अंतरिक्ष को खाली स्थान माना जाता है यानी स्पेस। खाली स्थान को अवकाश कहते हैं। अवकाश था तभी आकाश की उत्पत्ति हुई अर्थात अवकाश से आकाश बना। अवकाश अर्थात अनंत अंधकार। अनंत अंतरिक्ष। अंधकार के विपरीत प्रकाश होता है, लेकिन यहां जिस अंधकार की बात कही जा रही है उसे समझना थोड़ा कठिन जरूर है। यही अद्वैतवादी सिद्धांत है।
अंतरिक्ष को सबसे महान माना गया है। ऊपर देखो और ऊपर से ही कुछ मांगो। नीचे मूर्ति या मंदिर में प्रार्थना करने वाले क्या यह जानते हैं कि वैदिक ऋषि ऊपर वाले की ही प्रार्थना करते थे। ध्यान लगाकर वे अपने भीतर के अंतरिक्ष को खोजते थे।
अंतरिक्ष से सब कुछ प्राप्त किया जाता जाता है और अपनी बुद्धि के अनुसार इनको ग्रहण किया जाता है। मेधा बुद्धि का संबंध अंतरिक्ष से होता है। अंतरिक्ष हमारी बुद्धि को बढ़ाने वाला है। यह हमारे भीतर जीवन को प्रबल करता है। इसी से वायु को गति मिलती है। इसी में अग्नि भी विद्यमान रहती है।
अगले पन्ने पर पढ़े, अंतरिक्ष से बढ़कर क्या...