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तुम बहुत याद आते हो
फाल्गुनी 1.
शरद रात्रि में, प्रश्नाकुल मन, बहुत उदास, कहता है मुझसे, उठो, चाँद से बातें करोऔर मैं,बहने लगती हूँश्वेत चाँदनी में, तब,तुम बहुत याद आते हो।2.
भीगी चाँदनी में ओस कीहर बूँदतुम्हारी याद लगती है जिसे छुआ नहीं जा सकता।