खामोशी रूह होती है प्यार की
विजय कुमार सप्पत्तीखामोशी को यदि लफ्जों की जुबान दी,तो प्यार की तकदीरें बदल जाती हैं!एक मेरे प्यार की तकदीर है,मैं खामोश ही रहता तो मेरा प्यार बदनाम न होता,किसी अपने के लिए मैं यूँ न तड़पता,किसी पराये मेंमैं अपना अक्स न देखताकाश! इस जनम से उस जनम तकमैं खामोश ही रहता...कोई, किसी नजूमी को जानता हो तोमुझे बता दे...मैं अपनी तकदीर बदलना चाहता हूँ