शरद रात्रि में, प्रश्नाकुल मन, बहुत उदास, कहता है मुझसे, उठो, चाँद से बातें करो और मैं, बहने लगती हूँ श्वेत चाँदनी में, तब, तुम बहुत याद आते हो। ----- तुम्हारी याद लगती है
भीगी चाँदनी में ओस की हर बूँद तुम्हारी याद लगती है जिसे छुआ नहीं जा सकता ----------------- सिर्फ दो प्रश्न हैं मेरे जीवन में एक तुम, दूसरा तुमसे जुड़ा हुआ