गुरुवार, 13 मार्च 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. महाशिवरात्रि
  4. Mahashivratri festival

शिवरात्रि विशेष : शिवपूजन के पौराणिक व सिद्ध नियम

शिवरात्रि विशेष : शिवपूजन के पौराणिक व सिद्ध नियम - Mahashivratri festival
शिवरात्रि पर शिवशंकर की पूजा-अर्चना से कई जन्मों का फल प्राप्त होता है। यदि विधिविधान से पूजन किया जाए तो निश्चित ही मनोवांछित फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि शिव पूजन में अर्पण किए जाने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण वस्तु और सिद्ध पूजन विधि के बारे में...
 

 
 
बिल्व पत्र शंकर जी को बहुत प्रिय हैं, बिल्व अर्पण करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनचाहा फल प्रदान करते हैं। लेकिन प्राचीन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अर्पित करने हेतु बिल्व पत्र तोडऩे से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण कर बिल्व वृक्ष को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए, उसके बाद ही बिल्व पत्र तोडऩे चाहिए। ऐसा करने से शिवजी बिल्व को सहर्ष स्वीकार करते हैं। 

देखें वीडियो- 


 
 
जानिए क्या है बिल्व पत्र तोडऩे का मंत्र- 

बिल्व पत्र तोडऩे का मंत्र : 

अमृतोद्धव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।
गृहामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्।। 


 
 
जानिए कौन सा समय निषिद्ध है बिल्ब पत्र तोड़ने के लिए... 

कौन सा समय निषिद्ध है बिल्ब पत्र तोड़ने के लिए :

जातक हमेशा ध्यान रखें कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बिल्व पत्र कभी नहीं तोडऩे चाहिए। यदि पूजन करना ही हो एक दिन पहले का रखा हुआ बिल्व पत्र चढ़ाया जा सकता है। 
 

 
इसके अलावा बिल्व पत्र, धतूरा और पत्ते जैसे उगते हैं, वैसे ही इन्हें भगवान पर चढ़ाना चाहिए। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपर की ओर होता है, अत: चढ़ाते समय इनका मुख ऊपर की ओर ही रखना चाहिए।
 
कैसे चढ़ाएं दूर्वा और तुलसी शिवजी को: 

कैसे चढ़ाएं दूर्वा और तुलसी शिवजी को: 

दूर्वा एवं तुलसी दल को अपनी ओर तथा बिल्व पत्र नीचे मुख पर चढ़ाना चाहिए।


दाहिने हाथ की हथेली को सीधी करके मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल एवं बिल्व पत्र चढ़ाने चाहिए। भगवान शिव पर चढ़े हुए पुष्पों एवं बिल्व पत्रों को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारें।