रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सनातन धर्म
  3. इतिहास
  4. manu boat
Last Updated : बुधवार, 27 जून 2018 (15:11 IST)

जल प्रलय ने बदला धरती का इतिहास, जानकर हैरान रह जाएंगे

जल प्रलय ने बदला धरती का इतिहास, जानकर हैरान रह जाएंगे | manu boat
कुछ हजार वर्ष पूर्व हुए जल प्रलय ने धरती की भाषा, संस्कृति, सभ्यता, धर्म, समाज और परंपरा की कहानी को नए सिरे से लिखा। इस जल प्रलय के कारण राजा मनु को एक नाव बनाना पड़ी और फिर वे उस नाव में लगभग 6 माह तक रहे और अंत में वे तिब्बत की धरती पर उतरे। वहीं से वे जैसे-जैसे जल उतरने लगा उन्होइने पुन: भारत की भूमि को रहने लायक बनाया।
 
 
राजा मनु को ही हजरत नूह माना जाता हैं?
माना जाता है कि नूह ही यहूदी, ईसाई और इस्लाम के पैगंबर हैं। इस पर शोध भी हुए हैं। जल प्रलय की ऐतिहासिक घटना संसार की सभी सभ्‍यताओं में पाई जाती है। बदलती भाषा और लम्बे कालखंड के चलते इस घटना में कोई खास रद्दोबदल नहीं हुआ है। मनु की यह कहानी यहूदी, ईसाई और इस्लाम में 'हजरत नूह की नौका' नाम से वर्णित की जाती है।
 
 
इंडोनेशिया, जावा, मलेशिया, श्रीलंका आदि द्वीपों के लोगों ने अपनी लोक परम्पराओं में गीतों के माध्यम से इस घटना को आज भी जीवंत बनाए रखा है। इसी तरह धर्मग्रंथों से अलग भी इस घटना को हमें सभी देशों की लोक परम्पराओं के माध्यम से जानने को मिलता है।
 
 
हजरतनूह की कहानी- उस वक्त नूह की उम्र छह सौ वर्ष थी जब यहोवा (ईश्वर) ने उनसे कहा कि तू एक-जोड़ी सभी तरह के प्राणी समेत अपने सारे घराने को लेकर कश्ती पर सवार हो जा, क्योंकि मैं पृथ्वी पर जल प्रलय लाने वाला हूँ।
 
सात दिन के उपरान्त प्रलय का जल पृथ्वी पर आने लगा। धीरे-धीरे जल पृथ्वी पर अत्यन्त बढ़ गया। यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बड़े-बड़े पहाड़ थे, सब डूब गए। डूब गए वे सभी जो कश्ती से बाहर रह गए थे, इसलिए वे सब पृथ्वी पर से मिट गए। केवल हजरत नूह और जितने उनके साथ जहाज में थे, वे ही बच गए। जल ने पृथ्वी पर एक सौ पचास दिन तक पहाड़ को डुबोए रखा। फिर धीरे-धीरे जल उतरा तब पुन: धरती प्रकट हुई और कश्ती में जो बच गए थे उन्ही से दुनिया पुन: आबाद हो गई।
 
 
राजा मनु की कहानी- द्रविड़ देश के राजर्षि सत्यव्रत (वैवस्वत मनु) के समक्ष भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में प्रकट होकर कहा कि आज से सातवें दिन भूमि जल प्रलय के समुद्र में डूब जाएगी। तब तक एक नौका बनवा लो। समस्‍त प्राणियों के सूक्ष्‍म शरीर तथा सब प्रकार के बीज लेकर सप्‍तर्षियों के साथ उस नौका पर चढ़ जाना। प्रचंड आँधी के कारण जब नाव डगमगाने लगेगी तब मैं मत्स्य रूप में बचाऊंगा। 
 
तुम लोग नाव को मेरे सींग से बांध देना। तब प्रलय के अंत तक मैं तुम्‍हारी नाव खींचता रहूंगा। उस समय भगवान मत्स्य ने नौका को हिमालय की चोटी 'नौकाबंध' से बांध दिया। भगवान ने प्रलय समाप्‍त होने पर वेद का ज्ञान वापस दिया। राजा सत्‍यव्रत ज्ञान-विज्ञान से युक्‍त हो वैवस्‍वत मनु कहलाए। उक्त नौका में जो बच गए थे उन्हीं से संसार में जीवन चला।
 
तौरात, इंजिल, बाइबिल और कुरआन से पूर्व ही मत्स्य पुराण लिखा गया था, जिसमें उक्त कथा का उल्लेख मिलता है। यह मानव जाति का इतिहास है न कि किसी धर्म विशेष का। 
 
ये भी पढ़ें
12 राशि अनुसार जानें कर्ज उतारने के अनुभूत प्रयोग.. क्या करने से मिलेगी कर्ज से मुक्ति