीर, पुरी और सब्जी का भोग लगाते हैं।
  • पितरों के लिए बनाया गया भोजन रखें और अंगूठे से जल अर्पित करें।
  • इसके बाद भोजन को गाय, कौवे और फिर कुत्ते और चीटियों को खिलाएं।
  • तृतीय श्राद्ध में तीन ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
  • उन्हें शक्कर, वस्त्र, चावल और यथाशक्ति दक्षिणा देकर उन्हें तृप्त करें।
रखें ये सावधानियां:- 
1. इस दिन गृह कलह न करें।
 
2. चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
 
3. शराब पीना, मांस खाना, श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से भी पितृ नाराज हो जाता हैं।