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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 24 मई 2024 (16:45 IST)

Mandir puja samay : मंदिर में यदि इस समय की पूजा तो नहीं मिलेगा फल

Mandir puja samay : मंदिर में यदि इस समय की पूजा तो नहीं मिलेगा फल - Puja aarti time in temples
Puja time in temple: शिव के मंदिर में सोमवार, हनुमान के मंदिर में मंगलवार, दुर्गा के मंदिर में बुधवार, काली व लक्ष्मी के मंदिर में शुक्रवार, शनि के मंदिर में शनिवार और विष्णु के मंदिर में रविवार को जानें का उल्लेख मिलता है। गुरुवार श्रीहरि विष्णु और गुरुओं का वार माना गया है। आओ जानते हैं कि हिन्दू मंदिर में किस समय जाना चाहिए पूजा करने।
गुरुवार क्यों सर्वश्रेष्ठ? रविवार की दिशा पूर्व है किंतु गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में ही देवताओं का स्थान माना गया है। यात्रा में इस वार की दिशा पश्चिम, उत्तर और ईशान ही मानी गई है। इस दिन पूर्व, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में यात्रा त्याज्य है। गुरुवार की प्रकृति क्षिप्र है। इस दिन सभी तरह के धार्मिक और मंगल कार्य से लाभ मिलता है अत: हिन्दू शास्त्रों के अनुसार यह दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है अत: सभी को प्रत्येक गुरुवार को मंदिर जाना चाहिए और पूजा, प्रार्थना या ध्यान करना चाहिए।
मंदिर समय : हिन्दू मंदिर में जाने का समय होता है। सूर्य और तारों से रहित दिन-रात की संधि को तत्वदर्शी मुनियों ने संध्याकाल माना है। संध्या वंदन को 'संध्योपासना' भी कहते हैं। संधिकाल में ही संध्या वंदना की जाती है। वैसे संधि 5 वक्त (समय) की होती है, लेकिन प्रात:काल और संध्‍याकाल- उक्त 2 समय की संधि प्रमुख है अर्थात सूर्य उदय और अस्त के समय। इस समय मंदिर या एकांत में शौच, आचमन, प्राणायाम आदि कर गायत्री छंद से निराकार ईश्वर की प्रार्थना की जाती है।
 
दोपहर 12 से अपराह्न 4 बजे तक मंदिर में जाना, पूजा, आरती और प्रार्थना आदि करना निषेध माना गया है अर्थात प्रात:काल से 11 बजे के पूर्व मंदिर होकर आ जाएं या फिर अपराह्न काल में 4 बजे के बाद मंदिर जाएं।
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